सोमवार, 10 जनवरी 2011
रविवार, 9 जनवरी 2011
My Moments
One day in sun light i went 4 snaping photo ,after came back we sat outside with biju sir and our clasmates....
HAPPY NEW YEAR 2011
जब नया साल आने को होता है हम सब बेसब्री से उसका इंतजार करते हैं ,जैसे ही दिसम्बर माह में कदम रखते हैं नए साल के लिए योजनायें बनाना शुरू कर देते हैं | ग्रीटिंग का बाज़ार सज जाता है बुके देने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं और हम अपने हर उस करीबी को बधाई देना चाहते हैं जो हमसे किसी प्रकार से जुड़ा हुआ है |कुछ युवक,युवतियों को इसी बहाने प्रपोज करने का मौका मिल जाता है |३१ दिसम्बर की शाम से पार्टियाँ होने लगती हैं कोई अपने दोस्तों के साथ मनाना चाहता है कोई परिवार वालों के साथ तो कोई भजन -कीर्तन या कोई खुदा की इबादत करते हुए | बीते साल मैंने भी १ जनवरी को मेहंदीपुर वाले बाला जी के दर्शन किये थे पर इस बार मैंने सोचा कि दोस्तों के साथ मनाया जाये | हम सारे दोस्त एक साथ इकट्ठे हुए जबरदस्त तैयारियों के साथ |बीते साल की आखिरी शाम को ढेर सारी दारू पीने के बाद नए साल से न पीने का संकल्प का रिवाज़ बहुत पुराना है ,३१ दिसंबर की शाम को हर कोई शराब में इतना डूब जाना चाहता है जैसे वह अगले साल का कोटा आज ही पूरा कर लेगा |कई तरह के संकल्प लिए जाते हैं कोई कहता है मैंने दारू छोड़ दी .कोई कहता है मैंने सिगरेट छोड़ दी और कोई कुछ कोई कुछ... आदि |पर शायद ही कोई इस संकल्प को पूरा कर पाता है ,कुछ ज्यादा ही हिम्मती इस संकल्प को ८-१० दिन खींच ले जाते हैं नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात |
पता ही नहीं चलता कि एक साल कैसे बीत गया ,जब हम बीते साल के संकल्प और उपलब्धियों पर नजर डालते हैं परिणाम वही शून्य , मन में एक पश्चाताप सा होता है और फिर ऐसा न करने का संकल्प लेकर फिर एक नए साल के आने तक अँधा-धुंध उसी दिशा में भागते रहते हैं | जैसे - जैसे समय बीतता जाता है लगता है कि जिन्दगी मुट्ठी में पकड़ी रेत की तरह फिसलती जाती है |पता नहीं व्यक्ति साल के आखिरी दिन या नए साल के पहले दिन ही बैठकर ही इन क्षणों का हिसाब क्यूँ लगता है ? काश,हर शाम और हर सुबह आने वाले दिन का हम लेखा जोखा लेकर बैठें तो शायद जिन्दगी की अहमियत बढ़ जाएगी , उस दिन की भूल हो अगले दिन ही ठीक किया जा सकेगा पर ऐसा हो नहीं पाता !स्व-विश्लेषण से गलती का एहसास होता है जिससे किये गए कार्य के प्रति हीन भावना जन्म लेती है पर हम तो स्रेस्ठता में जीना पसंद करते हैं |काश, हर गुजरे हुए साल की आखिरी शाम हम अपने संकल्पों को लेते समय अपने बाकी बचे जीवन के बारे में सोचकर उसे किसी सकारात्मक प्रयोजन में लगाने की सोचें तो वह किसी पिछली भूल को सुधारने में सहायक होगा |
भूल करना हमारा विशेषाधिकार है ,भूल को दोहराना उतना ही बड़ा अपराध ,इसलिए भूल पर पछताने की बजाय हमें भूल न करने की कोशिश करनी चाहिए |
आज जब नये साल को शुरू हुए ९ दिन ही हुए हैं मैंने अपने सारे संकल्प तोड़ दिए हैं |अब मेरे लिए किसी भी गुजरे साल की भूल कोई मायने नहीं रखती क्यूँकि मेरे लिए बचे हुए साल ज्यादा अहमियत रखते हैं | इन्ही चंद बातों के साथ आप सबको नए साल की हार्दिक शुभकामनायें !
