रविवार, 1 नवंबर 2020

Covid-19 की दूसरी लहर ने बढ़ाई टेंशन, यहां फिर से एक महीने का Lockdown




 - जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में भी नये सिरे से लग सकता है Lockdown

- नवम्बर के आखिर तक भारत में आ सकती है Covid-19 की दूसरी लहर

- Coronavirus की दूसरी लहर है बेहद खतरनाक, संक्रमण फैला तो जा सकती हैं ज्यादा जान

- Slogan 'दो गज दूरी, मास्क है जरूरी', 'हाथ धोना-रोके कोरोना' और 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं' का करें पालन


लंदन. कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) ने भारत सहित कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। समूचे यूरोप में कोरोना वायरस संक्रमण (Covid-19) तेजी से बढ़ रहा है। जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में नये सिरे से लॉकडाउन की तैयारी है। संक्रमण को देखते हुए ब्रिटेन (Britain) एक बार फिर से लॉकडाउन हो गया है। लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गैर-जरूरी दुकानें, रेस्तरां, बार और पब आदि बंद रहेंगे। लोगों को केवल एक व्यक्ति से, वो भी घर के बाहर मिलने की अनुमति होगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बढ़ते कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए चार हफ्ते यानी एक महीने तक लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है। समय रहते अगर सख्ती नहीं की गई तो कोरोना की दूसरी लहर में पहली लहर से ज्यादा लोगों की मौत (Death) हो सकती है।

कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में शामिल भारत के लिए कोरोना की दूसरी लहर चिंता का सबब बन सकती है। नीति आयोग के सदस्य व महामारी से निपटने के प्रयासों में समन्वयन के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल के प्रमुख वी के पॉल ने कहा है कि सर्दियों (Cold Season) के मौसम में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। बीते दिनों में जिस तरीके से यूरोप भर के देशों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर की संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं। बहुत सी चीजें हो सकती हैं और हम अभी भी वायरस के बारे में सीख रहे हैं। 

लापरवाही पड़ेगी भारी

सर्दी का मौसम और लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना संक्रमण दूसरी लहर बेहद घातक साबित हो सकती है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) पहले ही इस बार कड़ाके की ठंड का पूर्वानुमान जारी कर चुका है। बीते सालों की अपेक्षा इस बार ज्यादा दिनों तक सर्दी रहेगी। ऐसे में बेहद सतर्क रहना जरूरी है। 'दो गज दूरी, मास्क है जरूरी', 'हाथ धोना-रोके कोरोना' और 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं' इस स्लोगन (Slogan) का अक्षरश: पालन करने का वक्त आ गया है, नहीं तो लापरवाही सबको ले डूबेगी। हालत यह है कि सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर लोगों ने मास्क लगाने से भी किनारा कर लिया। आजकल बहुत कम लोग मास्क लगाये दिखते हैं। 

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योगी का एसमएस फॉर्मूला

कोरोना की दूसरी लहर रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लोगों को 'एसएमएस' (SMS) फॉर्मूला अपनाने का निर्देश दिया। 'एस से सोप/सैनिटाइजर, 'एम' से मास्क और 'एस' से सोशल डिस्टेंसिंग। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने में यह बेहद उपयोगी है। सभी इसका पालन करें।

'विशेष सावधानी बरतने की जरूरत'

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव सूचना, नवनीत सहगल (Navneet Sahgal) ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण दर में लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन यह समय और अधिक सावधानी बरतने का है। सभी के लिए आवश्यक है कि कोविड-19 संक्रमण से बचाव के सभी उपायों को अपनाते हुए सावधानी बरतें, जिससे कोरोना संक्रमण की गिरती दर पुनः न बढ़े। उन्होंने कहा कि आस-पास के राज्यों में दोबारा बढ़ रहे कोरोना संक्रमण एवं बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।


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गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

GBD Global Report : भारत विश्व का सबसे प्रदूषित, 100% लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर

 


