सोमवार, 30 मई 2011

नौटंकी वालों की नौटंकी

मुझे अपने एक साथी रजनीश के साथ रविवार को सुबह ४ बजे ही रिसर्च के लिए कानपुर जाना था | मैंने गार्ड से बोल दिया था सुबह ३:३० बजे मुझे जगा देना क्यूंकि सुबह ४ बजे ही बस लखनऊ से फैक़ल्टी लेने के लिए जाती है | मैंने रजनीश को बड़ी मुश्किल से जगाया वो बोला थोड़ी देर में चलेंगे मैंने बोला नहीं, कुछ लोग से मिलना है जिन्होंने ११ बजे तक का समय दिया है |हम दोनों जल्दी से समय पर तैयार हो गए पता चला बस ही नही जाएगी, रजनीश को मानो मौका मिल गया बोला सुबह-सुबह जगा दिया कहा था देर से चलो पता नहीं तुम्हे क्या जल्दी रहती है आदि....
 तभी पता चला इको लखनऊ जा रही है २ गेस्ट को छोड़ने, मैंने ड्राईवर चच्चू से कहा हमें भी लिए चलो संयोग से वो भी रेलवे स्टेशन ही जा रहे थे | रेलवे स्टेशन पहुंचकर हमने चाय-नाश्ता किया और ट्रेन का इंतजार करने लगे ट्रेन निर्धारित समय से केवल १० मिनट ही लेट आई थी, अगर गाड़ी समय पर ही आ जाये तो पता कैसे चलेगा  भारतीय रेलवे क़ी विशेषता !
मुझे कानपुर में हरिश्चंद्र जी जोकि मशहूर नक्कारा वादक हैं  उनसे तथा मधु अगरवाल जी  जो क़ी गुलाब बाई जी क़ी बेटी है और एक बड़ी नौटंकी कंपनी को चला रही हैं से मिलने जाना था |
मैंने ट्रेन में बैठते ही हरिश्चंद्र जी को एक मैसज कर दिया था क़ी सर हम लोग कानपुर १० बजे तक पहुँच जायेंगे क्यूंकि उन्होंने कहा था बेटा ११ बजे तक जरुर आ जाना मैंने स्टेशन पहुंचकर तुरंत काल क़ी पर रिसीव नहीं हो सका सोचा बिजी होंगे थोड़ी देर में करूँगा | तब तक बाहर निकलकर कुछ खा-पी लिया जाये, थोड़ी देर बाद मैं उन्हें लगातार कॉल करता रहा किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया | मैं बहुत परेशान  था बात क्यूँ नहीं हो पा रही है फिर सोचा बाहर निकलकर थोडा टाइम पास करके कॉल करूँगा |
मैं बाहर वाले गेट क़ी क़ी तरफ पंहुचा तभी एक टी टी ने मेरे दोस्त से टिकट माँगा, हम दोनों के टिकट उसके ही पास थे उसने दे दिया| मैंने टी टी से टिकट वापस माँगा उसने मना कर दिया बोला इसे जमा ही करना पड़ेगा | मेरे पास भी समय बहुत था और कुछ-कुछ गुस्सा भी आ रहा था , एक तो मेरा फोन रिसीव नहीं हो रहा था जिसके लिए मैं कानपुर तक भागा चला आया था | मैंने कहा अगर टिकट लेना है तो जितने पैसे में मैंने ख़रीदा है आधे मुझे दे दो और टिकट रख लो ,वह बोला यह रेल सम्पत्ति है इसे बाहर नहीं ले जा सकोगे अगर ले ही जाना है तो इसकी फोटोकॉपी करवा लेते |मैंने कहा ट्रेन में तो फोटोकॉपी होती नहीं है आप टिकट दीजिये मैं करवा के आपको देता हूँ  | उसने कहा नहीं दूंगा काफी विवाद बढ़ गया उसके  एक दो साथी और आ गये थे मैंने भी ठान लिया था मैं लेकर ही जाऊंगा |
उसने कहा इतनी बहस कर रहे हो इसका जुर्माना हमें चाहिए  कौन देगा ? मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूंछा ? आप सुप्रीम कोर्ट हो क्या जो आपसे मैं बहस नहीं कर सकता ? वह चुप हो गया मैंने कहा मैं यहीं पर खड़ा हूँ कोई भी यात्री बिना टिकट दिए निकलना नहीं चाहिए | वह लोगों से टिकट मांगता कोई भीड़ देखकर  निकल जाता, मैं उसकी तरफ देखकर चुपचाप मुस्कराए जा रहा था | मैं ये सोंचे जा रहा था क़ी क्या सच में
इन लोगों को रेलवे की इतनी फिकर है ? ये किस रेल सम्पत्ति की बात कर रहे हैं ? उसने मेरी तरफ देखा मैं पहले की तरह ही मुस्कराए जा रहा था , उसने मेरा टिकट वापस दे दिया बोला ये लो और जाओ |
 मेरा काफी समय पास हो चुका था मैंने फिर से फोन लगाया लेकिन किसी ने भी रिसीव तक नहीं किया मैं बहुत परेशान था | उन्होंने शनिवार को इतना बताया था की किदवई नगर पहुँच कर कॉल कर लेना  हम आ जायेंगे | हम दोनों चिलचिलाती धुप में टैक्सी से इधर-उधर भटकते रहे फोन करते रहे पर कोई जवाब नहीं आया | आखिर मधुजी की कॉल रिसीव हुयी कोई उनका पी. ए. बोल रहा था बोला १ घंटे बाद करना, १ घंटे बाद किया तो पता चला २५ मिनट बाद'२५ मिनट बाद किया रिसीव ही नहीं हुआ | मैंने एक मैसज उनके सेल पर छोड़ दिया और निराश दुखी मन से वापस जाने के लिए बस-अड्डे की तरफ चल पड़ा तभी मधु जी की कॉल आई मेरी तो जान में जान आ गयी |  उन्होंने बताया आज मैं जरुरी काम से अपने हसबैंड के साथ बाहर जा रही  हूँ आज नहीं मिल सकती |
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था लोग ऐसे क्यूँ होते हैं जब मिलना नहीं था बुलाया ही क्यूँ ?  हरिश्चंद्र जी जिन्होंने कहा था बेटा ११ बजे तक आ जरुर जाना ,उन्होंने तो फोन तक नहीं रिसीव  किया | कम से कम बात तो कर लेना चाहिए था |मेरी समझ में आ रहा था  क्यूँ पिछले ४० वर्षों से  नौटंकी के अच्छे कलाकार होने के बावजूद तंगी हालत से गुजर रहे  हैं |जिसे अपने और दूसरे के समय की चिंता न हो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता |
हम रात तक अपने इंस्टिट्यूट वापस आ गये थे और मैंने सोच लिया जरुरत पड़ने पर मैं शूट के लिए लखनऊ,इलाहाबाद तथा मथुरा में चला जाऊंगा पर कभी कानपुर नहीं जाऊंगा
  
         

    

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