गुरुवार, 5 नवंबर 2020

मां की कोख से अब संस्कारी बच्चे ही पैदा होंगे, BHU में गर्भवती को दी जा रही है Garbh Sanskar Therapy





- गर्भवती महिलाओं के लिए बीएचयू में शुरू हुई Garbh Sanskar Therapy

- गर्भवती महिलाओं को संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी दी जा रही है

- प्रेग्नेंसी में जो भी मां ग्रहण करती है, शिशु भी उसे ग्रहण करता है, चाहे वह खाने की चीज हो या फिर संस्कार


लखनऊ. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय का आयुर्वेद विज्ञान विभाग एक नई थेरेपी शुरू कर दी है। इस अनोखी थेरेपी के तहत अब गर्भ में बच्चों को संस्कार (Garbh Sanskar Therapy) की शिक्षा दी जा रही है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी दी जा रही है। ताकि होने वाला शिशु जन्म के बाद समाज की कुरीतियों से लड़ने में खुद को सक्षम पाये। भजन और मंत्रोच्चार के बीच अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के गर्भ में शिशु के हलचलों पर डॉक्टर नजर रख रहे हैं। इस थेरेपी से आने वाले रिजल्ट को देखकर डॉक्टर के साथ-साथ गर्भवती महिलाएं भी खुश हैं।

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के मेडिकल सुपरिण्टेंडेंट एसके माथुर कहते हैं कि आधुनिक अस्पतालों ने इसे बंद कर दिया है, लेकिन आयुर्विज्ञान में यह क्रिया पहले ही चली आ रही है। इसे हमारा विभाग फिर से शुरू कर रहा है। उन्होंने बताया कि विज्ञान कहती है कि गर्भस्त शिशु तीन महीने बाद हलचल करना शुरू कर देता है। प्रेग्नेंसी के दौरान जो भी मां ग्रहण करती है, शिशु भी उसे ग्रहण करता है। चाहे वह खाने की चीज हो या फिर संस्कार।

यह है पूरी प्रोसेस

इस अनोखी थेरेपी के बारे में आयुर्वेद विभाग की हेड डॉ. सुनीता सुमन बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं को वेद पढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही उन्हें पूजा-पाठ करने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्हें कर्णप्रिय संगीत भी सुनने को मिल रहा है और महापुरुषों के आचरण के बारे में भी सुनाया जा रहा है। वह बताती हैं कि बच्चे के हाव-भाव का पता लगाया जाता है कि वह वह खुश है या फिर डरा हुआ। उसे पांच वर्षों तक फालो किया जायेगा, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास का अध्ययन किया जा सके। डॉ. सुनीता सुमन ने कहा कि गर्भस्थ शिशु के लिए ऐसा माहौल किसी वरदान से कम नहीं साबित होगा। फिलहाल, यहां आने वाली महिलाओं को यह खासा पसंद आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि उन्हें काफी सुकून मिल रहा है।

लखनऊ में भी कोर्स

'गर्भ संस्कार' पर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स लखनऊ यूनिवर्सिटी में भी शुरू होने जा रहा है। पाठ्यक्रम में गर्भवती महिला को क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए, खुद को कैसे फिट रखना चाहिए और मातृत्व के बारे में पढ़ाया जाएगा। लखनऊ विवि के अलावा डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या में भी गर्भ संस्कार में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है।


मंगलवार, 3 नवंबर 2020

Nautanki : खत्म होता यूपी का लोकनृत्य, नगाड़े का नाद और तबले की ताल अब नहीं सुनाई देती

 


- पहले वीसीआर-टीवी ने और फिर मोबाइल ने खत्म किया Nautanki का क्रेज

- प्रेरणादायक कहानियों की बजाय बढ़ती फूहड़ता और अश्लीलता ने कम की नौटंकी की लोकप्रियता

- राजा हरिश्चंद्र, श्रवण कुमार, आल्हा-ऊदल, सुल्ताना डाकू और फूलन देवी जैसे पात्रों की कहानियां दिखाई जाती थीं

- नौटंकी में कविता और साधारण बोलचाल की भाषा इस्तेमाल की जाती थी, संवाद में तुकबंदी भी

- नौटंकी में सारंगी, तबले, हारमोनियम और नगाड़े जैसे वाद्य यंत्र इस्तेमाल होते हैं।

