रविवार, 2 अगस्त 2020

Raksha Bandhan 2020 : शुभ मुहूर्त में ऐसे बांधें भाइयों को राखी, मिलेगा शुभ फल



- 29 साल बाद इस रक्षाबंधन पर बन रहा विशेष योग
- 3 अगस्त को सुबह 8:28 मिनट से रात 8:20 मिनट तक राखी बांधने का है शुभ मुहूर्त
- भाइयों की कलाई पर काले रंग का धागा, टूटी व प्लास्टिक और अशुभ चिन्हों वाली राखी न बांधें बहनें

तीन अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुखमय जीवन की कामना करती हैं। बदले में भाई भी बहनों को गिफ्ट देकर आजीवन उनकी रक्षा का वादा करते हैं। राखी बांधते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन पर सोमवार को सुबह 8:28 मिनट से रात 8:20 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, ध्यान रखें कि भाई की दाहिनी कलाई पर ही राखी बांधें। राखी बांधते समय बहनों का मुंह पश्चिम दिशा की ओर और भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल मिलता है।

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि शुभता के लिए भाई को तिलक और राखी बांधते समय बहनों को 'येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचल।' मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है। राखी को बांधने के बाद भाई की आरती उतारना और मीठा खिलाना उत्तम माना गया है। राखी बांधते समय बहनें ध्यान रखें कि वह भाइयों की कलाई में काले रंग का धागा, टूटी या खंडित राखी, प्लास्टिक की राखी और अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांधे। ऐसा करना दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

29 वर्ष बाद रक्षाबंधन पर बन रहा विशेष संयोग
इस बार रक्षाबंधन पर महासंयोग के कारण भाई-बहनों को विशेष लाभ मिलेंगे। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 29 वर्ष बाद इस बार रक्षाबंधन पर्व परविशेष अमृत योग बन रहा है। सावन के आखिरी सोमवार को पूर्णिमा पर श्रावण नक्षत्र भी है, जिससे इस दिन प्रीतियोग, आयुष्मान योग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है जो इस दिन को विशेष और दुर्लभ बनाता है। इस शुभ संयोग में पूजा करने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। यह कहना है ज्योतिषाचार्य डॉ. शिवबहादुर तिवारी का। साथ ही उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन पर बहनों को किस तरह से भाई की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए, जो सबके लिए फलदायी हो। 

ज्योतिषाचार्यों का कहना है किसावन के आखिरी सोमवार को ही पूर्णिमा तिथि है। इस दिन चंद्रमा के मकर राशि में होने से प्रीति योग बन रहा है। यह शुभ संयोग सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा। पूर्णिमा और सोमवार और रक्षाबंधन के इस अद्भुत संयोग को सौम्या तिथि माना जाता है। मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती धरती का भ्रमण करने के साथ ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

शनिवार, 1 अगस्त 2020

20 फीसदी छूट सिर्फ बहाना है, असली मकसद तो पूरी फीस लेना है



लखनऊ के सिटी मांटेसरी, सेंट जोजफ स्कूल, लखनऊ पब्लिक स्कूल, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, लामार्टिनियर गर्ल्स, इरम कॉलेज, एग्जान मांटेसरी समेत कई बड़े स्कूलों ने अभिभावकों को फीस में 20 फीसदी छूट का ऑफर दिया है। कोरोना संकट के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं। फीस नहीं आने से स्कूलों पर संकट का साया मंडरा रहा है। ऐसे में अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मीटिंग कर अभिभावकों 20 फीसदी तक फीस में छूट का ऑफर दिया है। साथ ही अभिभावकों के लिए चेतावनी भी है, जिसे हाईलाइट नहीं किया गया। वह यह है कि अगर आपने 10 अगस्त तक अपने बच्चे की फीस नहीं जमा की तो उसे ऑनलाइन कक्षाओं से निकाल दिया जाएगा। अगर बिजनेसमैन हैं या फिर नौकरी पेशा तो छूट के बारे में सोचिये भी मत। सिर्फ फीस जमा कर दीजिए। इस छूट का लाभ लेने के लिए आपको बताना होगा कि कोरोना संक्रमण की वजह से आप वित्तीय संकट झेल रहे हैं...

एसोशिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि स्कूल फीस में 20 फीसदी रियायत लेने के लिए अभिभावकों को स्कूल मैनेजमेंट को लिखित में आवेदन करना होगा। इसके बाद अभिभावकों को उनकी स्थिति देखकर छूट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अगर किसी अभिभावक के दो से तीन बच्चे पढ़ रहे तो उनको 20 प्रतिशत और किसी अभिभावक का सिर्फ एक ही बच्चा है तो उसे 20 प्रतिशत से कम की छूट दी जाएगी।

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

Covid 19: कर लीजिए ये तीन काम, आपका बाल-बांका भी नहीं कर पाएगा कोरोना वायरस



संभल जाइए। स्थिति बहुत भयावह है। मकसद आपको डराना नहीं। सचेत करना है। उत्तर प्रदेश में तेजी से कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब हम-आप या फिर हमारा कोई करीबी इसकी चपेट में आ सकते हैं। भगवान न करे ऐसा हो। फिर भी अगर ऐसा हुआ तो आप इस मुश्किल समय का सामना करने के लिए कितना तैयार हैं? अगर कोरोना की चपेट में आये तो आर्थिक, शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरना होगा। इसलिए खुद को तैयार करें। तुरंत हेल्थ इंश्योरेंस कराएं, जिसमें कोरोना कवर हो। मुसीबत के समय यह पॉलिसी आपको आर्थिक नुकसान से बचाएगी। चूंकि कोरोना की अभी कोई दवा नहीं बनी है, यह सिर्फ आपके इम्युनिटी पर निर्भर करता है। ऐसे में जरूरी है कि अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखें जिससे आप कोरोना को हरा पाएंगे। इसके अलावा मानसिक दिक्कत तो होगी, लेकिन अगर आपने पहले से सोच रखा है तो सोच मजबूत होगी और निश्चित आपकी सकारात्मकता से कोरोना पस्त हो जाएगा। तो जरूरी है उन दिनों के लिए आर्थिक, शारीरिक और मानसिक मजबूती बनाए रखें। इसके अलावा कड़ाई से फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क पहनें और लगातार हाथ धुलते रहें।

अस्पतालों की व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद बेकदरी से कोरोना मरीजों की मौत न केवल चिंताजनक है, बल्कि हमें और आपको डरना भी चाहिए। प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड़ का टोटा है। अगर हैं भी तो इनमें इलाज कराना आम आदमी के बस की बात नहीं है। कोरोना संकट के नाम कंपनियां बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर कर चुकी हैं, जो बचे हैं, उनसे डबल-ट्रिपल काम लिया जा रहा है। ऐसे में अगर आपकी नौकरी बची है तो कट-पिट कर जितना भी पैसा मिल रहा है, मुश्किल दिनों के लिए उसे भी बचाकर रखिए। साथ ही आय के विकल्प भी तलाशते रहिए।

एक दिन रिकॉर्ड 4,453 कोरोना मरीज 
उत्तर प्रदेश में जुलाई महीने से प्रतिदिन तकरीबन 3000 मामले सामने आ रहे हैं। महीने के आखिरी दिन यानी 31 जुलाई को 24 घंटे में 4,453 नए कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ गए। यह एक दिन में मिले संक्रमित मरीजों रिकार्ड आंकड़ा है। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल पॉजिटिव केस 85 हजार के पार जा चुके हैं। इनमें करीब 35 हजार एक्टिव केस हैं। अब तक 1630 संक्रमितों की मौत हो चुकी है जबकि 48 हजार से अधिक मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं।  