शनिवार, 8 जनवरी 2011
जे ऍम आई की एक शाम
अब तक मेरे जीवन में न जाने कितनी शाम आयीं और चली गयीं पर जे ऍम आई ( जहांगीराबाद मीडिया इंस्टिट्यूट) की शाम का अपना अंदाज ही निराला है | जिसका स्मरण होते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है और रोम-रोम रोमांचित हो उठता है |जैसे ही सूरज बादलों की गोद में जाता और कलरव धुन के साथ पंक्षी अपने घर की और जाते हमें एक सुखद शाम का एहसास करा जाते | शाम के समय कक्षा में गुरूजी हम सबको पढ़ा रहे होते तो हम सबके मन में एक अजीब सी बेचैनी होती और सोचते गुरूजी जल्दी से हम लोग छोड़े और हम सब साथ में चाय पीने जाएँ | हम कक्षा में बैठे ही मन में चाय की चुस्कियां लेते ,तभी हम में से कोई कहता गुरूजी चाय का समय हो गया है | वो हम सबके साथ चाय पीने जाते उस समय उनका व्यवहार बिल्कुल ही दोस्ताना होता और हम रस्ते भर खूब मस्ती करते जाते | कैंटीन में चाय का समय ५ बजे से ५.३० तक है पर कभी कभार ही हम वहां चाय पीने जाते हमारे पैर अनायास ही उस होटल की मुड़ जाते जो हमारे कैम्पस से मुश्किल से २०० मीटर दूर मुख्य सड़क पर था | वहां यादव काका बड़े प्यार से हम लोगों के लिए चाय बनाते जब तक चाय तैयार होती हम लोग नमकीन , समोसे तथा रसगुल्ले जो भी मन होता सभी खाते और आपस में खूब मजाक करते | शायद काका को हमारा ही इंतजार रहता , वह एक छोटे से होटल के मालिक थे जिसके सामने की तरफ १०-२० लोगों के बैठने व्यवस्था थी पर हम सब होटल के पीछे एक कुआं और एक चबूतरे पर शिवलिंग था हम सब वहीँ बैठकर चाय पीते खूब बातें करते जिससे दिन भर की थकान चुस्कियों के साथ उड़ जाती थी | कभी गुरूजी कभी हम में से कोई पेमेंट कर देता और हम मस्ती में बातें करते वापस आ जाते , वापस आकर गुरूजी इन्द्रपाल से ( जो कि सिक्योरिटी गार्ड ) से लकड़ियों के लिए कहते वह लकड़ियाँ लाकर अलाव जला देता | हम गुरूजी लोगों के साथ अलाव के चारों और कुर्सियां डालकर बैठ जाते | हम में से ही भागकर कोई कैमरा ले आता बारी - बारी से हम फोटो खीचते और फिर सब मिलकर विचार-विमर्श करते , वहीँ पर गुरूजी हम लोग से प्रश्न पूछते ,कई अन्य विषयों ( ऐतिहासिक ,सामाजिक , राजनीतिक) पर प्रकाश डालते और आमने विचार भी प्रकट करते |
जे ऍम आई क़ी शाम का अंदाज ही निराला है वह दुनिया भर क़ी तमाम शामों से एकदम भिन्न है यहाँ प्रक्रति अपनी अनुपम छटा बिखेरती है यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य किसी के भी मन को बस में करने क़ी क्षमता रखता है | मैं अपने को किस्मत का धनी मानता हूँ जिसे यहाँ पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है | मैं विश्वास के साथ कहता हूँ क़ी संपूर्ण भारत वर्ष में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहां क़ी शाम जे ऍम आई क़ी शाम के समकक्ष भी हो | बड़े किस्मत वालों को ऐसी शाम नसीब होती है यहाँ एक बार जो आता है वह बार - बार यहाँ आना चाहता है | जे ऍम आई क़ी शाम को बयाँ कर पाना मेरे बस क़ी बात नहीं है , ये शाम अपने आप में ही एक अनूठी है ...
जे ऍम आई क़ी शाम का अंदाज ही निराला है वह दुनिया भर क़ी तमाम शामों से एकदम भिन्न है यहाँ प्रक्रति अपनी अनुपम छटा बिखेरती है यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य किसी के भी मन को बस में करने क़ी क्षमता रखता है | मैं अपने को किस्मत का धनी मानता हूँ जिसे यहाँ पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है | मैं विश्वास के साथ कहता हूँ क़ी संपूर्ण भारत वर्ष में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहां क़ी शाम जे ऍम आई क़ी शाम के समकक्ष भी हो | बड़े किस्मत वालों को ऐसी शाम नसीब होती है यहाँ एक बार जो आता है वह बार - बार यहाँ आना चाहता है | जे ऍम आई क़ी शाम को बयाँ कर पाना मेरे बस क़ी बात नहीं है , ये शाम अपने आप में ही एक अनूठी है ...
सोमवार, 20 दिसंबर 2010
cricket ka bhagwan
सचिन तुस्सी ग्रेट हो तुमने साबित कर दिया और लगातार करते आ रहे हो कि वर्ल्ड क्रिकेट में कोई भी तुम जैसा नहीं है | लगभग सारे रिकॉर्ड तुम्हारे ही नाम हैं जो बचे हैं लगता है जल्द ही वो सब तुम्हारे झोली में होंगे | अबकी वर्ल्ड कप जीतकर आप अपनी महानता में एक और कोहिनूर जड़ दो | विश्व स्तर पर पचासा लगाना ही बहुत पर तुमने शतकों का पचासा लगाकर अपनी महानता का ऐसा झंडा गाडा है कि शायद ही कोई वहां पर पहुँच पाए |हम सब भारतवासियों की शुभकामनायें तुम्हारे साथ हैं |
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