शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

Covid 19 : कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर है Ivermectin दवा, यूपी सरकार ने जारी किया शासनादेश



- COVID-19 के इलाज में कारगर है Ivermectin दवा, योगी आदित्यनाथ सरकार ने जारी किया शासनादेश

- Corona Positive के संपर्क में आये, हल्के लक्षण वाले और स्वास्थकर्मियों को आइवरमेक्टिन दवा देने की सलाह

- गर्भवती व धात्री महिलाओं और दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को Ivermectin Tablet नहीं देने के निर्देश

- कोरोना संक्रमण रोकने और Corona Treatment में आइवरमेक्टिन के साथ Doxycycline दवा लेने के निर्देश


कोरोना (Corona Virus) के खात्मे के लिए वैसे अभी तो कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन आइवरमेक्टिन (Ivermectin) टैबलेट कोरोना संक्रमण के बचाव और उपचार में कारगर है। 50 वर्ष पहले पेट के कीड़ों को मारने की दवा से रोकोना संक्रमण को रोका जा सकता है। हल्के लक्षण वाले मरीज इससे स्वस्थ हो सकते हैं। कोरोना (Covid 19) के इलाज को लेकर यूपी सरकार (UP Government) ने महत्वपूर्ण शासनादेश जारी किया है, जिसमें आइवरमेक्टिन टैबलेट को कोरोना इलाज (Corona Treatment) में कारगर दवा बताया गया है।


कोविड-19 के संक्रमण (Covid 19 Infection) से बचाव के लिए आइवरमेक्टिन टैबलेट को दवा के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने शासनादेश जारी करते हुए दवा के इस्तेमाल के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी। शासनादेश में बताया गया है कि कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) के संपर्क में आये व कोरोना के उपचार में लगे स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण से बचाव के लिए आइवरमेक्टिन दवा दी जाये। इसके अलावा एसिम्प्टोमेटिक या हल्के लक्षणों वाले कोविड-19 के पुष्ट रोगियों टैबलेट दी जा सकती है। साथ ही डॉक्सीसाइक्लीन (Doxycycline) दवा देने की सलाह दी है। यह दवा कितनी बार और कितनी मात्रा में दी जानी है, जारी शासनादेश में बताया गया है।


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इनको दवा देने पर प्रतिबंध

प्रदेश सरकार की ओर से जारी शासनादेश में बताया गया है कि गर्भवती एवं धात्री महिलाओं व दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आइवरमेक्टिन दवा नहीं दी जाएगी। इसके अलावा इन्हें डॉक्सीसाइक्लीन दवा भी नहीं देने को कहा गया है।


1970 में हुई थी इस दवा की खोज

आइवरमेक्टिन की खोज वर्ष 1970 में हुई थी। पेट में कृमिनाशक के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली इस दवा के कई फायदे हैं। रिवर ब्लाइंडनेस, एस्कारिया सिस, फाइले रिया, इंफ्लूएंजा, डेंगू के मरीजों में भी यह दवा उपयोगी साबित हुई है। अब आइवरमेक्टिन दवा कोरोना वायरस के रोकथाम में भी असरदार बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि आइवरमेक्टिन दवा कोशिका से वायरस को न्यूक्लियस में पहुंचने से रोक देती है। ऐसे में वायरस मरीज के डीएनए से मिलकर मल्टी फिकेशन नहीं कर पाता है। लिहाजा, इस सस्ती दवा के जरिए कई मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है।


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सोमवार, 3 अगस्त 2020

चिंताजनक : लखनऊ में सड़कों पर घूम रहे हैं कोरोना मरीज


- पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही लखनऊ में गायब हो गए 2290 कोरोना संक्रमित
- लखनऊ पुलिस की सर्विलांस टीम कोरोना संक्रमित मरीजों की कर रहा है तलाश
- ट्विटर पर यूजर्स ने अव्यवस्थाओं पर उठाये सवाल, कहा- पर उपदेश कुशल बहुतेरे..