- जीबीडी रिपोर्ट का दावा- भारत की 100 प्रतिशत आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर

- पिछले वर्षों की तुलना में भारत में 2019 में प्रति व्यक्ति प्रदूषण का दबाव 6.5 माइक्रो ग्राम बढ़ा

- रिपोर्ट का दावा, दुनिया भर में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों के कारण 2019 में हुईं कूल 67 लाख मौतें

लखनऊ. 21 अक्टूबर को वायु प्रदूषण के आंकड़ों और तथ्यों के साथ ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीस की वैश्विक रिपोर्ट दुनिया भर में एक साथ जारी की गयी। वर्ष 2019 के अध्ययन के आधार पर जारी की गयी इस रिपोर्ट में दुनिया भर के 116 देशों में लगे 10 हज़ार 4 सौ 8 वायु प्रदूषण मापन इकाईयों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इस रिपोर्ट का संकलन और प्रकाशन किया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत विश्व में प्रदूषित देशों के पायदान में पहले नंबर पर पाया गया, जहां देश की सम्पूर्ण आबादी वायु प्रदूषण के चपेट में जीवन जीने को बाध्य है।

जीबीडी की यह वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट हेल्थ इफेक्ट इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवलुएशन द्वारा हर वर्ष साझे रूप से जारी की जाती है। सौ से अधिक देशों में वर्ष भर मिले वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर जारी होने वाली यह रिपोर्ट तथ्यात्मक और भरोसेमंद मानी जाती है।

इस रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया 'भारत में पिछले एक दशक में वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है, जीबीडी की यह ताजा तरीन रिपोर्ट भी बताती है कि देश में वायु प्रदूषण का प्रति व्यक्ति औसत 6.5 माइक्रोग्राम बढ़ा है। और विश्व के 116 देशों की तुलना में सबसे ज्यादा बढ़कर 83 माइक्रोग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुंच चुका है, जिसे भारत सरकार के मानकों के अनुसार अधिकतम 60 माइक्रोग्राम तक होना चाहिये था। यह आंकड़े बताते हैं कि भारत की सौ प्रतिशत आबादी भारत सरकार के मानकों के आधार पर भी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर भी प्रदूषित हवा में सांस लेने के मजबूर हो चुकी है।'

दुनिया के यह 6 देश हैं सबसे प्रदूषित

क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा कि रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अफ्रीका और एशिया महादेश के राष्ट्रों में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा संकट है। इसमें भारत, नेपाल, नाइजर, क़तर, नाइजीरिया, इजिप्ट शीर्ष 6 प्रदूषित देश हैं, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान को क्रमशः नौवां और दसवां स्थान मिला है।

भारत में एक लाख बच्चों की मौत

वायु प्रदूषण जनित बीमारियों और उनसे होने वाली मौतों के आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट के हवाले से एकता शेखर ने बताया 'अफ्रीका और एशिया के देशों में खराब हवा के कारण वर्ष 2019 में 5 लाख से अधिक नवजात बच्चों की मौत अपने जन्म से एक माह के भीतर हो गयी। एक माह की उम्र पूरा करने से पहले ही वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से वर्ष 2019 में अकेले भारत में ही एक लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई। पूरी दुनिया में इन बीमारियों से कूल 67 लाख मौते हुईं, जिन्हें वायु प्रदूषण का स्तर कम कर के बचाया जा सकता था। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में असमय/अकाल मौतों का सबसे बड़ा कारण अब वायु प्रदूषण जनित बीमारियां ही हैं।'

फेफड़ों पर कोविड-19 का गहरा असर

क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि जीबीडी रिपोर्ट यह भी बताती है कि वायु प्रदूषण से पहले से ही कमजोर हो चुके भारतीय जनता के फेफड़ों पर कोविड 19 का गहरा असर पड़ने की आशंका है।

Note : जीबीडी द्वारा जारी रिपोर्ट को विस्तार से https://www.stateofglobalair.org/  वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

