बुधवार, 18 दिसंबर 2013

यहां अभी भी चलता है जंगलराज …


आज मैं इलाज के सिलसिले में संडीला गया था, जोकि हरदोई जिले में पड़ता है. सौभाग्य से मेरा गाँव भी संडीला तहसील में ही है. लेकिन इस बार जब मैं संडीला गया तो शहर के हालात कुछ बदले-बदले लगे, सड़कें एकदम लकालक साफ़ थीं, हर तरफ ट्रैफिक को कंट्रोल करते पुलिसकर्मी नजर आ रहे थे, कुल मिलाकर ऐसा लग रहा रहा जैसे मैं किसी साउथ इंडिया की सिटी में आ गया हूँ, पर जैसे ही चौराहे पर पंहुंचा, लोंगों से पूंछा , और बड़े-बड़े होर्डिंग्स देखा तो पता चला ऐसा कुछ भी नही है जैसा मैं सोच रहा था दरअसल आज कसबे में यू पी के सीएम अखिलेश यादव जी के आज़म चचा आ रहे हैं. 

   यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री के स्वागत के लिए शानदार व्यवस्था की गई थी,  मेनरोड को नगरीय विकास मंत्री के स्वागत के लिए चमाचम किया गया था, रोड्स को नहलाया गया था इतना ही नहीं हमेशा गन्दी रहने वाली सड़कों के किनारे चूना भी डाला गया था ताकि खूबसूरत भी दिखें। खैर मुझे क्या मतलब मैं तो दवा लेने गया था, सो दिमाग पर जोर न देकर अपने काम से लग गया.
लेकिन जब मैं वापस आ रहा था तभी मैंने एक पटाखा फटने जैसी आवाज सुनी, पीछे मुडा तो देखा लोगों की भीड़ जमा हो रही, दरअसल किसी ने एक पल्सर बाइक सवार को गोलियों से भून दिया था. उस 35-40 साल के युवक को शरीर से सटाकर गोली मारी गई थी. वह भी वहां पर जहां से चंद कदमों की  ही दूरी पर संगीनें लिए आज़म खान के स्वागत के लिए तमाम पुलिस जाप्ता तैनात था.
  
  इस घटना से साफ़ ज़ाहिर होता है कोई कुछ भी कहे उत्तरप्रदेश में जंगलराज क़ायम है! यूपी  में बेख़ौफ़ हो चले अपराधियों को किसी का भी खौफ नही है. क्यूंकि जिस तरह से पुलिस कि मौजूदगी में इस हादसे को अंज़ाम दिया गया है पूरी कहानी साफ़ हो जाती है. वहां मौज़ूद लोगों ने बताया कि पिछले 6 माह के अंदर इस तरह की यह तीसरी वारदात है जब किसी को सरेराह गोली मारी गई हो.

 ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है कि एक मिनिस्टर की सुरक्षा को लेकर पुलिस कितनी सजग थी, ऐसे में कभी भी किसी हादसे को अंज़ाम दिया जा सकता था.

   ऐसे में साफ़ जाहिर होता है कि यूपी में न तो कोई कानून व्यवस्था है और न ही अपराधियों में उसका खौफ है. अखिलेश को इस बार लोगों ने बड़ी ही उम्मीद के साथ सीएम बनाया था, जिसे पूरा करने में माननीय मुख्यमंत्री जी पूरी तरह से असफल रहे हैं. 

फ़ोटो- फ़ाइल 

   

बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

बापू तुम्हे प्रणाम...


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में पूरा देश आज के दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाता है। दो अक्टूबर का स्मरण आते ही दिमाग में एक ऐसे महापुरुष की छवि घूम जाती है,  जिन्होने सत्य और अहिंसा के बूते पर देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया था। बापू के अनोखे व्यक्तित्व पर कवि की ये पंक्तियां प्रकाश डालती हैं।

    धरती पर लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
            दागी ना कहीं तोप ना बंदूक चलाई
    आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल..
            साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल..