ये तथ्य बेहद चिंताजनक हैं। लखनऊ में गली-गली और मोहल्लों में कोरोना मरीज घूम रहे हैं। कब-कौन, कैसे और कहां संक्रमित कर जाये आपको पता भी नहीं चलेगा। राजधानी से बीते 10 दिनों में 2290 कोरोना पॉटिजिव मरीज गायब हो गये, जिनकी कोई जानकारी नहीं है। यह सब लखनऊ में छिपे हुए हैं। 23 से 31 जुलाई के बीच इन मरीजों की जांच हुई थी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से सभी गायब हैं। प्रशासन ने जब इनके नाम और पते खंगाले तो वे फर्जी निकले। पुलिस का विशेष दस्ता इनकी तलाश कर रहा है।

पुलिस की सर्विलांस टीम ने 1171 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को तलाश लिया है, जबकि 1119 मरीज अभी भी गायब हैं। तलाशे गये सभी मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है, गलत जानकारी देने के आरोप में इन कार्रवाई की जाएगी। पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे के मुताबिक कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए हजारों की संख्या में जांच की गई थी। कई जगह कैंप लगाकर सैम्पल लिए गये इस दौरान लोगों ने फॉर्म पर गलत, नाम, पता और मोबाइल नंबर भरा। 


लोग बोले- पर उपदेश कुशल बहुतेरे...
कोरोना मरीज क्यों गायब हैं? इसे लेकर सोशल मीडिया लोग जहां चिंता जाहिर कर रहे हैं वहीं, अवस्वस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। ट्विटर यूजर Shyaamjee Shuklaa लिखते हैं कि इसका कारण स्पष्ट है। सरकारी अव्यवस्था...। न स्तरीय भोजन-पानी है और न साफ-सफाई। मृत्यु ऐसे भी है और वैसे भी! पर उपदेश कुशल बहुतेरे...। सरकार अपनी व्यवस्था का स्तर सुधारे। जब लखनऊ का ये हाल है, छोटे जिलों का क्या होगा? एक और ट्विटर यूजर Adv. Arun Dixit कहते हैं उनकी बड़ी मजबूरी है। अब तक इन पॉजिटिव मरीजों को सरकार के द्वारा कोई सहायता तो मिली नहीं इसलिए वह अपनी स्वयं व्यवस्था कर लेते हैं और अंडरग्राउंड हो जा रहे हैं। लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सरकार जबरदस्ती लोगों को जुगाड़ू और सुविधा रहित क्वारंटाइन सेन्टर में डाल दे रही है। लोगों को लगता है कि घर पर बेहतर देखभाल हो सकती है। मेरे एक मित्र जो अभी क्वारंटाइन सेन्टर में हैं, बोल रहे थे कि यहां तो मैं और बीमार हो जाऊंगा।

ये क्या हो रहा है योगी सरकार में : आप
आम आदमी पार्टी के सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने मामले में ट्वीट करते हुए कहा कि ये हो क्या रहा है योगी सरकार में? हर जिले में मरीजों के लापता होने की खबरें आ रही हैं। अब राजधानी लखनऊ में भी 2290 कोरोना मरीजों का अता-पता न होने की खबरें आ रही हैं। इतनी बड़ी खबर पर राष्ट्रीय मीडिया खामोश क्यों है?

कोविड-19 प्रोटोकॉल फॉलो न करने पर जिला प्रशासन ने वसूले 27 लाख रुपए
लखनऊ में रविवार को 189 व्यक्तियों ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया, जिनसे जुर्माने के तौर पर 70 हजार रुपए वसूले गये जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि राजधानी में अब तक प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले 7179 लोगों से 27,13,667 रुपए का जुर्माना वसूला जा चुका है।

रविवार, 2 अगस्त 2020

Raksha Bandhan 2020 : शुभ मुहूर्त में ऐसे बांधें भाइयों को राखी, मिलेगा शुभ फल



- 29 साल बाद इस रक्षाबंधन पर बन रहा विशेष योग
- 3 अगस्त को सुबह 8:28 मिनट से रात 8:20 मिनट तक राखी बांधने का है शुभ मुहूर्त
- भाइयों की कलाई पर काले रंग का धागा, टूटी व प्लास्टिक और अशुभ चिन्हों वाली राखी न बांधें बहनें

