कल का दिन भारतीय खेल प्रेमियों के लिए " कहीं ख़ुशी कहीं गम " भरा रहा | एक तरफ भारतीय हाकी टीम,जिसने अपने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को ४-२ से रौंदकर एशियाई चैम्पिंशिप की ट्राफी अपने नाम कर ली |वहीँ दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट टीम एक के बाद एक मैच हारकर अपनी इज्जत का फालूदा बनाने पर तुली है |जब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गयी थी,टेस्ट रैंकिंग में नम्बर एक टीम थी, लेकिन इंग्लैंड ने भारतीय टीम की लुटिया डुबोने में कोई कसर नही छोड़ी |
टेस्ट सीरीज में टेस्ट सीरीज में इंग्लैण्ड ने भारतीय टीम से ताज के साथ-साथ लाज भी लूट ली,इस सीरीज में भारतीय टीम कोई भी मैच जीतना तो दूर की बात है किसी भी मैच में संघर्ष तक नहीं कर सकी । इंग्लैण्ड दौरे से पहले किसी ने सोचा भी नही था कि विश्व चैम्पियन टीम का यह हस्र होगा,ऐसा शर्मनाक प्रदर्शन करेगी । हार का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा,एक मात्र ट्वेन्टी मैच में भी हराने के साथ ही एकदिवसीय श्रंखला भी इंग्लैण्ड ने अपने नाम कर ली ।
भारतीय हॉकी टीम ने एशियाई चैम्पियनशिप जीतकर खेलप्रेमियों को खुश होने का सुनहरा अवसर दिया ।हालांकि हॉकी राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद वह सम्मान हासिल नहीं कर सकी जिसकी वह हकदार है,ऐसे भी कह सकते हैं हम कि भारतीय हॉकी खेल का हाल अपनी राजभाषा जैसा हो गया है। राजनीति और भेदभाव से ग्रसित अपनी खोई पहचान को तलाशती हॉकी टीम ने चीन में चल रही एशियन चैम्पियनशिप जीतकर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है । यह अजीब बिडम्बना ही है कि हॉकी टीम के खिलाड़ी देश के लिेए खेलकर भी वह शोहरत नहीं हासिल कर पा रहें हैं,जिसके वे सही मायनों में हकदार हैं ।
राष्ट्रीय हॉकी टीम के सारे खिलाड़यों को बहुत कम लोग ही जानते होंगे जबकि वहीं क्रिकेट टीम खिलाड़ियों यहां तक कि बेंच स्ट्रेथ को बहुतायत संख्या में लोग जानते हैं । अगर हम यह कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दर्शक हर खिलाडी के बारे में इतना जानता है कि वह खुद बिना चयनकर्ताओं से अच्छी टीम चुन लेगा ।
इसका मतलब यह है नहीं कि मुझे क्रिकेट या क्रिकेट खिलाड़ियों से कोई भेदभाव है बल्कि मुझे भी क्रिकेट बहुत पसंद है ।
आज जरुरत यह है कि जैसे हम क्रिकेट खिलाड़ियों को सर आंखों पर बिठाते हैं वैसे ही इनको भी बैठाने की जरुरत है,तब देखना हॉकी टीम कहां से कहां से पहुंच जाती है ।
इस विषय पर मीड़िया को ध्यान देना होगा,उसे भी लोगों के बीच में हॉकी टीम के खिलाड़ियों और उनके प्रदर्शन को हाईलाइट करना पड़ेगा । पता चला कहीं हॉकी मैच हो रहें हैं लोगों को पता तक नहीं एक बार खेल प्रष्ठ पर बॉटम स्टोरी छप गयी तो छप गयी । जबकि वहीं क्रिकेट टीम कहीं अगर पैक्टिस मैच भी खेलती है तो चार दिन पहले से खबर आने लगती है ।
आज हमारे हॉकी टीम,हॉकी प्लेयर को वही सब जरुरत है ताकि आगे आने वाली पीढ़ी एक नये जोश के साथ तैयार हो सकें । सरकार को भी हॉकी की दशा सुधारने के लिेए उचित ध्यान देने की जरुरत है तभी हम अपने राष्ट्रीय खेल को आगे ले जा सकेंगे ।
भारतीय हॉकी टीम ने एशियाई चैम्पियनशिप जीतकर खेलप्रेमियों को खुश होने का सुनहरा अवसर दिया ।हालांकि हॉकी राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद वह सम्मान हासिल नहीं कर सकी जिसकी वह हकदार है,ऐसे भी कह सकते हैं हम कि भारतीय हॉकी खेल का हाल अपनी राजभाषा जैसा हो गया है। राजनीति और भेदभाव से ग्रसित अपनी खोई पहचान को तलाशती हॉकी टीम ने चीन में चल रही एशियन चैम्पियनशिप जीतकर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है । यह अजीब बिडम्बना ही है कि हॉकी टीम के खिलाड़ी देश के लिेए खेलकर भी वह शोहरत नहीं हासिल कर पा रहें हैं,जिसके वे सही मायनों में हकदार हैं ।
राष्ट्रीय हॉकी टीम के सारे खिलाड़यों को बहुत कम लोग ही जानते होंगे जबकि वहीं क्रिकेट टीम खिलाड़ियों यहां तक कि बेंच स्ट्रेथ को बहुतायत संख्या में लोग जानते हैं । अगर हम यह कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दर्शक हर खिलाडी के बारे में इतना जानता है कि वह खुद बिना चयनकर्ताओं से अच्छी टीम चुन लेगा ।
इसका मतलब यह है नहीं कि मुझे क्रिकेट या क्रिकेट खिलाड़ियों से कोई भेदभाव है बल्कि मुझे भी क्रिकेट बहुत पसंद है ।
आज जरुरत यह है कि जैसे हम क्रिकेट खिलाड़ियों को सर आंखों पर बिठाते हैं वैसे ही इनको भी बैठाने की जरुरत है,तब देखना हॉकी टीम कहां से कहां से पहुंच जाती है ।
इस विषय पर मीड़िया को ध्यान देना होगा,उसे भी लोगों के बीच में हॉकी टीम के खिलाड़ियों और उनके प्रदर्शन को हाईलाइट करना पड़ेगा । पता चला कहीं हॉकी मैच हो रहें हैं लोगों को पता तक नहीं एक बार खेल प्रष्ठ पर बॉटम स्टोरी छप गयी तो छप गयी । जबकि वहीं क्रिकेट टीम कहीं अगर पैक्टिस मैच भी खेलती है तो चार दिन पहले से खबर आने लगती है ।
आज हमारे हॉकी टीम,हॉकी प्लेयर को वही सब जरुरत है ताकि आगे आने वाली पीढ़ी एक नये जोश के साथ तैयार हो सकें । सरकार को भी हॉकी की दशा सुधारने के लिेए उचित ध्यान देने की जरुरत है तभी हम अपने राष्ट्रीय खेल को आगे ले जा सकेंगे ।
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