रविवार, 6 सितंबर 2020

Black Spots : यूपी में ये हैं जानलेवा मार्ग, यहां होते हैं सबसे ज्यादा हादसे

 


- उत्तर प्रदेश की सड़कों पर 495 Black Spots चिन्हित

- संभल कर करें ड्राइविंग, जरा सी असावधानी दुर्घटना का सबब बन सकती है

- सभी ब्लैक स्पॉट को सुधारने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है पीडब्ल्यूडी

लखनऊ. ड्राइविंग करते वक्त बेहद शानदार रहें। आपकी जरा सी असावधानी दुर्घटना का सबब बन सकती है। उत्तर प्रदेश की सड़कों पर करीब 500 डेथ प्वाइंट हैं, जहां आये दिन होने वाले हादसों में लोग जान गंवाते रहते हैं। यूपी की विभिन्न सड़कों पर 495 'ब्लैक स्पॉट' (Black Spots)चिन्हित किये हैं, जहां अब तक 10 या उससे ज्यादा लोग हताहत हो चुके हैं। पीडब्ल्यूडी के मार्गों पर पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट में अधिकांश वो जंक्शन प्वाइंट हैं, जहां कोई ग्रामीण मार्ग (एमडीआर) किसी स्टेट हाईवे या प्रमुख जिला मार्ग से आकर मिलता है। कुछ हादसे संकरी पुलिया के कारण भी होते हैं। पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश के सभी ब्लैक स्पॉट को सुधारने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है।

ब्लैक स्पॉट उन स्थानों को चिन्हित किया जाता है, जहां एक ही दुर्घटना में 10 या उससे अधिक लोगों की मौत हुई है या फिर इतने ही ही लोग गंभीर रूप से घायल हुए हों। इसके अलावा उन स्पॉट्स को भी ब्लैक स्पॉट कहा जाता है, जहां बीते तीन वर्षों में अलग-अलग समय पर हुए हादसों में 10 या उससे अधिक लोग हताहत हुए हों।

इन स्थानों पर होने वाले हादसों को रोका जा सके इसके लिए पीडब्ल्यूडी दीर्घकालीन कार्ययोजना तैयार कर रहा है। पीडब्ल्यूडी अफसरों का कहना है कि अल्पकालीन उपाय के तौर पर रंबल स्ट्रिप (स्पीड ब्रेकर) और साइनबोर्ड की व्यवस्था की गई है। वहीं, स्थायी हल के लिए ब्लैक स्पॉट वाली मोड़ों को सीधा करना और संकरी पुलिया को चौड़ी करने की योजना पर काम किया जा रहा है।

इन मार्गों पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट

लोक निर्माण विभाग में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के इटावा-मैनपुरी मार्ग, अलीगंज-सोरो मार्ग, इलाहाबाद-गोरखपुर मार्ग, उन्नाव-कानपुर मार्ग, कासगंज-अतरौली मार्ग, गोरखपुर-देवरिया-बलिया मार्ग, जीटी रोड, तम्बौर-महमूदाबाद मार्ग, दातागंज-समरेर-बल्लिया मार्ग, दिल्ली-बरेली-लखनऊ मार्ग, दिल्ली-मेरठ पुराना राष्ट्रीय मार्ग-58, पलिया-लखनऊ मार्ग, पीलीभीत-बरेली-मथुरा-भरतपुर मार्ग, पीलीभीत-बरेली शहरी भाग, बहराइच-फैजाबाद-आजमगढ़ मार्ग, बहराइच-सीतापुर मार्ग, बिलराया-पनबाड़ी मार्ग, बुलंदशहर-सियाना-गढ़ मार्ग, मुरादाबाद-फर्रुखाबाद मार्ग, रिंग मार्ग कानपुर मार्ग से रायबरेली मार्ग, लखनऊ-बलिया मार्ग, लखनऊ-बांगरमऊ-बिल्हौर मार्ग, लिपुलेख-भिंड मार्ग, शिकोहाबाद-भोगांव मार्ग, हमीरपुर-राठ-मझगवां आदि मार्गों पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट हैं।

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

Sonu Sood : दि रियल हीरो...