    राष्ट्रपिता ने एक ऐसे बुलंद भारत का सपना का देखा था, जिसमें सभी को न्याय और सम्मान मिल सके। सबके लिए रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और ईलाज जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके। लेकिन आजादी के 66 वर्षों बाद भी लोगों की हालत में कोई खास बदलाव नहीं आया है। आम आदमी आज भी गरीबी की चक्की में पिसकर तड़प-तड़प कर दम तोड़ने को विवश है।  आज अगर गांधी जी जीवित होते तो शायद देश की ऐसी हालत देखकर शर्मसार हो जाते।

    आज गांधी जयंती है पूरे देश में लोग गांधी जी को याद कर रहे हैं। सरकारी ऑॅफिसों, कार्यालयों में तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन क्या बापू को याद कर लेना ही काफी है ? क्या उनकी याद में फूल मालाएं चढ़ा देना सच्ची श्रद्दांजलि है ?  शायद नहीं..

    बापू की नजरों में ये सात महापाप थे, जिन्हे आज खुलकर समाज का समर्थन प्राप्त है।     आज हर कोई उनके दिखाए मार्ग पर, उनके सिद्धांतों पर चलने के बजाय ऐन-केन प्रकारेण पैसा कमाने की अंधी दौड़ में सरपट भागा जा रहा है। 

गांधी जी की नज़रों में सात महापाप
1- सिद्धांत विहीन राजनीति
2- श्रमहीन संपत्ति
3- विवेकहीन सुख
4-चरित्रहीन ज्ञान
5- नीतिहीन व्यापार
6- दयाहीन विज्ञान
7-त्यागहीन पूजा

    गांधी जी जिन्हे पाप समझते थे आज वहीं धारणाएं समाज में आकंठ धंसी हुई है। बापू ने एक साफ सुथरे समाज का ताना बाना बुना था, उसका सपना देखा था।  लेकिन आज की स्थिति बिल्कुल उसके उलट है। चारों तरफ लूट खसोट मची हुई है। हर कोई भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा हुआ है और शायद बचे लोग डूबने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। मानवता शब्द तो गधे के सींग की तरह गायब ही हो गया है।
ं    अगर आज हम बापू के दिखाए सदमार्ग पर हम चल सकें, उनके आदर्शों का पालन कर सकें ,,दम तोड़ती मानवता को जीवित कर सकें , तो शायद हम सही अर्थों में बापू को सच्ची श्रद्दांजलि दे पाएंगे। वरना यह पावन दिन भी महज एक छुट्टी का दिन भर बनकर रह जाएगा।