- अब नौटंकी न तो नौटंकी के कलाकार बचे हैं और न ही कद्रदान


Nautanki. नौटंकी उत्तर प्रदेश का लोकनृत्य (Uttar Pradesh Folk dance Nautanki) है जो अब विलुप्त सा होता जा रहा है। आज से दो दशक पहले नौटंकी ही लोगों के मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन हुआ करती थी। शादी-बारात हो या फिर कोई अन्य मांगलिक कार्यक्रम लोग अपनी खुशियां सेलिब्रेट करने के लिए नौटंकी का आयोजन करवाते थे। सहालग पर ग्रामीण इलाकों में कोई ऐसा दिन नहीं होता था, जब दो-चार कोस पर हर दिन नौटंकी के नगाड़े नहीं गूंजते हों। इसके अलावा भी लोग चंदा जमाकर हफ्ते भर के लिए नौटंकी का आयोजन करवाते थे। राजा हरिश्चंद्र, श्रवण कुमार, आल्हा-ऊदल के अलावा सुलताना डाकू और फूलन देवी जैसे कई पात्रों की कहानियां विशेष शैली में गा-गाकर दिखाई जाती थीं। लोग मजे-मजे लेकर नौटंकी देखा करते थे। हरदोई जिले के कोथावां ब्लॉक निवासी राम खेलावन बताते (55) हैं कि बचपन में अक्सर नौटंकी देखने जाते थे। पुराने दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि शाम होते ही जैसे नगाड़े की आवाज कानों में गूंजती, उनसे रहा नहीं जाता था। दोस्तों के साथ वह चुपके से निकल जाते थे नौटंकी देखने, फिर चाहे वह कितनी ही दूर क्यों न हो। सुबह खत्म होते ही वह घर लौट आते थे।

वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश में नौटंकी खूब देखी जाती, लेकिन कानपुर, इलाहाबाद और लखनऊ इसके प्रमुख केंद्र थे। धीरे-धीरे नौटंकी में फूहड़ता ने जगह बना ली। अब यहां प्रेरणादायक कहानियों की बजाय अश्लीलता परोसी जाने लगी। समाज के उच्च-दर्जे के लोग इसे 'सस्ता' और 'अश्लील' समझने लगे। वीसीआर (वीडियो कैसेट रिकॉर्डर) और टीवी (टेलिविजन) के अधिक चलन ने नौटंकी को हाशिये पर पहुंचा दिया। दूर संचार क्रांति और हर हाथ में मोबाइल के चलन की वजह लोग नौटंकी ही भूल गये। नौटंकी के सामानों के बड़े विक्रेताओं ने भी दुकानें बंद कर दीं। ऐसा ही एक नाम था लखनऊ के कुक्कू जी का, जिनके जिक्र के बिना अवध में नौटंकी के विकास या इतिहास की बात करना बेमानी था। स्व.कक्कू जी ने केवल भारत के विभिन्न स्थानों पर ही नहीं बल्कि विदेशों (लाहौर, करांची, नेपाल) में भी नौटंकी की है। नौटंकी विधा को लोकप्रिय बनाने व विकास करने के लिए भारत सरकार द्वारा कई पुरस्कार दिए गए। 

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एक-एक शो के लिए आते थे 20 हजार तक दर्शक

वर्ष 1920 में कक्कू जी ने लखनऊ के यहियागंज में नौटंकी के सामान की एक दुकान खोली। उनकी दुकान लगभग पिछले 100 वर्षों से भी अधिक समय से चल रही है। गांव हो या शहर नौटंकी का हर कलाकार या उससे जुड़ा व्यक्ति कक्कू जी और उनकी दुकान को जानता व पहचानता था। हालांकि, अब कोई नियमित तो वहां नहीं बैठता, लेकिन कस्टमर पहुंचने पर उनके बेटे सामान देने आ जाते हैं। 90 के दशक में कक्कू जी के स्वर्गवास के बाद उनके पुत्र बालकिशन जी दुकान चलाते हैं। बालकिशन जी बताते हैं कि पिताजी के समय पर ग्राहकों की लाइन लगी रहती थी अब तो कभी-कभी ही कोई ग्राहक आ जाता है। दुकान लगभग बंद कर दी है। अब उन्होंने बर्तन दुकान खोल ली है और नौटंकी के सामान को उठाकर घर में रख दिया है। जब कभी कोई ग्राहक आता है तो उसे घर ले जाकर सामान दे देते हैं। वह बताते हैं कि पिता जी के समय में लोगों के मनोरंजन का एकमात्र साधन नौटंकी ही था। दर्शक टिकट के लिए मारपीट तक कर देते थे। टिकटों की पहले ही बुकिंग हो जाती थी। एक शो के लिए 20,000 तक दर्शक आ जाते थे।

अब न कलाकर बचे और न ही कद्रदान

अब नौटंकी क्रेज खत्म हो गया है, जिसके चलते न तो कलाकार बचे हैं और न ही कद्रदान। कलाकारों ने नौटंकी की बजाय अब दूसरा पेशा चुन लिया। आखिर उन्हें भी तो अपनी रोजी-रोटी चलानी है। नौटंकी में कविता और साधारण बोलचाल की भाषा इस्तेमाल की जाती थी। तुकबंदी के जरिए संवाद किया जाता। नौटंकी में सारंगी, तबले, हारमोनियम और नगाड़े जैसे वाद्य इस्तेमाल होते हैं। तुकबंदी को उदाहरण से समझिए- सुल्ताना डाकू है बड़ा होशियार, पुलिस भी जाती है उससे हार..