तीन अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुखमय जीवन की कामना करती हैं। बदले में भाई भी बहनों को गिफ्ट देकर आजीवन उनकी रक्षा का वादा करते हैं। राखी बांधते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन पर सोमवार को सुबह 8:28 मिनट से रात 8:20 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, ध्यान रखें कि भाई की दाहिनी कलाई पर ही राखी बांधें। राखी बांधते समय बहनों का मुंह पश्चिम दिशा की ओर और भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल मिलता है।

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि शुभता के लिए भाई को तिलक और राखी बांधते समय बहनों को 'येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचल।' मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है। राखी को बांधने के बाद भाई की आरती उतारना और मीठा खिलाना उत्तम माना गया है। राखी बांधते समय बहनें ध्यान रखें कि वह भाइयों की कलाई में काले रंग का धागा, टूटी या खंडित राखी, प्लास्टिक की राखी और अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांधे। ऐसा करना दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

29 वर्ष बाद रक्षाबंधन पर बन रहा विशेष संयोग
इस बार रक्षाबंधन पर महासंयोग के कारण भाई-बहनों को विशेष लाभ मिलेंगे। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 29 वर्ष बाद इस बार रक्षाबंधन पर्व परविशेष अमृत योग बन रहा है। सावन के आखिरी सोमवार को पूर्णिमा पर श्रावण नक्षत्र भी है, जिससे इस दिन प्रीतियोग, आयुष्मान योग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है जो इस दिन को विशेष और दुर्लभ बनाता है। इस शुभ संयोग में पूजा करने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। यह कहना है ज्योतिषाचार्य डॉ. शिवबहादुर तिवारी का। साथ ही उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन पर बहनों को किस तरह से भाई की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए, जो सबके लिए फलदायी हो। 

ज्योतिषाचार्यों का कहना है किसावन के आखिरी सोमवार को ही पूर्णिमा तिथि है। इस दिन चंद्रमा के मकर राशि में होने से प्रीति योग बन रहा है। यह शुभ संयोग सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा। पूर्णिमा और सोमवार और रक्षाबंधन के इस अद्भुत संयोग को सौम्या तिथि माना जाता है। मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती धरती का भ्रमण करने के साथ ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

शनिवार, 1 अगस्त 2020

20 फीसदी छूट सिर्फ बहाना है, असली मकसद तो पूरी फीस लेना है



लखनऊ के सिटी मांटेसरी, सेंट जोजफ स्कूल, लखनऊ पब्लिक स्कूल, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, लामार्टिनियर गर्ल्स, इरम कॉलेज, एग्जान मांटेसरी समेत कई बड़े स्कूलों ने अभिभावकों को फीस में 20 फीसदी छूट का ऑफर दिया है। कोरोना संकट के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं। फीस नहीं आने से स्कूलों पर संकट का साया मंडरा रहा है। ऐसे में अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मीटिंग कर अभिभावकों 20 फीसदी तक फीस में छूट का ऑफर दिया है। साथ ही अभिभावकों के लिए चेतावनी भी है, जिसे हाईलाइट नहीं किया गया। वह यह है कि अगर आपने 10 अगस्त तक अपने बच्चे की फीस नहीं जमा की तो उसे ऑनलाइन कक्षाओं से निकाल दिया जाएगा। अगर बिजनेसमैन हैं या फिर नौकरी पेशा तो छूट के बारे में सोचिये भी मत। सिर्फ फीस जमा कर दीजिए। इस छूट का लाभ लेने के लिए आपको बताना होगा कि कोरोना संक्रमण की वजह से आप वित्तीय संकट झेल रहे हैं...

एसोशिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि स्कूल फीस में 20 फीसदी रियायत लेने के लिए अभिभावकों को स्कूल मैनेजमेंट को लिखित में आवेदन करना होगा। इसके बाद अभिभावकों को उनकी स्थिति देखकर छूट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अगर किसी अभिभावक के दो से तीन बच्चे पढ़ रहे तो उनको 20 प्रतिशत और किसी अभिभावक का सिर्फ एक ही बच्चा है तो उसे 20 प्रतिशत से कम की छूट दी जाएगी।

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

Covid 19: कर लीजिए ये तीन काम, आपका बाल-बांका भी नहीं कर पाएगा कोरोना वायरस



संभल जाइए। स्थिति बहुत भयावह है। मकसद आपको डराना नहीं। सचेत करना है। उत्तर प्रदेश में तेजी से कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब हम-आप या फिर हमारा कोई करीबी इसकी चपेट में आ सकते हैं। भगवान न करे ऐसा हो। फिर भी अगर ऐसा हुआ तो आप इस मुश्किल समय का सामना करने के लिए कितना तैयार हैं? अगर कोरोना की चपेट में आये तो आर्थिक, शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरना होगा। इसलिए खुद को तैयार करें। तुरंत हेल्थ इंश्योरेंस कराएं, जिसमें कोरोना कवर हो। मुसीबत के समय यह पॉलिसी आपको आर्थिक नुकसान से बचाएगी। चूंकि कोरोना की अभी कोई दवा नहीं बनी है, यह सिर्फ आपके इम्युनिटी पर निर्भर करता है। ऐसे में जरूरी है कि अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखें जिससे आप कोरोना को हरा पाएंगे। इसके अलावा मानसिक दिक्कत तो होगी, लेकिन अगर आपने पहले से सोच रखा है तो सोच मजबूत होगी और निश्चित आपकी सकारात्मकता से कोरोना पस्त हो जाएगा। तो जरूरी है उन दिनों के लिए आर्थिक, शारीरिक और मानसिक मजबूती बनाए रखें। इसके अलावा कड़ाई से फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क पहनें और लगातार हाथ धुलते रहें।

अस्पतालों की व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद बेकदरी से कोरोना मरीजों की मौत न केवल चिंताजनक है, बल्कि हमें और आपको डरना भी चाहिए। प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड़ का टोटा है। अगर हैं भी तो इनमें इलाज कराना आम आदमी के बस की बात नहीं है। कोरोना संकट के नाम कंपनियां बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर कर चुकी हैं, जो बचे हैं, उनसे डबल-ट्रिपल काम लिया जा रहा है। ऐसे में अगर आपकी नौकरी बची है तो कट-पिट कर जितना भी पैसा मिल रहा है, मुश्किल दिनों के लिए उसे भी बचाकर रखिए। साथ ही आय के विकल्प भी तलाशते रहिए।

एक दिन रिकॉर्ड 4,453 कोरोना मरीज 
उत्तर प्रदेश में जुलाई महीने से प्रतिदिन तकरीबन 3000 मामले सामने आ रहे हैं। महीने के आखिरी दिन यानी 31 जुलाई को 24 घंटे में 4,453 नए कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ गए। यह एक दिन में मिले संक्रमित मरीजों रिकार्ड आंकड़ा है। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल पॉजिटिव केस 85 हजार के पार जा चुके हैं। इनमें करीब 35 हजार एक्टिव केस हैं। अब तक 1630 संक्रमितों की मौत हो चुकी है जबकि 48 हजार से अधिक मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं।  

