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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

कोरोना महामारी : चुनौतियां और समाधान


23 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान हम सुबह घर से ऑफिस के लिए निकले थे। सड़कों पर सन्नाटा था और जगह-जगह पुलिस का पहरा। उस वक्त हमारे पास कोई 'पास' तो था नहीं, ऊपर से ऑफिस का आईडी कार्ड भी 2017 तक ही वैलिड था। लेकिन जाना ही था। हम निकले भी और रास्ते में कवरेज भी करते गये। हमने चारबाग रेलवे स्टेशन, विधानसभा और बापू भवन आदि की न केवल तस्वीरें खींची, बल्कि वीडियो भी बनाए जो उस दिन हमारे ग्रुप में सबसे पहले लगे भी। रोके जाने का डर भी था! इसलिए जहां पुलिसवाले ज्यादा दिखते, मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगता। तमाम विजुअल्स लेकर करीब नौ बजे ऑफिस पहुंच गया था। अब जिम्मेदारी जल्द से जल्द वेबसाइट पर आंखों देखे हालात वीडियो और तस्वीरों के साथ अपडेट करने की थी। और किया भी। 11 बजेफिर तीन लोगों की टीम के साथ पत्रिका की आईडी लेकर फील्ड में निकल गया और हजरतगंज व चौक चौराहे से फेसबुक पेज पर लाइव किया। ऑफिस लौटकर खबरें व वीडियो लगाए और शाम होते-होते पता चला कि अगले दिन से लॉकडाउन शुरू हो जाएगा।

लॉकडाउन लागू हुआ तो घर से लेकर ऑफिस तक तमाम तरह की चिंताएं बढ़ गईं। कोरोना के डर के साथ ऑफिस जाने की चिंता भी थी। सुबह ही घर से निकले। 12 किमी दूर ऑफिस तक जाने में करीब 15 जगह पुलिस की तगड़ी चेकिंग थी। जगह-जगह बैरिकेडिंग लगी थी। दो-तीन जगहों से पास हो गया, लेकिन आगे रोक लिया गया। क्योंकि मेरे पास आईडी कार्ड नहीं था। घर लौटना ही मजबूरी थी। वापस लौटते वक्त थोड़ा मायूस जरूर था, लेकिन ताजा हालात के फोटो लेना नहीं भूला था। उस दिन घर से ही काम शुरू किया। अगले दिन ऑफिस से प्रेसकार्ड बनकर आ गया था। एक दो दिन में सूचना से पास भी मिल गया। उसी रुटीन के साथ नियमित ऑफिस जाने लगा। रास्ते के फोटो और वीडियो लेते जाना और फिर ऑफिस पहुंचते ही उन्हें खबर में लगाना। इस दौरान घर परिवार को लेकर चिंता भी बढ़ गई थी, डर लगता था कि मेरे घर में कहीं मैं ही कोरोना का कैरियर न बन जाऊं। बहरहाल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सावधानी से ऑफिस जाता रहा।

लॉकडाउन का अगला चरण शुरू हो चुका था। महामारी बढ़ने के साथ ही कोरोना का खौफ और चुनौतियां भी बढ़ती जा रही थीं। इस बीच मेरा एक्सीडेंट हो गया, जिसके चलते दाहिने हाथ की हथेली तीन जगह से फ्रैक्चर हो चुकी थी, लेकिन मैं घर में नहीं बैठना चाहता था। डेढ़ महीने के लिए प्लास्टर चढ़ा था। डॉक्टर से बात कर प्लास्टर ऐसे चढ़वाया कि हाथ की उंगली और अंगूठा खुला रहे। तीन दिन के बाद फिर से ऑफिस जाने लगा। सड़कें खाली होने की वजह से बाइक चलाने में खास दिक्कत नहीं हुई। धीरे-धीरे प्लास्टर वाला हाथ  माउस पकड़ने का अभ्यस्त हो गया और आम दिनों की तरह काम करने लगा। कई बार हाथ में दर्द होती तो काम बंद कर देता और थोड़ी देर बाद फिर से काम शुरू कर देता। भले ही तमाम मुश्किलें आईं, लेकिन हर दिन शिद्दत से काम करता रहा और अपना टारगेट अचीव किया।

45 दिनों बाद प्लास्टर कटा तो फिर दो दिन की छुट्टी ली। इसके बाद बाद वर्क फ्रॉम होम शुरू किया, क्योंकि डॉक्टर ने हफ्ते भर तक बाइक चलाने से मना किया था। वर्क फ्रॉम होम का अलग ही अनुभव था। सुबह से शाम तक घर वालों के बीच होते हुए भी न हो पाना। लगातार काम पर फोकस। घर से ही प्रियोरिटी, डे प्लान, ई-पेपर न्यूज प्लान, टीम क्वार्डिनेशन जैसे तमाम कामों के बीच काम करना आसान नहीं था। वर्क फ्रॉम होम में काम के घंटे बढ़ा दिये थे। नंबर ऑफ न्यूज पूरा करने के लिए कभी-कभी सुबह चार बजे उठकर ही खबरें करने लगता, सात बजे तक करीब पांच खबरें लगाकर ही उठता। उसके बाद फिर दैनिक काम से निवृत्त होकर नौ बजे से काम पर लग जाता। बीच-बीच में सड़क पर जाकर फोटो और वीडियो भी लाता। हालांकि, इंटरनेट और लाइट भी खूब इम्तिहान लेती रही। लैपटॉप मोबाइल से ही चलाते थे। घर में सबसे बोल दिया था कि नेट हमारे लिए बचा के रखना। कभी हमारा पैक खत्म हो जाता तो घर में वाइफ का या फिर बड़े दादा आदि के वाईफाई से काम चलाता। इस सबका मकसद एक ही था कि काम बाधित न हो और नहीं हुआ। वर्क फ्राम होम में भी हर टारगेट अचीव किया।