 


- Corona Epidemic के दौरान लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं Sonu Sood

- एक दिन में 41,000 से ज्यादा लोगों ने मांगी सोनू सूद से मदद

- बिना जाति-धर्म देखे सबकी कर रहे बेझिझक मदद, विदेशों से भी आ रहे हेल्प मैसेज


'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे कि बता तेरी रज़ा क्या है'... उर्दू शायर अल्लामा इकबाल की पंक्तियां Sonu Sood पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। Corona Epidemic के दौरान सोनू सूद लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। इस दौरान जिस किसी ने उनसे मदद मांगी, जाति-धर्म देखे बिना सोनू ने बेझिझक सबकी मदद की। बहन के ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं हैं? बाढ़ सब बहा ले गई है? कहीं फंसे हैं? या कोई और दिक्कत है? बिना किसी स्वार्थ के वह सबकी मदद कर रहे हैं। लॉकडाउन में फंसे लोगों को जब कोई उम्मीद नहीं दिखी तो सोनू सूद ने उनकी मदद की। जररूत के मुताबिक, उन्हें बसों-गाड़ियों और हवाई जहाज से भेजा। भूखों को खाना खिलाया। बीमारों के इलाज में मदद की। और वह सबकी मदद कर रहे हैं। लोगों को भरोसा है सरकार और रिश्तेदार भले न सुनें, लेकिन सोनू सूद मदद जरूर करेंगे।

हाल ही में सोनू सूद ने एक आदिवासी बच्ची की मदद करने का एलान किया है। एक आदिवासी लड़की का वीडियो शेयर करते हुए दरअसल, ट्विटर पर यूजर ने लिखा था कि बाढ़ में अंजली का घर लगभग जमींदोज हो गया। नेस्तानाबूद हुए घर को देखकर तो नहीं मगर बांस की बनी टोकरी में रखी हुईं अपनी भीगी हुई पुस्तकों को देख इस बच्ची के आंखों में आंसू आ गए। किसी आदिवासी बच्ची में ऐसा पुस्तक प्रेम मैंने पहली बार देखा। सोनू सूद से मासूम की आखों में आंसू नहीं देखे गये। उन्होंने रिप्लाई करते हुए लिखा- 'आंसू पोंछ ले बहन, किताबें भी नई होंगी, घर भी नया होगा।' सिर्फ यह बच्ची ही नहीं सोनू सूद अब तक लाखों की मदद कर चुके हैं।

ट्विटर, फेसबुक, हेल्पलाइन, ई-मेल, इंस्टाग्राम पर तमाम लोग सोनू सूद मदद मांग रहे हैं। वह हर किसी की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मदद मांगने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि एक दिन में 41 हजार से ज्यादा लोगों ने उनसे मदद मांगी। मदद मांगने वालों में विदेशों से भी हैं। लोगों को अपने करीबियों से ज्यादा सोनू से उम्मीदें हैं। वह भी दिल खोलकर मदद कर रहे हैं। सोचिए, इतने लोगों की मदद कर पाना अकेले सोनू के बस की बात नहीं, लेकिन वह मुस्कराकर सभी की मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं वह माफी भी मांगते हैं कि अगर किसी वजह से मैसेज न पढ़ पाये हों। 

फिल्मों धाकड़ विलेन का धाकड़ रोल निभाने वाले सोनू सूद रियल लाइफ में असली हीरो हैं। ऐसे समय में जब कोई किसी को बिना स्वार्थ के 'भूनी भांग' तक नहीं देता, जिंदगी की गाढ़ी कमाई वह दोनों हाथों से लुटा रहे हैं। एक ट्विटर यूजर ने कहा कि 'बस इतना क़ामयाब होना है कि सोनू सूद सर जैसे सबकी मदद कर सकूं। इस ट्वीट पर सोनू ने रिप्लाई करते हुए लिखा- 'कामयाब होकर मदद नहीं की जाती भाई.. मदद करने से कामयाब होते हैं।' 

