- गर्भवती महिलाओं के लिए बीएचयू में शुरू हुई Garbh Sanskar Therapy
- गर्भवती महिलाओं को संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी दी जा रही है
- प्रेग्नेंसी में जो भी मां ग्रहण करती है, शिशु भी उसे ग्रहण करता है, चाहे वह खाने की चीज हो या फिर संस्कार
लखनऊ. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय का आयुर्वेद विज्ञान विभाग एक नई थेरेपी शुरू कर दी है। इस अनोखी थेरेपी के तहत अब गर्भ में बच्चों को संस्कार (Garbh Sanskar Therapy) की शिक्षा दी जा रही है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी दी जा रही है। ताकि होने वाला शिशु जन्म के बाद समाज की कुरीतियों से लड़ने में खुद को सक्षम पाये। भजन और मंत्रोच्चार के बीच अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के गर्भ में शिशु के हलचलों पर डॉक्टर नजर रख रहे हैं। इस थेरेपी से आने वाले रिजल्ट को देखकर डॉक्टर के साथ-साथ गर्भवती महिलाएं भी खुश हैं।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के मेडिकल सुपरिण्टेंडेंट एसके माथुर कहते हैं कि आधुनिक अस्पतालों ने इसे बंद कर दिया है, लेकिन आयुर्विज्ञान में यह क्रिया पहले ही चली आ रही है। इसे हमारा विभाग फिर से शुरू कर रहा है। उन्होंने बताया कि विज्ञान कहती है कि गर्भस्त शिशु तीन महीने बाद हलचल करना शुरू कर देता है। प्रेग्नेंसी के दौरान जो भी मां ग्रहण करती है, शिशु भी उसे ग्रहण करता है। चाहे वह खाने की चीज हो या फिर संस्कार।
यह है पूरी प्रोसेस
इस अनोखी थेरेपी के बारे में आयुर्वेद विभाग की हेड डॉ. सुनीता सुमन बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं को वेद पढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही उन्हें पूजा-पाठ करने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्हें कर्णप्रिय संगीत भी सुनने को मिल रहा है और महापुरुषों के आचरण के बारे में भी सुनाया जा रहा है। वह बताती हैं कि बच्चे के हाव-भाव का पता लगाया जाता है कि वह वह खुश है या फिर डरा हुआ। उसे पांच वर्षों तक फालो किया जायेगा, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास का अध्ययन किया जा सके। डॉ. सुनीता सुमन ने कहा कि गर्भस्थ शिशु के लिए ऐसा माहौल किसी वरदान से कम नहीं साबित होगा। फिलहाल, यहां आने वाली महिलाओं को यह खासा पसंद आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि उन्हें काफी सुकून मिल रहा है।
लखनऊ में भी कोर्स
'गर्भ संस्कार' पर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स लखनऊ यूनिवर्सिटी में भी शुरू होने जा रहा है। पाठ्यक्रम में गर्भवती महिला को क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए, खुद को कैसे फिट रखना चाहिए और मातृत्व के बारे में पढ़ाया जाएगा। लखनऊ विवि के अलावा डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या में भी गर्भ संस्कार में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है।
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