आखिर क्या हो गया है
दिलवालों के शहर दिल्ली को? मामूली बात पर एक युवक ने बस ड्राइवर (42 वर्ष)
को पीट-पीटकर मार डाला। इस पूरे कृत्य में उसका साथ दिया उसकी अपनी मां ने, जो
बाइक पर बेटे के साथ बैठी थीं। मदर्स डे पर एक मां अपने बेटे का हौसला बढ़ा रही थी
कि बेटा और मार, शायद वो भूल गईं कि जो पिट रहा है वो भी किसी का बेटा, किसी का
बाप और किसी का भाई है। ड्राइवर का गुनाह सिर्फ इतना था कि युवक की बाइक में बस की
हल्की सी टक्कर लग गई थी, जिसमें युवक और उसकी गाड़ी को जरा भी खरोच नहीं आई।
इन सबसे अलग एक बात
और परेशान करने वाली है कि कंडक्टर समेत बस में सवारियां ठसाठस भरी हुई थीं, लेकिन
किसी ने ड्राइवर को बचाने की जरूरत नहीं समझी। गुस्साए युवक ने बस पर चढ़कर हेलमट
से ड्राइवर पर दनादन प्रहार किए। इतना ही संवेदनहीन और स्वार्थी भीड़ के सामने ही
अकेला युवक ड्राइवर को नीचे खींच लाया और बस में आग बुझाने के लिए लगे गैस सिलेंडर
से उस पर तब तक प्रहार करता रहा, जब तक कि वह अचेत नहीं हो गया और भीड़ तमाशबीन
बनी देखती रही। आखिरकार उस ड्राइवर ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
आधा-अधूरा नहीं पूरी
तरह हो बंद
सुबह अखबार में पढ़ा
था कि मांग पूरी न होने तक घटना से गुस्साए लोगों ने सोमवार से दिल्ली में डीटीसी की
बसें बंद करने का एलान किया है। घटना से मैं भी दुखी था, साथ ही चिंता थी कि ऑफिस
कैसे पहुंचूंगा। पर जैसे ही सड़क पर निकला प्राइवेट बसों और टैक्सियों की भरमार दिखी,
लगा कि आज वे इस सुनहरे मौके का जमकर फायदा उठा लेना चाहते हैं।
बंद इसलिए भी जरूरी
था कि उन संवदेनहीन और स्वार्थी लोगों को इस बात का एहसास भी कराना है, जो
किसी को पिटता देखकर भी चुपचाप बैठे रहते हैं, या खुद मुंह छिपा लेते हैं। घटना के
विरोध में दिली तौर पर मैं बंद के समर्थन में हूं, इसीलिए मैं चाहता हूं कि बंद हो
तो पूरी तरह से चक्का जाम हो। कोई भी टैक्सी वाहन सड़क पर न दिखे। इस घटना के
विरोध में सभी प्राइवेट बसों और टैक्सियों को भी बंद किया जाना चाहिए था, ताकि
लोगों को हकीकत में एहसास हो सके। ऐसा भी नहीं है कि आज किसी ने डीटीसी चालक की
पीट-पीटकर हत्या कर दी, कल वो या दूसरे लोग प्राइवेट बसों या टैक्सी ड्राइवरों को
बख्श देंगे।
मृतक ड्राइवर की
बीवी का पिछले 14 साल से इलाज चल रहा है, जिसे वर्ष 2001 में लकवा मार गया था। मृतक
के बेटे अजय ने बताया, “पापा रोज सुबह साढ़े चार बजे काम के लिए (बस
चलाने) निकल जाते थे, मुझे याद नहीं कि मेरी उनसे आखिरी मुलाकात कब हुई थी। मुझे मां
के अस्पताल में रुकना पड़ता है। घर में छोटी बहन और दादी हैं।“ बेटे ने रोते हुए आगे बताया कि पापा ने पिछले कई
महीनों से छुट्टी नहीं ली थी। घर का खर्च चलाने के लिए वह रोज काम पर जाते थे।
मृतक चालक के
परिजनों से मिलने पहुंचे परिवहन मंत्री गोपाल राय को भी लोगों के गुस्से का शिकार
होना पड़ा। उनका घेराव किया गया। मंत्री महोदय ने मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपए
देने का एलान किया। लेकिन घटना से आक्रोशित लोगों ने एक करोड़ के मुआवजे और परिवार
के एक सदस्य के लिए नौकरी की मांग की।
यह कोई ऐसी पहली
घटना नहीं है, जिसे दिलवाले शहर के बाशिंदों पर सवाल उठे हों। पिछले दस दिनों में इस
तरह (रोडरेज) की ये तीसरी घटना है। हालांकि, इस मामले में पुलिस ने मुंडका निवासी
आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया है।
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