कहते हैं कि 'परसत मन मैला करे सो मैदा जलि जाय..' सच में कामयाबी और मदद का कोई लेना देना नहीं हैं। किसी की मदद करना बड़े दिल की बात होती है। घर भरा होने पर भी लोग भिखारियों को भगा दिया करते हैं। आज अगर देश के कामयाब लोगों में से 10 फीसदी भी सोनू सूद की तरह दूसरों की मदद करें तो तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी। लेकिन इसके लिए जरूरी है सच्चा सेवा भाव। वरना आप सबको युधिष्ठिर की राजसूय यज्ञ और सुनहले नेवले वाली कहानी तो याद ही होगी...


मंगलवार, 18 अगस्त 2020

Corona Virus : सामने है कोरोना की असाधारण चुनौती

28 coronavirus myths busted


 - सावधानी और धैर्य ही महामारी से बचाव का एकमात्र तरीका

- देश में 26 लाख पार कोरोना संक्रमित, 50 हजार से अधिक की मौत

- होम आइसोलेशन में लापरवाही भी बढ़ा रही मुश्किल


देश में कोरोना महामारी असाधारण चुनौतियां लेकर आई है। नए-नए तरीकों से लोगों पर अटैक कर रहा है। आम क्या खास सभी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। किसी में लक्षण दिखते हैं तो किसी में नहीं। अभी तक कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित बताये जा रहे नवजात भी अब इसकी चपेट में आ रहे हैं। लखनऊ में तीन नवजातों में कोरोना की पुष्टि हुई है, जबकि मां निगेटिव थी। देश में अब संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है जबकि संक्रमण से मरने वाले 50 हजार का आंकड़ा पार कर चुके हैं। हर दिन सैकड़ों की संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं। हालांकि, इस बीच देश सरकार ने जहां कोविड जांच में तेजी बढ़ाई है वहीं, अस्पतालों में भी लगातार बेड बढ़ाए जा रहे हैं। बावजूद अभी और तेजी दिखाने की जरूरत है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि अपने देश में अभी कोरोना चरम पर नहीं आया है। ऐसे में सावधानी और धैर्य ही महामारी से बचाव का एकमात्र तरीका है।

संक्रमण की रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है देश में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है और मरने वालों का आंकड़ा 50 हजार के पार जा चुका है। भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 15 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश के दो कैबिनेट मंत्रियों की मौत हो गई। बेस्ट ट्रीटमेंट होने के बावजूद मंत्री चेतन चौहान और कमला रानी वरुण कोरोना से जंग नहीं जीत सके। कोरोना के चलते ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायक दम तोड़ चुके हैं। यूपी के कुल नौ मंत्री कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी यूपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल सहित कई बड़े नाम कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। 

होम आइसोलेशन में लापरवाही बढ़ा रही मुश्किल

22 जुलाई से होम आइसोलेशन लागू है। इसके बाद अफसरों के लिए मरीजों को अस्पताल शिफ्ट करने का झंझट खत्म हुआ। बिना लक्षण वाले मरीजों को भी घर उपचार का लाभ मिला, लेकिन इस बीच मानकों को नजरअंदाज कर मरीज को होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाने लगी। रोगी के लिए घर में अलग कमरा-बाथरूम न होने पर भी उसे होम आइसोलेट कर दिया गया। साथ ही काफी दिनों तक होम आइसोलेशन के मरीजों की मॉनिटरिंग भी ठप रही है। मरीजों को दवा खुद खरीदने बाहर जाना पड़ा। लापरवाही उजागर होने पर अब हेलो डॉक्टर हेल्पलाइन नंबर व क्षेत्रीय अर्बन पीएचसी-सीएचसी के डॉक्टरों के नंबर जारी कर दिए गये हैं।