लॉकाडाउन के बाद अनलॉक का दौर शुरू हो चुका था। अब तक तमाम तरह की चुनौतियां बढ़ चुकी थीं। लोग कम हो रहे थे और काम बढ़ता जा रहा था। अब यूपी से चार पेज (डिजिटल+ईपेपर) बनने थे। अखबार के लिए खबरें भी निकालनी थीं और वीडियो भी बनाने थे। जिलों से क्वार्डिनेशन करना था। डिजिटल और पेज प्लान भी करना था। चुनौती यह भी थी कि खबरों की संख्या कम न हो और यूवी-पीवी भी मेनटेन रहे। कम से कम दो स्पेशल खबरें भी हों, जिनमें सभी मानक पूरे हों। यह सब इतना आसान नहीं था। लेकिन हर मुश्किल की तरह इसका भी रास्ता निकला। यूवी-पीवी वाली कम से कम एक खबर मैं रोजाना ऑफिस निकलने से पहले करने लगा और कम से कम दो दिमाग में, जिन पर ऑफिस में काम करना था। ऑफिस पहुंचते ही सबसे पहले घर से बनाकर लाई गई खबर को पोस्ट करता हूं, ताकि पूरे दिन यूवी-पीवी का झंझट खत्म हो सके। और ऐसा ही हुआ भी। करीब 70 फीसदी ऐसी खबरें थी, जिन्होंने रियल टाइम में कमाल किया।

अब सड़कों, बाजारों में बढ़ती भीड़ और संक्रमितों के आंकड़े डरा रहे हैं। परिवार की भी चिंता है और काम का प्रेशर भी। इस सबके बीच सैलरी कटने की टेंशन अलग। सैलरी कटी तो लगा ये क्या, हम तो फिर पिछले पांच साल वाले सैलरी स्ट्रक्चर पर आ गये। शुरुआत में मानसिक तौर पर अधिक पीड़ा हुई, पर इंडस्ट्री का हाल देखकर लगा कि चलो कम से कम ही नौकरी बची है, यही कम है क्या? क्योंकि हर दिन किसी न किसी की जाती नौकरी हमें खुद की चिंता करने पर विवश कर देती। रोजाना यही लगता कि कहीं अगला नंबर मेरा तो नहीं है। कई बार ज्यादा तनाव होने पर साथियों और वरिष्ठों से बात की जो मोटिवेट करते कि बदलाव ही कुदरत का नियम है। धैर्य रखो, कोरोना संकट भी खत्म होगा और एक दिन सब पहले जैसा होगा ही। बस आज को जीते हुए अपना बेस्ट करते जाइए। अब इसी फॉर्मूले पर और हर दिन बेहतर करने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं। परिस्थितियां कैसी भी रही हों, कितनी भी बड़ी चुनौतियां आईं पर कभी काम प्रभावित नहीं होने दिया। हर दिन और हर महीने बेस्ट देता रहा और आगे भी देता रहूंगा। 

रविवार, 7 जून 2020

जहान के लिए जान दांव पर..!


लॉकडाउन 2.0 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जान है जहान है का स्लोगन बदलकर जान भी और जहान भी कर दिया था। जहान को बचाने लिए 'लॉक' को 'डाउन' कर अनलॉक (Unlock 1.0) कर दिया गया। भारत में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अनलॉक 1.0 में सब कुछ खुल चुका है। लोग सड़कों पर हैं। गांव हो या शहर कोरोना (Covid 19) की परवाह किए बिना सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं नतीजन, कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ चुका है। हर दिनों हजारों की संख्या में मिलते पॉजिटिव मरीज (Corona Positive) चिंता का विषय है।

देश में अब तक संक्रमित मरीजों की संख्या (Corona Positive in India) ढाई लाख पार कर चुकी है। कुल संक्रमितों की संख्या में अमेरिका, ब्राजील, रूस और ब्रिटेन ही भारत से आगे हैं। अब तक करीब 7 हजार मरीजों की मौत हो चुकी है वहीं, एक लाख से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। भारत का सबसे अधिक संक्रमित राज्य महाराष्ट्र है, जहां करीब 83 हजार पॉजिटिव केस मिले हैं। तमिलनाडु में 30 से अधिक, दिल्ली में करीब 28 हजार, गुजरात में करीब 20 हजार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का मानना है कि अगर ज्यादा संख्या में जांच (Covid Test) की जाए तो कोरोना वायरस के मामले भारत में अमेरिका से ज्यादा निकलेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अब तक दो करोड़ जांच की जा चुकी है। भारत में अब तक 45 लाख से अधिक लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है, जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों से आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि भारत पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है, हालांकि डब्ल्यूएचओ अभी की स्थिति को विस्फोटक नहीं मानता है। 


अब हमारे हवाले वतन साथियों

केंद्र व राज्य सरकार तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन वो नाकाफी हैं। अब जब तक लोग खुद भी इसे सीरियसली नहीं लेंगे। संक्रमण को रोक पाना मुश्किल होगा। अस्पतालों की स्थिति भी बेहद भयावह होती जा रही है। दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में अभी से अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। डॉक्टर से लेकर नर्स तक संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनेटाइजर का इस्तेमाल करते रहें। साथ ही खान-पान में बेहद सजगता बरतकर इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करें तभी आप कोरोना का मुकाबला कर पाएंगे। क्योंकि अब हमारा वतन हमारे हवाले है। जब आप सुरक्षित रहेंगे तभी परिवार, समाज, देश और जहान भी सुरक्षित रहेगा। इसलिए फिलहाल जान है तो जहान हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।