कोरोना महामारी : चुनौतियां और समाधान


23 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान हम सुबह घर से ऑफिस के लिए निकले थे। सड़कों पर सन्नाटा था और जगह-जगह पुलिस का पहरा। उस वक्त हमारे पास कोई 'पास' तो था नहीं, ऊपर से ऑफिस का आईडी कार्ड भी 2017 तक ही वैलिड था। लेकिन जाना ही था। हम निकले भी और रास्ते में कवरेज भी करते गये। हमने चारबाग रेलवे स्टेशन, विधानसभा और बापू भवन आदि की न केवल तस्वीरें खींची, बल्कि वीडियो भी बनाए जो उस दिन हमारे ग्रुप में सबसे पहले लगे भी। रोके जाने का डर भी था! इसलिए जहां पुलिसवाले ज्यादा दिखते, मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगता। तमाम विजुअल्स लेकर करीब नौ बजे ऑफिस पहुंच गया था। अब जिम्मेदारी जल्द से जल्द वेबसाइट पर आंखों देखे हालात वीडियो और तस्वीरों के साथ अपडेट करने की थी। और किया भी। 11 बजेफिर तीन लोगों की टीम के साथ पत्रिका की आईडी लेकर फील्ड में निकल गया और हजरतगंज व चौक चौराहे से फेसबुक पेज पर लाइव किया। ऑफिस लौटकर खबरें व वीडियो लगाए और शाम होते-होते पता चला कि अगले दिन से लॉकडाउन शुरू हो जाएगा।

लॉकडाउन लागू हुआ तो घर से लेकर ऑफिस तक तमाम तरह की चिंताएं बढ़ गईं। कोरोना के डर के साथ ऑफिस जाने की चिंता भी थी। सुबह ही घर से निकले। 12 किमी दूर ऑफिस तक जाने में करीब 15 जगह पुलिस की तगड़ी चेकिंग थी। जगह-जगह बैरिकेडिंग लगी थी। दो-तीन जगहों से पास हो गया, लेकिन आगे रोक लिया गया। क्योंकि मेरे पास आईडी कार्ड नहीं था। घर लौटना ही मजबूरी थी। वापस लौटते वक्त थोड़ा मायूस जरूर था, लेकिन ताजा हालात के फोटो लेना नहीं भूला था। उस दिन घर से ही काम शुरू किया। अगले दिन ऑफिस से प्रेसकार्ड बनकर आ गया था। एक दो दिन में सूचना से पास भी मिल गया। उसी रुटीन के साथ नियमित ऑफिस जाने लगा। रास्ते के फोटो और वीडियो लेते जाना और फिर ऑफिस पहुंचते ही उन्हें खबर में लगाना। इस दौरान घर परिवार को लेकर चिंता भी बढ़ गई थी, डर लगता था कि मेरे घर में कहीं मैं ही कोरोना का कैरियर न बन जाऊं। बहरहाल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सावधानी से ऑफिस जाता रहा।

लॉकडाउन का अगला चरण शुरू हो चुका था। महामारी बढ़ने के साथ ही कोरोना का खौफ और चुनौतियां भी बढ़ती जा रही थीं। इस बीच मेरा एक्सीडेंट हो गया, जिसके चलते दाहिने हाथ की हथेली तीन जगह से फ्रैक्चर हो चुकी थी, लेकिन मैं घर में नहीं बैठना चाहता था। डेढ़ महीने के लिए प्लास्टर चढ़ा था। डॉक्टर से बात कर प्लास्टर ऐसे चढ़वाया कि हाथ की उंगली और अंगूठा खुला रहे। तीन दिन के बाद फिर से ऑफिस जाने लगा। सड़कें खाली होने की वजह से बाइक चलाने में खास दिक्कत नहीं हुई। धीरे-धीरे प्लास्टर वाला हाथ  माउस पकड़ने का अभ्यस्त हो गया और आम दिनों की तरह काम करने लगा। कई बार हाथ में दर्द होती तो काम बंद कर देता और थोड़ी देर बाद फिर से काम शुरू कर देता। भले ही तमाम मुश्किलें आईं, लेकिन हर दिन शिद्दत से काम करता रहा और अपना टारगेट अचीव किया।