कोरोना महामारी : चुनौतियां और समाधान


23 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान हम सुबह घर से ऑफिस के लिए निकले थे। सड़कों पर सन्नाटा था और जगह-जगह पुलिस का पहरा। उस वक्त हमारे पास कोई 'पास' तो था नहीं, ऊपर से ऑफिस का आईडी कार्ड भी 2017 तक ही वैलिड था। लेकिन जाना ही था। हम निकले भी और रास्ते में कवरेज भी करते गये। हमने चारबाग रेलवे स्टेशन, विधानसभा और बापू भवन आदि की न केवल तस्वीरें खींची, बल्कि वीडियो भी बनाए जो उस दिन हमारे ग्रुप में सबसे पहले लगे भी। रोके जाने का डर भी था! इसलिए जहां पुलिसवाले ज्यादा दिखते, मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगता। तमाम विजुअल्स लेकर करीब नौ बजे ऑफिस पहुंच गया था। अब जिम्मेदारी जल्द से जल्द वेबसाइट पर आंखों देखे हालात वीडियो और तस्वीरों के साथ अपडेट करने की थी। और किया भी। 11 बजेफिर तीन लोगों की टीम के साथ पत्रिका की आईडी लेकर फील्ड में निकल गया और हजरतगंज व चौक चौराहे से फेसबुक पेज पर लाइव किया। ऑफिस लौटकर खबरें व वीडियो लगाए और शाम होते-होते पता चला कि अगले दिन से लॉकडाउन शुरू हो जाएगा।

लॉकडाउन लागू हुआ तो घर से लेकर ऑफिस तक तमाम तरह की चिंताएं बढ़ गईं। कोरोना के डर के साथ ऑफिस जाने की चिंता भी थी। सुबह ही घर से निकले। 12 किमी दूर ऑफिस तक जाने में करीब 15 जगह पुलिस की तगड़ी चेकिंग थी। जगह-जगह बैरिकेडिंग लगी थी। दो-तीन जगहों से पास हो गया, लेकिन आगे रोक लिया गया। क्योंकि मेरे पास आईडी कार्ड नहीं था। घर लौटना ही मजबूरी थी। वापस लौटते वक्त थोड़ा मायूस जरूर था, लेकिन ताजा हालात के फोटो लेना नहीं भूला था। उस दिन घर से ही काम शुरू किया। अगले दिन ऑफिस से प्रेसकार्ड बनकर आ गया था। एक दो दिन में सूचना से पास भी मिल गया। उसी रुटीन के साथ नियमित ऑफिस जाने लगा। रास्ते के फोटो और वीडियो लेते जाना और फिर ऑफिस पहुंचते ही उन्हें खबर में लगाना। इस दौरान घर परिवार को लेकर चिंता भी बढ़ गई थी, डर लगता था कि मेरे घर में कहीं मैं ही कोरोना का कैरियर न बन जाऊं। बहरहाल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सावधानी से ऑफिस जाता रहा।

लॉकडाउन का अगला चरण शुरू हो चुका था। महामारी बढ़ने के साथ ही कोरोना का खौफ और चुनौतियां भी बढ़ती जा रही थीं। इस बीच मेरा एक्सीडेंट हो गया, जिसके चलते दाहिने हाथ की हथेली तीन जगह से फ्रैक्चर हो चुकी थी, लेकिन मैं घर में नहीं बैठना चाहता था। डेढ़ महीने के लिए प्लास्टर चढ़ा था। डॉक्टर से बात कर प्लास्टर ऐसे चढ़वाया कि हाथ की उंगली और अंगूठा खुला रहे। तीन दिन के बाद फिर से ऑफिस जाने लगा। सड़कें खाली होने की वजह से बाइक चलाने में खास दिक्कत नहीं हुई। धीरे-धीरे प्लास्टर वाला हाथ  माउस पकड़ने का अभ्यस्त हो गया और आम दिनों की तरह काम करने लगा। कई बार हाथ में दर्द होती तो काम बंद कर देता और थोड़ी देर बाद फिर से काम शुरू कर देता। भले ही तमाम मुश्किलें आईं, लेकिन हर दिन शिद्दत से काम करता रहा और अपना टारगेट अचीव किया।

