मां... केवल स्मरण मात्र से मां के कोमल, ममतामयी स्पर्श की अनुभूति होती है। ई·ार ने हमें मां के रूप में एक ऐसा अनमोल तोहफा दिया, जिसकी ममतामयी छांव के लिए भगवान भी सदा लालायित रहता है। मां तमाम कष्टों को झेलती हुई भी अपनी संतान पर हमेशा अपना प्यार लुटाती रहती है। एक मां कई बच्चों को तो पाल सकती है लेकिन कई बच्चे मिलकर भी एक मां को नहीं पाल सकते। पूरी दुनिया बदल सकती है पर मां और उसका नि:स्वार्थ प्यार कभी नहीं बदलता।
जब आप अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते थे, आपको चल नहीं पाते थे, तब सबसे पहले मां ने हमें उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जब हमें बोलना नहीं आता था, हम पानी मांगना भी नहीं जानते थे, तब हमारी मां हमारे इशारों और हाव-भावों से ही हमारी जरूरतों को समझ लेती थी, लेकिन आज हम अपनी मां से कहते हैं मां तुम मेरी फीलिंग्स को नहीं समझ सकती हो।
मां अनमोल है उसको न तो पैसे से तोला जा सकता है और न ही किसी भी तरह के लालच में उसे बहकाया जा सकता है। मां की कीमत उस अभागे से पूंछो जिसके पास मां रूपी अनमोल धरोहर नहीं है।
बेटे सपूत हों या कपूत त्याग की प्रतिमूर्ति मां हमेशा अपने लख्ते जिगरों पर अपनी छत्रछाया बनाए रखती है, अपने बेटों पर प्यार, आशीर्वाद और स्नेह की बरसात करती रहती है। इसीलिए कहा भी गया है पूत कपूत सुने हैं पर नहीं माता सुनी कुमाता
जब आप अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते थे, आपको चल नहीं पाते थे, तब सबसे पहले मां ने हमें उंगली पकड़कर चलना सिखाया। जब हमें बोलना नहीं आता था, हम पानी मांगना भी नहीं जानते थे, तब हमारी मां हमारे इशारों और हाव-भावों से ही हमारी जरूरतों को समझ लेती थी, लेकिन आज हम अपनी मां से कहते हैं मां तुम मेरी फीलिंग्स को नहीं समझ सकती हो।
मां अनमोल है उसको न तो पैसे से तोला जा सकता है और न ही किसी भी तरह के लालच में उसे बहकाया जा सकता है। मां की कीमत उस अभागे से पूंछो जिसके पास मां रूपी अनमोल धरोहर नहीं है।
बेटे सपूत हों या कपूत त्याग की प्रतिमूर्ति मां हमेशा अपने लख्ते जिगरों पर अपनी छत्रछाया बनाए रखती है, अपने बेटों पर प्यार, आशीर्वाद और स्नेह की बरसात करती रहती है। इसीलिए कहा भी गया है पूत कपूत सुने हैं पर नहीं माता सुनी कुमाता
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