45 दिनों बाद प्लास्टर कटा तो फिर दो दिन की छुट्टी ली। इसके बाद बाद वर्क फ्रॉम होम शुरू किया, क्योंकि डॉक्टर ने हफ्ते भर तक बाइक चलाने से मना किया था। वर्क फ्रॉम होम का अलग ही अनुभव था। सुबह से शाम तक घर वालों के बीच होते हुए भी न हो पाना। लगातार काम पर फोकस। घर से ही प्रियोरिटी, डे प्लान, ई-पेपर न्यूज प्लान, टीम क्वार्डिनेशन जैसे तमाम कामों के बीच काम करना आसान नहीं था। वर्क फ्रॉम होम में काम के घंटे बढ़ा दिये थे। नंबर ऑफ न्यूज पूरा करने के लिए कभी-कभी सुबह चार बजे उठकर ही खबरें करने लगता, सात बजे तक करीब पांच खबरें लगाकर ही उठता। उसके बाद फिर दैनिक काम से निवृत्त होकर नौ बजे से काम पर लग जाता। बीच-बीच में सड़क पर जाकर फोटो और वीडियो भी लाता। हालांकि, इंटरनेट और लाइट भी खूब इम्तिहान लेती रही। लैपटॉप मोबाइल से ही चलाते थे। घर में सबसे बोल दिया था कि नेट हमारे लिए बचा के रखना। कभी हमारा पैक खत्म हो जाता तो घर में वाइफ का या फिर बड़े दादा आदि के वाईफाई से काम चलाता। इस सबका मकसद एक ही था कि काम बाधित न हो और नहीं हुआ। वर्क फ्राम होम में भी हर टारगेट अचीव किया।

लॉकाडाउन के बाद अनलॉक का दौर शुरू हो चुका था। अब तक तमाम तरह की चुनौतियां बढ़ चुकी थीं। लोग कम हो रहे थे और काम बढ़ता जा रहा था। अब यूपी से चार पेज (डिजिटल+ईपेपर) बनने थे। अखबार के लिए खबरें भी निकालनी थीं और वीडियो भी बनाने थे। जिलों से क्वार्डिनेशन करना था। डिजिटल और पेज प्लान भी करना था। चुनौती यह भी थी कि खबरों की संख्या कम न हो और यूवी-पीवी भी मेनटेन रहे। कम से कम दो स्पेशल खबरें भी हों, जिनमें सभी मानक पूरे हों। यह सब इतना आसान नहीं था। लेकिन हर मुश्किल की तरह इसका भी रास्ता निकला। यूवी-पीवी वाली कम से कम एक खबर मैं रोजाना ऑफिस निकलने से पहले करने लगा और कम से कम दो दिमाग में, जिन पर ऑफिस में काम करना था। ऑफिस पहुंचते ही सबसे पहले घर से बनाकर लाई गई खबर को पोस्ट करता हूं, ताकि पूरे दिन यूवी-पीवी का झंझट खत्म हो सके। और ऐसा ही हुआ भी। करीब 70 फीसदी ऐसी खबरें थी, जिन्होंने रियल टाइम में कमाल किया।

अब सड़कों, बाजारों में बढ़ती भीड़ और संक्रमितों के आंकड़े डरा रहे हैं। परिवार की भी चिंता है और काम का प्रेशर भी। इस सबके बीच सैलरी कटने की टेंशन अलग। सैलरी कटी तो लगा ये क्या, हम तो फिर पिछले पांच साल वाले सैलरी स्ट्रक्चर पर आ गये। शुरुआत में मानसिक तौर पर अधिक पीड़ा हुई, पर इंडस्ट्री का हाल देखकर लगा कि चलो कम से कम ही नौकरी बची है, यही कम है क्या? क्योंकि हर दिन किसी न किसी की जाती नौकरी हमें खुद की चिंता करने पर विवश कर देती। रोजाना यही लगता कि कहीं अगला नंबर मेरा तो नहीं है। कई बार ज्यादा तनाव होने पर साथियों और वरिष्ठों से बात की जो मोटिवेट करते कि बदलाव ही कुदरत का नियम है। धैर्य रखो, कोरोना संकट भी खत्म होगा और एक दिन सब पहले जैसा होगा ही। बस आज को जीते हुए अपना बेस्ट करते जाइए। अब इसी फॉर्मूले पर और हर दिन बेहतर करने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं। परिस्थितियां कैसी भी रही हों, कितनी भी बड़ी चुनौतियां आईं पर कभी काम प्रभावित नहीं होने दिया। हर दिन और हर महीने बेस्ट देता रहा और आगे भी देता रहूंगा।