45 दिनों बाद प्लास्टर कटा तो फिर दो दिन की छुट्टी ली। इसके बाद बाद वर्क फ्रॉम होम शुरू किया, क्योंकि डॉक्टर ने हफ्ते भर तक बाइक चलाने से मना किया था। वर्क फ्रॉम होम का अलग ही अनुभव था। सुबह से शाम तक घर वालों के बीच होते हुए भी न हो पाना। लगातार काम पर फोकस। घर से ही प्रियोरिटी, डे प्लान, ई-पेपर न्यूज प्लान, टीम क्वार्डिनेशन जैसे तमाम कामों के बीच काम करना आसान नहीं था। वर्क फ्रॉम होम में काम के घंटे बढ़ा दिये थे। नंबर ऑफ न्यूज पूरा करने के लिए कभी-कभी सुबह चार बजे उठकर ही खबरें करने लगता, सात बजे तक करीब पांच खबरें लगाकर ही उठता। उसके बाद फिर दैनिक काम से निवृत्त होकर नौ बजे से काम पर लग जाता। बीच-बीच में सड़क पर जाकर फोटो और वीडियो भी लाता। हालांकि, इंटरनेट और लाइट भी खूब इम्तिहान लेती रही। लैपटॉप मोबाइल से ही चलाते थे। घर में सबसे बोल दिया था कि नेट हमारे लिए बचा के रखना। कभी हमारा पैक खत्म हो जाता तो घर में वाइफ का या फिर बड़े दादा आदि के वाईफाई से काम चलाता। इस सबका मकसद एक ही था कि काम बाधित न हो और नहीं हुआ। वर्क फ्राम होम में भी हर टारगेट अचीव किया।

लॉकाडाउन के बाद अनलॉक का दौर शुरू हो चुका था। अब तक तमाम तरह की चुनौतियां बढ़ चुकी थीं। लोग कम हो रहे थे और काम बढ़ता जा रहा था। अब यूपी से चार पेज (डिजिटल+ईपेपर) बनने थे। अखबार के लिए खबरें भी निकालनी थीं और वीडियो भी बनाने थे। जिलों से क्वार्डिनेशन करना था। डिजिटल और पेज प्लान भी करना था। चुनौती यह भी थी कि खबरों की संख्या कम न हो और यूवी-पीवी भी मेनटेन रहे। कम से कम दो स्पेशल खबरें भी हों, जिनमें सभी मानक पूरे हों। यह सब इतना आसान नहीं था। लेकिन हर मुश्किल की तरह इसका भी रास्ता निकला। यूवी-पीवी वाली कम से कम एक खबर मैं रोजाना ऑफिस निकलने से पहले करने लगा और कम से कम दो दिमाग में, जिन पर ऑफिस में काम करना था। ऑफिस पहुंचते ही सबसे पहले घर से बनाकर लाई गई खबर को पोस्ट करता हूं, ताकि पूरे दिन यूवी-पीवी का झंझट खत्म हो सके। और ऐसा ही हुआ भी। करीब 70 फीसदी ऐसी खबरें थी, जिन्होंने रियल टाइम में कमाल किया।

