भारतेंदु नाट्य कला एकेडमी में २२ जून २०११ को मुद्रा राक्षस द्वारा रचित नाटक "गुफाएं " का मंचन किया गया |
जिसमे कलाकारों ने शानदार अभिनय किया , दर्शक भी खूब आये थे |इसके प्रबंधक मस्तो जी थे जिन्होंने बहुत मेहनत की थी | जिसे देख कर लग रहा था कि फिर से लोक रंगमंच कि तरफ लौट रहे हैं |
शो देखने का टिकट ३० रूपये था | हम सब लोग बीजू सर के साथ देखने गये थे
लेकिन कथानक में कोई दम नही था लोग देखते-देखते थक सा गये थे ,शायद जिसका सबसे बड़ा कारण था
केवल मंच पर दो कलाकारों द्वारा ही अभिनय करना | उन दोनों ने अभिनय बहुत ही शानदार किया
पर एक कलाकार द्वारा बदल-बदल कर ४ रोल करना हजम नहीं हो रहा था |
अंत में निष्कर्ष भी समझ में नही आया क्या सन्देश देना चाहते थे और कभी-कभी तो कन्फ्यूजन इतना हो जाता था
कि समझ में ही नहीं आता क्या चल रहा है स्टोरी में ?
फ़िलहाल शानदार अभिनय किया कलाकारों ने जिसके लिए वो बधाई के पात्र हैं |
लेकिन आयोजकों को यह सोचना होगा कि रंगमंच से विमुख होते दर्शकों को हम कुछ ऐसा दिखाएँ जिससे वो रंगमंच से जुड़े रहें ,|
नोट
मेरे पास मेरा कैमरा था जिससे मैंने कुछ तस्वीरें लीं थी | पर मुझसे एक गलती हो गयी थी जिसके लिए मैं आप सबसे माफ़ी मांगता हूँ |
मैंने अपने कैमरे में गेन चेक नही किया था वापस आकर देखा तो पता चला गेन १६०० था | जैसी भी तस्वीरें हैं मैं इन्हे ब्लॉग पर डाल रहा हूँ |
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