शनिवार, 25 जुलाई 2015

किसानों के घावों पर तेजाब मत छिड़किए मंत्री जी

राज्य सभा में मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने जो भी बयान दिए, संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। केंद्रीय मंत्री ही नहीं पूरी मोदी सरकार जिन किसानों की हिमयाती होने का दम भरती है, उनके लिए कृषि मंत्री द्वारा ऐसा बयान देना घाव पर नमक नहीं बल्कि तेजाब छिड़कने जैसा है। राज्य सभा में मंत्री जी ने किसानों की आत्महत्या के कारणों पर जवाब देते हुए कहा कि इस साल 1400 से ज्यादा किसानों ने दहेज, प्रेम संबंधों और नामर्दी के चलते आत्महत्या की। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में कुल 5650 किसानों ने आत्महत्याएं की। ये वे लोग हैं जो कृषि के क्षेत्र में आत्म निर्भर थे।

बयान पर बवाल होना स्वाभाविक था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी समेत कई नेताओं ने कृषि मंत्री के बयान की निंदा करते हुए संवेदनहीन तक कह डाला। वहीं, जद(यू) सांसद के.सी. त्यागी ने कहा कि वह इस बयान के लिए कृषि मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएंगे।

सवाल ये नहीं है कि बयान पर किसने क्या कहा? विपक्ष का काम है बोलना, वो तो बोलेगा। सवाल है कि खुद को किसानों की हमदर्द कहलाने वाली सरकार के केंद्रीय मंत्री में इतनी भी समझ नहीं है कि आत्महत्या की वास्तिवक वजह प्यार में धोखा खाना नहीं बल्कि कर्ज, फसल बर्बादी और बिचौलियों के कारण सरकार से न मिलने वाली सहायता है। समझ में नहीं आता खुद को किसान पुत्र कहने वाले राधा मोहन जी किन किसानों की बात कर रहे हैं? हमारे देश में तो अधिकतर किसान दो जून की रोटी के जुगाड़ में ही जीवन खपा देते हैं।

केंद्रीय मंत्री बयान के दूसरे पहलुओं पर गौर करें तो साफ दिखता है कि किसानों के लिए अभी अच्छे दिनों की बात करना भी बेइमानी है। जब नीति नियंताओं को ही नहीं पता कि किसान की समस्या उसका वास्तविक दर्द क्या है! तो किसानों की वैसी स्थिति को ध्यान में रखकर योजनाओं पर अमल लाया जाएगा।

हालांकि, चौतरफा हमलों से घिरे राधामोहन सिंह ने अपने सफाई में कहा कि उन्होंने अपने मन से उसमें कुछ नहीं लिखा। जो भी आंकड़े दिए गए हैं वे एनसीआरबी के रिपोर्ट के आधार पर ही दिए गए हैं। सवाल ये उठता है कि कहां क्या लिखा है और किसने क्या लिखा है? मतलब नहीं है! आप क्या सोचते हैं किसान को सिर्फ इससे मतलब है। क्योंकि आप सिर्फ आप ही इस देश के कृषि मंत्री हैं। आप पर ही अन्नदाता तक सुविधाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी है, जिसके लिए जनता ने पूरी ताकत से आपको चुनकर यहां तक पहुंचाया है। उसकी भावनाओं संग यूं खिलवाड़ आने वाले दिनों में आपको काफी महंगा पड़ सकता है।

अगर आप आंकड़ों की ही बात करते हैं तो करीब पांच साल पहले कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने पंजाब में कुछ केस स्टडी के आधार पर किसानों की खुदकुशी की वजह बढ़ता कर्ज, साहूकारों द्वारा वसूला जाने वाला मोटा ब्‍याज और किसानों की छोटी होती जोत को बताया था। बयान देते समय आपके जेहन में वो क्यों नहीं आया?