अब सड़कों, बाजारों में बढ़ती भीड़ और संक्रमितों के आंकड़े डरा रहे हैं। परिवार की भी चिंता है और काम का प्रेशर भी। इस सबके बीच सैलरी कटने की टेंशन अलग। सैलरी कटी तो लगा ये क्या, हम तो फिर पिछले पांच साल वाले सैलरी स्ट्रक्चर पर आ गये। शुरुआत में मानसिक तौर पर अधिक पीड़ा हुई, पर इंडस्ट्री का हाल देखकर लगा कि चलो कम से कम ही नौकरी बची है, यही कम है क्या? क्योंकि हर दिन किसी न किसी की जाती नौकरी हमें खुद की चिंता करने पर विवश कर देती। रोजाना यही लगता कि कहीं अगला नंबर मेरा तो नहीं है। कई बार ज्यादा तनाव होने पर साथियों और वरिष्ठों से बात की जो मोटिवेट करते कि बदलाव ही कुदरत का नियम है। धैर्य रखो, कोरोना संकट भी खत्म होगा और एक दिन सब पहले जैसा होगा ही। बस आज को जीते हुए अपना बेस्ट करते जाइए। अब इसी फॉर्मूले पर और हर दिन बेहतर करने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं। परिस्थितियां कैसी भी रही हों, कितनी भी बड़ी चुनौतियां आईं पर कभी काम प्रभावित नहीं होने दिया। हर दिन और हर महीने बेस्ट देता रहा और आगे भी देता रहूंगा। 

शुक्रवार, 12 जून 2020

जुलाई तक और भयावह हो सकता CoronaVirus का संक्रमण, रहें सतर्क



Corona Virus प्रतिदिन 200-250 देशवासियों की जान ले रहा है। आशंका है कि जुलाई के अंत तक हर रोज होने वाली मौतों का आंकड़ा 3000 से 4000 तक पहुंच सकता है। महामारी की चपेट में आकर आम आदमी से लेकर नेता और डॉक्टर तक मौत के मुंह में समा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में सीएमएस डॉ. संत प्रकाश गौतम की मौत हमें और सजग करती है। वह कोरोना वारियर्स थे और शिद्दत से वायरस को हराने में जुटे थे, खुद को नहीं बचा सके। हर दिन ऐसे तमाम केस सामने आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना महामारी ने निगल लिया। यह संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में ट्रीटमेंट की क्या स्थिति है किसी से छिपा नहीं है।

मेरा मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि सावधान करना है। वैक्सीन की खोज तक हमें खुद अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा करनी होगी। सावधानी पूर्वक हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राथमिक स्तर वाले कोरोना संक्रमितों में सिर्फ पांच फीसदी ही ऐसे हैं जिन्हें ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, शेष अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के जरिए वायरस को हराने में सफल रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप सतर्क रहें और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें।

क्या करें 
- बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें
- सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करें
- मास्क और सेनेटाइजेशन को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं
- सेहत का ध्यान रखें, नियमित योग और व्यायाम करें
- बाहर के खाने से परहेज करें और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते रहें

यह भी पढ़ें : वायरस से ज्यादा खतरनाक है लोगों का व्यवहार, कोरोना को हराकर लौटे शख्स की जुबानी..

गुरुवार, 11 जून 2020

वायरस से ज्यादा खतरनाक है लोगों का व्यवहार, कोरोना को हराकर लौटे शख्स की जुबानी..


भारत में कोरोना संक्रमण का पीक टाइम आना अभी शेष है। बहुत संभव है कि हम सभी का कोरोना से साबिका पड़े और हम जीतें भी। लेकिन, इस दौरान हमें अपनी इंसानियत और मानवता को नहीं खोना है। कोरोना को हराकर घर लौटे एक वरिष्ठ पत्रकार संतोष पंत ने बीमारी से लड़ने के अपने अनुभवों को शेयर किया। उनका कहना है कि कोरोना से ज्यादा उन्हें लोगों के बिहैवियर ने परेशान किया। एक टीवी चैनल में मैंने करीब दो वर्ष तक उनके साथ काम किया। इस दौरान वह मेरे रूम पार्टनर भी रहे। इसलिए मैं उन्हें बेहतर जानता हूं। वह बेहद जिंदादिल, सामाजिक और व्यवहार कुशल इंसान हैं। वह हमेशा दूसरों का ख्लाल रखने वालों में शामिल हैं। उनकी विल पॉवर इतनी जबरदस्त है कि हैदराबाद में उन्होंने मैराथन में भाग लेने की ठान ली और मंजिल तक दौड़े भी। आइए आज आपको उनकी पूरी पोस्ट पढ़ाते हैं, ताकि आप भी उनकी नजरों से हकीकत को समझ सकें-

