- सावधानी और धैर्य ही महामारी से बचाव का एकमात्र तरीका
- देश में 26 लाख पार कोरोना संक्रमित, 50 हजार से अधिक की मौत
- होम आइसोलेशन में लापरवाही भी बढ़ा रही मुश्किल
देश में कोरोना महामारी असाधारण चुनौतियां लेकर आई है। नए-नए तरीकों से लोगों पर अटैक कर रहा है। आम क्या खास सभी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। किसी में लक्षण दिखते हैं तो किसी में नहीं। अभी तक कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित बताये जा रहे नवजात भी अब इसकी चपेट में आ रहे हैं। लखनऊ में तीन नवजातों में कोरोना की पुष्टि हुई है, जबकि मां निगेटिव थी। देश में अब संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है जबकि संक्रमण से मरने वाले 50 हजार का आंकड़ा पार कर चुके हैं। हर दिन सैकड़ों की संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं। हालांकि, इस बीच देश सरकार ने जहां कोविड जांच में तेजी बढ़ाई है वहीं, अस्पतालों में भी लगातार बेड बढ़ाए जा रहे हैं। बावजूद अभी और तेजी दिखाने की जरूरत है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि अपने देश में अभी कोरोना चरम पर नहीं आया है। ऐसे में सावधानी और धैर्य ही महामारी से बचाव का एकमात्र तरीका है।
संक्रमण की रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है देश में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है और मरने वालों का आंकड़ा 50 हजार के पार जा चुका है। भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 15 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश के दो कैबिनेट मंत्रियों की मौत हो गई। बेस्ट ट्रीटमेंट होने के बावजूद मंत्री चेतन चौहान और कमला रानी वरुण कोरोना से जंग नहीं जीत सके। कोरोना के चलते ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायक दम तोड़ चुके हैं। यूपी के कुल नौ मंत्री कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी यूपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल सहित कई बड़े नाम कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।
होम आइसोलेशन में लापरवाही बढ़ा रही मुश्किल
22 जुलाई से होम आइसोलेशन लागू है। इसके बाद अफसरों के लिए मरीजों को अस्पताल शिफ्ट करने का झंझट खत्म हुआ। बिना लक्षण वाले मरीजों को भी घर उपचार का लाभ मिला, लेकिन इस बीच मानकों को नजरअंदाज कर मरीज को होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाने लगी। रोगी के लिए घर में अलग कमरा-बाथरूम न होने पर भी उसे होम आइसोलेट कर दिया गया। साथ ही काफी दिनों तक होम आइसोलेशन के मरीजों की मॉनिटरिंग भी ठप रही है। मरीजों को दवा खुद खरीदने बाहर जाना पड़ा। लापरवाही उजागर होने पर अब हेलो डॉक्टर हेल्पलाइन नंबर व क्षेत्रीय अर्बन पीएचसी-सीएचसी के डॉक्टरों के नंबर जारी कर दिए गये हैं।
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