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सोमवार, 2 नवंबर 2020

IPL 2020 : चेन्नई ने पंजाब को किया बाहर, KKR की उम्मीदें बरकरार, प्लेऑफ की रेस में 5 टीमें



- Chennai Super Kings ने Kings XI Punjab को प्लेऑफ की रेस से किया बाहर

- Rajastha Royals को हराकर Kolkata Knight Riders ने प्लेऑफ की उम्मीदें रखीं कायम

- Indian Premier League-13 के लीग राउंड में बचे हैं सिर्फ दो मैच

- Delhi Capitals और Royal Challengers Bangalore में नंबर दो टक्कर आज

- IPL 2020 में Mumbai Indians और Sunrisers Hyderabad के बीच मुकाबला 03 नवम्बर को

- राजस्थान रॉयल्स, चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें Playoff की रेस से हो चुकी हैं बाहर

Indian Premier League. इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें सीजन (IPL-13) के लीग राउंड में सिर्फ दो मैच बचे हैं, लेकिन भी तक अंतिम चार टीमों के नाम तय नहीं हो सके हैं। मुम्बई इंडियन्स (Mumbai Indians) प्लेऑफ (Playoff) में अपनी जगह पक्की कर चुकी है, लेकिन शेष तीन टीमें कौन होंगी मंगलवार को पता चल पाएगा। तब तक अगर-मगर की कयासबाजी चलती रहेगी। हालांकि, रविवार को खेले गये दो मैचों से उन टीमों का नाम साफ हो गया जो प्लेऑफ (IPL 2020) में नहीं पहुंच पाएंगी।

रविवार को कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने राजस्थान रॉयल्स (RR) को 60 रनों से हरा उसके प्लेऑफ में पहुंचने की उम्मीदों को खत्म कर दिया, लेकिन कोलकाता अंतिम चार पहुंचेगी या नहीं, यह सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और मुम्बई इंडियंस (MI) के बीच मुकाबले से तय होगा। अगर हैदराबाद हारती है तो केकेआर के लिए प्लेऑफ की साफ हो सकती है। रविवार को खेले गये दूसरे मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) ने किंग्स इलेवन पंजाब (Kings XI Punjab) 9 विकेट से हराकर प्लेऑफ में पहुंचने की पंजाब की उम्मीदों को खत्म कर दिया।

दिल्ली-बैंगलुरू में नंबर दो की लड़ाई

चेन्नई सुपरकिंग्स, किंग्स इलेवन पंजाब, राजस्थान रॉयल्स प्लेऑफ की रेस से बाहर हो चुकी हैं। अंकतालिका में सबसे निचले पायदान पर राजस्थान रॉयल्स है। मुंबई नंबर एक पर है। अब तक मुंबई इंडियंस ही अकेली ऐसी टीम है जिसने 16 प्वाइंट्स के साथ प्लेऑफ में जगह बनाई है। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू (RCB) और दिल्ली कैपिटल्स के बीच आज होने वाले मुकाबले से तय हो जाएगा कि नंबर दो पर कौन रहेगा। जो टीम जीतेगी वह सीधे प्लेऑफ में पहुंच जाएगी। हैदराबाद और कोलकाता में कोई टीम नंबर चार पर रहेगी। मुंबई इंडियन्स को हराकर ही कप्तान डेविड वार्नर की टीम अंतिम चार में बेहतर रनरेट की वजह से जगह बना पाएगी।

अंकतालिका में कौन कहां

मुंबई- 13 मैच, 09 जीत, प्वांइट्स- 16

बैंगलुरू- 13 मैच, 07 जीत, प्वांइट्स- 14

दिल्ली- 13 मैच, 07 जीत, प्वांइट्स- 14

कोलकाता- 14 मैच, 07 जीत, प्वांइट्स- 14

हैदराबाद- 13 मैच, 06 जीत, प्वांइट्स- 12

पंजाब- 14 मैच, 06 जीत, प्वांइट्स- 12

चेन्नई- 14 मैच, 06 जीत, प्वांइट्स- 12

राजस्थान- 14 मैच, 06 जीत, प्वांइट्स- 12