ऐसा पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार के किसी मंत्री ने किसानों को लेकर विवादित बयान दिया हो। इससे पहले अप्रैल में जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की रैली में गजेंद्र नाम के एक किसान ने जब पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या की थी तो बीजेपी शासित हरियाणा के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने कहा था कि ऐसे लोग कायर होते हैं।

ऐसा ही रहा तो वो समय दूर नहीं है, जब किसानों का पूर्ण बहुमत से चुनी गई सरकार पर से भी भरोसा उठने में कतई देर नहीं लगेगी। आपका काम है कि देखना कि वर्तमान में किसानों की क्या समस्याएं हैं? ऐसा क्या किया जाए कि भविष्य में उन्हें भूतकाल जैसी परिस्थतियों से दो-चार न होना पड़े? तभी आपकी और आपके सरकार की सार्थकता है। अन्यथा आप भी सबसे अलग नहीं हैं।

बुधवार, 24 जून 2015

IND vs BAN : सब खेले खूब खेले


 
तीन मैचों की वनडे सीरीज में 2-0 से गंवाने के बाद तीसरे मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। सभी बल्लेबाजों ने संभलकर छूते हुए दहाई के आंकड़े को छुआ। टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 317 रन बनाए। भारत की तरफ से शिखर धवन ने सबसे अधिक 75 रन बनाए। उनके अलावा कप्तान धोनी ने 69, अंबाती रायुडु ने 44, सुरेश रैना ने तेजतर्रार 38,  रोहित शर्मा ने 29, विराट कोहली ने 25 रन बनाए, जबकि स्टुअर्ट बिन्नी 17 रन और अक्षर पटेल 10 रन बनाकर नाबाद रहे।

बांग्लादेश की तरफ से मशर्फे मुर्तजा ने 3, पिछले दो मैचों के हीरो मुस्तफिजुर ने 2 और शाकिब-उल-हसन ने 1 भारतीय खिलाड़ी को पवेलियन की राह दिखाई।
तीसरे मैच का दबाव भारतीय बल्लेबाजों पर इतना था कि सभी ने संभलकर खेलते हुए दहाई का आंकड़ा छुआ।
 
रैना ने खेली आतिशी पारी
अंबाती रायुडु के आउट होते ही सुरेश रैना ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 21 गेंदों पर 3 चौकों और 2 छक्कों की मदद से शानदार 38 रन बनाए। वो 49वें ओवर में रनगति बढ़ाने के प्रयास में सीरीज में तीसरी बार मुस्तफिजुर के शिकार बने।
मौके के हिसाब से खेल नहीं सके बिन्नी
भारतीय टीम में आलराउंडर के तौर पर शामिल स्टुअर्ट बिन्नी अंत तक नाबाद तो रहे लेकिन जरूरत के हिसाब से खेल नहीं सके। उन्होंने 11 गेंदों पर 2 चौकों की मदद से 17 बनाए। हालांकि ये दोनों चौके उन्होंने जानबूझकर नहीं मारे थे। आखिर ओवर में जहां अक्षर पटेल ने छक्का जड़ा, वहीं बिन्नी अंतिम गेंद पर असहाय नजर आए और कोई भी रन नहीं बना सके।
 
गलत फैसले का शिकार हुए रायुडु
44 रनों के निजी स्कोर पर लय में खेल रहे भारतीय बल्लेबाज अंबाती रायुडु उस समय अंपायर के गलत फैसले का शिकार हो गए, जब वह कीपर के ऊपर से शॉट खेलना चाह रहे थे। गेंद उनके पैड पर लगी, लेकिन अंपायर ने उन्हें तुरंत ही आउट दे दिया, जबकि साफ दिख रहा था कि गेंद ने उनके बल्ले को कहीं छुआ तक नहीं। अंपायर की उंगली उठते ही रायुडु और कप्तान धोनी को विश्वास ही नहीं हुआ कि उन्हें आउट करार दिया गया है।

खैर सीरीज में जो भी हो लेकिन तीसरे मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए बांग्लादेश को 317 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर दिया। अब सब कुछ भारतीय गेंदबाजों पर निर्भर है कि वो बांग्लादेश को कितने रनों पर ऑलआउट कर पाते हैं और उनके 3-0 से सीरीज जीतने के मंसूबे को कब रोक पाते हैं।




 

 