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

जै श्री कृष्ण


सभी देशवासियों को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज के दिन भगवान कृष्ण ने पापियों का नाश करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। माखनचोर नंदलाला ने देश में धर्म और मानव जाति की रक्षा के लिए उच्च आदर्शों को स्थापित किया था। कंस जैसे पापी को मारकर कृष्ण कन्हैया ने भारत देश में धर्म और सत्य की पताका लहराई थी।
    जन्माष्टमी के दिन जन्मोत्सव के अलावा कोई और ऐसी ख़ुशी नहीं है जो कलेजे को सुकून और शांति दे। देश में चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अपराध और अपराधियों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। चाहें राजनेता हों या समाज की सेवा के लिए नियुक्त नौकरशाह हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में नैतिक मूल्यों को धुएं में उड़ाता जा रहा है। साधू-संत, मुल्ला-मौलवी से लेकर कथित तौर पर धर्म के ठेकेदार इंसानियत का क़त्ल करने पर उतारू हैं। चारों तरफ नफरत, बेईमानी और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
    जिनके कंधों पर हमारे देश की जिम्मेदारी है देश को एक मुकाम तक ले जाने की, वही लोग देश को खांई में ढकेलने को आतुर दिखते हैं। अधिकांश नेतागण अपने ओहदे और रुतबे का फायदा उठाते हुए हर तरफ लूट-खसोट मचाए हुए हैं।  जन्माष्टमी वाले दिन ही उत्तरप्रदेश के सपा नेता, विधायक जी गोवा में गोपियों से रास लीला मनाते पकड़े गये।
     देश में शायद आर्थिक इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए है। ना सिर्फ डॉलर के मुकाबले बल्कि दुनिया की दूसरी मुद्राओं के मुकाबले भी रुपये की स्थिति जर्जर हो चुकी है। रुपया रसातल में पहुंच गया है, बाजार लहुलूहान है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, शेयर बाजार औंधे मुंह गिर कर अठारह हजार से नीचे सत्रह हजार पर चला आया है। ऐसे में उद्योग जगत पूरी तरह से आहत है। उद्योग समूह एसोचैम के महासचिव डी एस रावत का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा कई अहम फैसले लेने में देरी और हाल के वर्षों में टूजी, कोयला ब्लॉक आवंटन और राष्ट्रमंडल खेल सहित कई घोटाले की खबरों से अंतर्राष्ट्रीय पटल में भारत की छवि खराब हुई है और विदेशी निवेशकों का भरोसा हमपर से उठा है। उनका मानना है कि सरकार को फिलहाल शार्ट टर्म कदम उठाने चाहिए और कुछ ऐसे कारगर कदम जिससे देश में अधिक से अधिक अमेरिकी डॉलर या निर्यात से कमाया हुआ पैसा आये। रुपये के मूल्य में गिरावट का सबसे ज्यादा असर पेट्रोलियम पदार्थो और गैस की की कीमतों में बढ़ोत्तरी के रूप में देखने को मिल सकता है। अर्थात हम कह सकते हैं कि देश में पहले से पिस रहे आम आदमी की मुश्किलें कम नहीं होंगी बल्कि और रुलाएंगी। पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा दूसरे आयातित वस्तुओं मसलन ए सी, फ्रिज, कार, टीवी भी महंगे हो सकते है। रूपये की गिरावट से विदेशी शिक्षा और कर्ज भी महंगे होंगे। रुपया लुढ़कते हुए अब तक के सबसे निचले स्तर उनहत्तर के करीब पहुंच गया है। जिसका असर सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त गिरावट के रूप में देखने को मिल रहा है।
    देश के तीनों जाने-माने बड़े अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी, वित्त मंत्री पी.चिदंबरम जी और योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया जी देश की अर्थव्यवस्था को बचाने में पूर्णतया नाक़ाम रहे हैं। इनके तरकश में भी अब शायद कोई ऐसे तीर नहीं बचे हैं कि अर्थव्यवस्था की गिरती बागडोर को थाम सकें। वि·ा बाजार में दिन पर दिन हमारी साख गिरती जा रही है। हमारे रुपये की ऐसी दुर्दशा अकस्मात ही नहीं हुई है इसके लिए लिए हमारी कमजोर नीतियां भी जिम्मेदार हैं। (रुपये की गिरती हालत पर पिछली पोस्ट पढ़ने के लिए http://hariomdwivedi.blogspot.in पर क्लिक करें)
    सुरक्षा की दृष्टि से भी देश की हालत खराब है, शायद हम वहां भी नाकाम ही दिखते हैं। आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ हमारी बाहरी सीमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान हमेशा ही युद्धविराम के समझौते का उल्लंघन करता रहता है। चीनी सैनिक तो हमारी सीमा में हमारी धरती पर घुसकर अपने तम्बू लगा देते हैं और हम बम्बू बने बैठे रहते हैं। इतना ही नहीं बांग्लादेश की सीमा से भी आतंकी घुसपैठ की ख़बरें आती रहती हैं। हद तो तब हो गई हो गई जब जन्मोत्सव के दिन ही अदने से देश म्यांमार के सैनिक भी हमारी सीमा में बेधड़क घुस आये और जिनकी औकात हमारे मुकाबले पिद्दी भर है उन्होने सीमा में घुसकर चेकपोस्ट बनाने की कोशिश की। सीमा सुरक्षा के अलावा देश की आंतरिक सुरक्षा भी राम भरोसे ही है। नक्सली जब चाहते हैं, जहां चाहते हैं और जैसे चाहते हैं निर्दोष लोगों पर घात लगाकर हमला कर जाते हैं, और  हमारे कर्ता-धर्ता जवानों के साथ आम आदमी की मौत पर चुपचाप मौत का तमाशा देखते रहते हैं।
    क्या हम वास्तव में जन्मोत्सव मनाने की स्थिति में हैं ? ऐसे में यह सोचना उचित होगा कि क्या हमारे देश में भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी मनाने की आदर्श स्थिति है। भारत में आज कौन कृष्ण बनकर इस बेईमान, भ्रष्टाचारी रूपी कंस से मुक्ति दिलाएगा।
    जन्माष्टमी पर इस बार मैं भी कुछ ख़ास इन्जॉय नहीं कर सका सिवाय मन मसोस के रहने के अलावा। मेरे यहां हर बार जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी लोग मिलकर......... uncomplete

जै श्री कृष्ण.... जै श्री कृष्ण...   जै श्री कृष्ण