रविवार, 6 सितंबर 2020

Black Spots : यूपी में ये हैं जानलेवा मार्ग, यहां होते हैं सबसे ज्यादा हादसे

 


- उत्तर प्रदेश की सड़कों पर 495 Black Spots चिन्हित

- संभल कर करें ड्राइविंग, जरा सी असावधानी दुर्घटना का सबब बन सकती है

- सभी ब्लैक स्पॉट को सुधारने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है पीडब्ल्यूडी

लखनऊ. ड्राइविंग करते वक्त बेहद शानदार रहें। आपकी जरा सी असावधानी दुर्घटना का सबब बन सकती है। उत्तर प्रदेश की सड़कों पर करीब 500 डेथ प्वाइंट हैं, जहां आये दिन होने वाले हादसों में लोग जान गंवाते रहते हैं। यूपी की विभिन्न सड़कों पर 495 'ब्लैक स्पॉट' (Black Spots)चिन्हित किये हैं, जहां अब तक 10 या उससे ज्यादा लोग हताहत हो चुके हैं। पीडब्ल्यूडी के मार्गों पर पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट में अधिकांश वो जंक्शन प्वाइंट हैं, जहां कोई ग्रामीण मार्ग (एमडीआर) किसी स्टेट हाईवे या प्रमुख जिला मार्ग से आकर मिलता है। कुछ हादसे संकरी पुलिया के कारण भी होते हैं। पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश के सभी ब्लैक स्पॉट को सुधारने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है।

ब्लैक स्पॉट उन स्थानों को चिन्हित किया जाता है, जहां एक ही दुर्घटना में 10 या उससे अधिक लोगों की मौत हुई है या फिर इतने ही ही लोग गंभीर रूप से घायल हुए हों। इसके अलावा उन स्पॉट्स को भी ब्लैक स्पॉट कहा जाता है, जहां बीते तीन वर्षों में अलग-अलग समय पर हुए हादसों में 10 या उससे अधिक लोग हताहत हुए हों।

इन स्थानों पर होने वाले हादसों को रोका जा सके इसके लिए पीडब्ल्यूडी दीर्घकालीन कार्ययोजना तैयार कर रहा है। पीडब्ल्यूडी अफसरों का कहना है कि अल्पकालीन उपाय के तौर पर रंबल स्ट्रिप (स्पीड ब्रेकर) और साइनबोर्ड की व्यवस्था की गई है। वहीं, स्थायी हल के लिए ब्लैक स्पॉट वाली मोड़ों को सीधा करना और संकरी पुलिया को चौड़ी करने की योजना पर काम किया जा रहा है।

इन मार्गों पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट

लोक निर्माण विभाग में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के इटावा-मैनपुरी मार्ग, अलीगंज-सोरो मार्ग, इलाहाबाद-गोरखपुर मार्ग, उन्नाव-कानपुर मार्ग, कासगंज-अतरौली मार्ग, गोरखपुर-देवरिया-बलिया मार्ग, जीटी रोड, तम्बौर-महमूदाबाद मार्ग, दातागंज-समरेर-बल्लिया मार्ग, दिल्ली-बरेली-लखनऊ मार्ग, दिल्ली-मेरठ पुराना राष्ट्रीय मार्ग-58, पलिया-लखनऊ मार्ग, पीलीभीत-बरेली-मथुरा-भरतपुर मार्ग, पीलीभीत-बरेली शहरी भाग, बहराइच-फैजाबाद-आजमगढ़ मार्ग, बहराइच-सीतापुर मार्ग, बिलराया-पनबाड़ी मार्ग, बुलंदशहर-सियाना-गढ़ मार्ग, मुरादाबाद-फर्रुखाबाद मार्ग, रिंग मार्ग कानपुर मार्ग से रायबरेली मार्ग, लखनऊ-बलिया मार्ग, लखनऊ-बांगरमऊ-बिल्हौर मार्ग, लिपुलेख-भिंड मार्ग, शिकोहाबाद-भोगांव मार्ग, हमीरपुर-राठ-मझगवां आदि मार्गों पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट हैं।