मंगलवार, 23 जून 2015

IND v/s BAN : कुछ तो गड़बड़ है

भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिए इस सच्चाई को गले उतारना इतना आसान नहीं होगा कि भारतीय क्रिकेट टीम बांग्लादेश जैसी नवोदित टीम से भी वन-डे सीरीज हार गई। तीन मैचों की सीरीज में बांग्लादेश 2-0 से आगे है। टीम के घटिया प्रदर्शन को देखते हुए ये कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि मेजबान टीम मेहमानों पर क्लीन स्वीप करने के लिए बेताब है। पहले मैच में भारतीय टीम स्कोर का पीछा करते हुए 79 रनों से हार गई, जबकि दूसरे मैच में तो टीम पूरे ओवर भी नहीं खेल सकी और छह विकेट से परास्त हो गई। पूरी भारतीय टीम एक ऐसे गेंदबाज से हार गई, जिसने अभी तक जुम्मा-जुम्मा दो ही मैच खेले हैं। 19 वर्षीय तेज गेंदबाज मुस्तफिजुर ने पहले मैच में पांच, जबकि दूसरे मैच में छह भारतीय शूरमाओं को अपना शिकार बनाया। किसी गेंदबाज के लिए इससे बेहतर डेब्यू और क्या हो सकता था।

क्या यह महज संयोग है? या धोनी एंड कंपनी ने पड़ोसी देश की टीम को हल्के में लिया? बांग्लादेश एक नवोदित टीम है, जो कम-से-कम वन-डे क्रिकेट में लगातार अपने खेल में सुधार कर रही है। साथ ही धोनी टीम को यह भी नहीं भूलना चाहिये था कि पिछले विश्व कप में बांग्लादेश की टीम ने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था। साथ ही टीम को यह भी ध्यान में रखना चाहिये था कि हाल ही में बांग्लादेश की टीम ने घरेलू मैदान पर पाकिस्तान को वन-डे सीरीज में 3-0 से धूल चटाई थी।

शायद इसी कारण इस बार भारत ने अपने मौजूदा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को बांग्लादेश भेजा। लेकिन टीम वहां खेल के हर विभाग में मेजबानों से पिटती नजर आई। अनिल कुंबले के रिटायर होने और ज़हीर खान तथा हरभजन सिंह के लय खोने के बाद अब सीमित ओवरों वाले फॉर्मेट में कसी गेंदबाजी करने में सक्षम गेंदबाज भी गिने-चुने ही हैं। ऐसे में जब कभी बैटिंग फेल हो, वर्तमान टीम मैच जीतने की सोच भी नहीं सकती, बशर्ते दूसरी टीम खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने को आमादा न हो।

बांग्लादेश के हाथों इस शर्मनाक हार के बाद धोनी की कप्तानी पर सवाल उठ रहे हैं वहीं, यशपाल शर्मा और चेतन शर्मा जैसे कई पूर्व दिग्गज क्रिकेटर इस बात की आशंका जाहिर कर रहे हैं कि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम का माहौल ठीक नहीं है। टीम के कप्तान धोनी के पूर्व कोच चंचल भट्टाचार्य का कहना है कि धोनी को टीम का सपोर्ट नहीं मिल रहा है।

भारतीय क्रिकेट प्रशासन को इस सवाल पर आत्म-चिंतन अवश्य करना चाहिए कि अपनी वित्तीय शक्ति से विश्व क्रिकेट को चलाने का दंभ भरने वाले भारत में खिलाड़ियों की गुणवत्ता क्यों तेजी से घट रही है? इसके लिए आईपीएल की संस्कृति कितनी जिम्मेदार है- यह भी विचारणीय है। आज की कड़वी हक़ीकत यह है कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम अत्यंत साधारण नजर आती है। दूसरी तरफ नौजवानों के उत्साह से भरपूर बांग्लादेश टीम है। ऐसे में जो परिणाम आया, उसे बहुत आश्चर्यजनक नहीं माना जाएगा।

खैर जो भी हो बीसीसीआई को इस हार के कारणों को तलाशना ही होगा। अभी तक भारतीय टीम की ऐसी दुर्गति तो ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे दौरों पर होती थी। तब क्रिकेटप्रेमी और क्रिकेट जानकार ये कहकर संतोष कर लेते थे कि बाउंसी पिचों पर हमेशा ही भारतीय टीम की हालत पतली होती रही है।