ज़रूर पढ़िए..
-------------
मैं संतोष कुमार पंत। कोरोना को लेकर मेरी अपनी राय और आप लोगों को सलाह है। 24 मई को मेरा टेस्ट हुआ जिसमें एक सैंपल में कोरोना पॉजिटिव आया और एक सैंपल नेगेटिव। लेकिन एक सैंपल पॉजिटिव था तो आपको अपनी केयर करनी लाजिमी थी, जो मैंने की। और आज मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं।

देश और दिल्ली में कोरोना का क्या कहर है ये सभी लोग जानते हैं। अस्पताल, सरकार कहां है और क्या काम कर रही है, किसी को नहीं पता? आप कह सकते हैं कि दिल्ली या कहीं भी आप भगवान भरोसे हैं। आपकी किस्मत, कम्पनी अच्छी है तो आपका टेस्ट पहले हो जाया करता था, जैसे कि मेरा हुआ तो आपको मालूम चल जाएगा कि आपकी रिपोर्ट क्या है। लेकिन अब दिल्ली में ये सब भी बंद है। तो आप लोग ये मान लीजिए कि आप अपनी केयर से बच गए तो ठीक वरना राम-नाम सत्य है।

ये तो सरकार और हॉस्पिटल का हाल है। अब आप आइए अपने आस पास-पड़ोस और फ्लैट सिस्टम रूपी पड़ोस में। जैसे ही आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी, उसके बाद आप कहीं न कहीं से हर दिन कुछ न कुछ सुनते रहेंगे, जैसे इन लोगों ने बताया नहीं। इनके घर मत जाना। पानी वाले को बोल देंगे कि इनके घर पानी दोगे तो हमारे घर मत देना। कूड़े वाला कूड़ा नहीं उठा रहा। आपका समान कोई नहीं ला रहा। आप सोचेंगे कि आप अगले दिन बचेंगे या मर जाएंगे। और सच मानिए ये जो दिल्ली में आधे लोग मर रहे हैं न ये इन्हीं पड़ोसियों की देन है। क्योंकि यहां वैसे ही किसी को मतलब नहीं रहता किसी से। ऊपर से कोरोना आ गया तो रहे सहे पड़ोसियों का भी आपसे मतलब नहीं रहता। आप गांव में होते तो आधा गांव आपसे लिपट कर ही कोरोना पॉजिटिव हो जाता, वहां प्रेम ही इतना है। हमेशा एक दूसरे की मदद के लिए तैयार।

मेरे केस में भी ऐसा ही था। सारे मतलबी पड़ोसी गायब। आप जी रहे हैं या मर रहे हैं, किसी को कोई मतलब नहीं। ये बात आप हमेशा याद रखिए कि आपकी गली, आपके पड़ोसी अच्छे हों तो आप किसी भी बीमारी से ऐसे ही जंग जीत लेंगे। लेकिन उसमें से जो एक दो लोग अच्छे होते हैं, उनके बारे में आपको जरूर तहे दिल से शुक्रिया बोलना चाहिए। ये में सिर्फ अपने फ्लैट के ऊपर वाले फ्लैट में रहने वाले प्रवीण भाई और उनकी वाइफ रितु के लिए लिख रहा हूं। कि आप लोगों को भी ऐसे ही लोग ज़िन्दगी में मिलें। जिस दिन से मैं पॉजिटिव आया हूं, उस दिन से मेरे ठीक होने तक मेरे घर का सारा काम, सामान लाना, मेरे परिवार को पानी देना, मेरी पानी की मोटर चलाना, मेरी दवाई लाना सारा काम दोनों ने किया। मुझे किसी भी बात की चिंता नहीं होने दी। गली में एक दो लोग और अच्छे हैं, जिन्होंने पूछा। लेकिन ये मान लीजिए कि आपको ज़्यादातर लो, अगर रिपोर्ट नेगेटिव भी आ जाय, फिर भी उनकी सोच नेगेटिव ही रहेगी। आपके वो ज़िन्दगी में कभी काम नहीं आएंगे। इसलिए जितनी दूरी ऐसे लोगों से बना ली जाय उतना अच्छा। हर कोई आने वाले समय में कोरोना की जद में होगा। अपना ख्याल रखिए और अच्छे लोगों के साथ रहिए। अच्छे पड़ोसी, आपको फोन करके आपको मोटिवेट करने वाले लोग, आपकी शारीरिक और मानसिक मजबूती ही कोरोना की वैक्सीन है।

आज मैं स्वस्थ हूं तो उसका सारा श्रेय में अपनी वाइफ, प्रवीण भाई और रितु भाभी को दूंगा। और आपसे अनुरोध है कि ऐसे सभी लोगों और पड़ोसियों का सम्मान करें और इनका मेरे साथ तहे दिल से शुक्रिया कहें।

यह भी पढ़ें : जहां के लिए जान दांव पर...

संतोष पंत की  फेसबुक वॉल से साभार

रविवार, 7 जून 2020

जहान के लिए जान दांव पर..!


लॉकडाउन 2.0 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जान है जहान है का स्लोगन बदलकर जान भी और जहान भी कर दिया था। जहान को बचाने लिए 'लॉक' को 'डाउन' कर अनलॉक (Unlock 1.0) कर दिया गया। भारत में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अनलॉक 1.0 में सब कुछ खुल चुका है। लोग सड़कों पर हैं। गांव हो या शहर कोरोना (Covid 19) की परवाह किए बिना सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं नतीजन, कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ चुका है। हर दिनों हजारों की संख्या में मिलते पॉजिटिव मरीज (Corona Positive) चिंता का विषय है।

देश में अब तक संक्रमित मरीजों की संख्या (Corona Positive in India) ढाई लाख पार कर चुकी है। कुल संक्रमितों की संख्या में अमेरिका, ब्राजील, रूस और ब्रिटेन ही भारत से आगे हैं। अब तक करीब 7 हजार मरीजों की मौत हो चुकी है वहीं, एक लाख से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। भारत का सबसे अधिक संक्रमित राज्य महाराष्ट्र है, जहां करीब 83 हजार पॉजिटिव केस मिले हैं। तमिलनाडु में 30 से अधिक, दिल्ली में करीब 28 हजार, गुजरात में करीब 20 हजार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का मानना है कि अगर ज्यादा संख्या में जांच (Covid Test) की जाए तो कोरोना वायरस के मामले भारत में अमेरिका से ज्यादा निकलेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अब तक दो करोड़ जांच की जा चुकी है। भारत में अब तक 45 लाख से अधिक लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है, जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों से आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि भारत पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है, हालांकि डब्ल्यूएचओ अभी की स्थिति को विस्फोटक नहीं मानता है। 


अब हमारे हवाले वतन साथियों

केंद्र व राज्य सरकार तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन वो नाकाफी हैं। अब जब तक लोग खुद भी इसे सीरियसली नहीं लेंगे। संक्रमण को रोक पाना मुश्किल होगा। अस्पतालों की स्थिति भी बेहद भयावह होती जा रही है। दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में अभी से अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। डॉक्टर से लेकर नर्स तक संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनेटाइजर का इस्तेमाल करते रहें। साथ ही खान-पान में बेहद सजगता बरतकर इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करें तभी आप कोरोना का मुकाबला कर पाएंगे। क्योंकि अब हमारा वतन हमारे हवाले है। जब आप सुरक्षित रहेंगे तभी परिवार, समाज, देश और जहान भी सुरक्षित रहेगा। इसलिए फिलहाल जान है तो जहान हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।