शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कौन बनायेगा उत्तम प्रदेश...??

राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठेगा कुछ पता नहीं, अपने प्रदेश की जनता को लेकर उसकी क्या रणनीति है।उसके द्वारा किए गये वादों का क्या होगा, विकास के मापदंड़ क्या होंगें कुछ पता। हम बात कर रहे हैं उत्तरप्रदेश की जहां हमेशा से उसके राजनेता जनता के पैसे का दुरुपयोग करते रहे हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो यूपी की जनता को हमेशा ही भेदभाव की राजनीति से दो-चार होना पड़ता है,कभी जाति के नाम पर तो कभी क्षेत्रवाद के नाम पर। चाहे कितनी बार भी सत्ता परिवर्तन हो लेकिन राजनेताओं की मानसिकता जस की तस ही रही है। ज्यादा पीछे ना जाकर माया सरकार के कार्यकाल शुरुआत करते हैं। मायावती को जनता पूरे बहुमत के सत्ता में इस उम्मीद से लेकर आई थी कि शायद अब कुछ हालात बदलें।लेकिन मायावती जी ने उन्ही के लिए कुछ नहीं किया जिन्होने उन्हे चुनकर भेजा था। माया ने अपना फोकस मूर्तियों और पार्कों पर कायम रखा। ज्यादा अच्छा होता अगर कुछ जनकारी योजनाएं लागू करके उनका क्रियान्वयन किया जाता।लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो सका,लिहाजा जनता ने भी अपना काम किया और चुनाव में बसपा की नकार कर, सत्ता में सपा को इस उम्मीद से पूर्ण बहुमत में लाई कि शायद अखिलेश जी ही कुछ भला करेंगे। लेकिन सपा ने भी अभी तक ऐसा कोई ऐसा काम नहीं किया है जिससे कि उसकी पीठ थपथपाई जा सके। हां केवल इतना जरूर किया है उसने मायावती द्वारा किये गये कामों को बिगाड़ने में ही अपना सारा ध्यान केन्द्रित किया है।
रोजी,रोटी,कपड़ा,मकान,शिक्षा,चिकित्सा और सुरक्षा किसी भी राज्य के नागरिक की मूलभूत आवश्यकताएं हैं।हर नागरिक चाहता है उसके घर में हमेशा बिजली रहे,खेतों में सिंचाई की समस्या ना हो,गरमी से परेशानी ना हो, उसके बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी अंधेरे के कारण ना रुके। इसीलिए चौबीस घंटे बिजली की उपलब्धता को ही उच्च जीवन स्तर या विकास का मानक माना गया है। लेकिन प्रदेश के कुछ चुनिंदा शहरों में ही चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध रहती है। सत्ता परिवर्तन के बाद इटावा,मैनपुरी,कन्नौज,लखनऊ और रामपुर में पहले से ही बिजली ना काटने के निर्देश दिये गये थे। वहीं अब यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाधी को यूपी में केवल अमेठी और रायबरेली ही नजर आता है, सोनिया गांधी के कहने पर ही अब रायबरेली और अमेठी में भी 24 घटे बिजली रहेगी।फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कब तक मुलायम सोनिया के साथ रहते हैं जबकि ये भी सच है कि यूपी में वोटों के लिए कांग्रेस और सपा की ही सीधी टक्कर होगी।  वहीं माया राज में बादलपुर,अंबेड़करनगर, और उनके द्वारा बनवाये पार्क चौबीस घंटे बिजली से चमचमाते रहे। यहां यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या ये शहर ही पूरी तरह से विकसित हैं या विकास के मापदंड़ पर खरे उतरते हैं ऐसा नहीं है बल्कि इन राज्यों में बिजली देना इनके राजनीतिक स्वार्थ निहतार्थ हैं।जबकि प्रदेश की बहुतायत जनता ने पूरे बहुमत के साथ पार्टी को चुनाव में विजयी बनाया था,क्या यही सोचकर कि उसके साथ पक्षपात हो,चन्द चुनिंदा शहरों को छोड़कर बाकी शहरों का गुनाह क्या था।हालत यह है कि बिजली उत्पादन के मामले में उत्तरप्रदेश दूसरे राज्यों से काफी पीछे है वहीं बिजली चोरी मामले में इतिहास अव्वल रहा। अभी हाल ही में देश में आये बिजली संकट ने पूरे देश को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था। और इस मामले में भी राष्ट्रीय ग्रिड से अनुशासन तोड़कर बिजली लेने का आरोप लगा था।
अगर ताजा सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तरप्रदेश में अभी भी तिरसठ प्रतिशत लोग दीपक जलाकर ही पढ़ते हैं। वर्ष 2001 में राज्य के 31.9 फीसदी घरों में बिजली थी और दस साल बाद बिजली मात्र 36.8 फीसदी घरों मे ही पहुंच पाई।
प्रदेश के कर्ता-धर्ता कब तक जनता को ऐसे ही धोखे देते रहेंगे।कब उनकी भी दूसरे विशेष कृपापात्र शहरों की तरह किस्मत चमकेगी। और जिन गांव वालों ने अपने जीवन पर्यंन्त गांव मे लाईट नही देखी क्या कभी राज्य सरकार की नज़रे इनायत उनपर भी पड़ेगी।

बुधवार, 29 अगस्त 2012

खेल दिवस

दुनिया भर में भारत के राष्ट्रीय खेल का परचम लहराने वाले मेजर ध्यानचंद की आज जयंती है। उनके शानदार खेल की वजह से उन्हे हाकी का जादूगर भी कहा जाता है।उनकी याद में आज के दिन यानि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। खेल के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करने वाले सभी खिलाड़ियों को खेल पुरस्कारों से नवाजा जाता है। हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रपति भवन में देश के महामहिम सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़यों का सम्मान करेंगे। पिछले एक साल में भारत में खेले जाने वाले सभी खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सम्मानित करेंगे। साथ ही लंदन ओलंपिक में भारत को पदक दिलाने वाले खिलाड़ियों को भी राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जाएगा। इस मौके पर खिलाड़ियों के साथ-साथ उनकी प्रतिभा निखारने वाले कोचों को भी सम्मानित किया जाएगा।

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

जलेबी की आत्मकथा

मैं जलेबी हूं। पौराणिक काल से लेकर आज तक मेरे चाहने वाले हमेशा से मेरा रसास्वादन करते रहे हैंं। मेरा साम्राज्य दुनिया के तमाम कोनों में फैला हुआ है। मेरे दीवाने भारत में ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान ईरान के साथ तमाम अरब देशों में फैले हुए हैंं। इतना ही नहीं भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पश्चिमी देश स्पेन तक मेरे चाहने वालों की कोई कमी नहीं है।

मेरा नाम लेने से ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। स्त्री, पुरुष, बूढ़े, बच्चे और जवान सभी के बीच मैं खूब आदर पाती हूं। प्लेटफार्म हो या बस अड्डा या फिर टैक्सी स्टैंड, हर जगह मैं आसानी से मिल जाती हूं।  सर्दी, गर्मी या बरसात हो, चाहे कैसा भी मौसम हो मैं हमेशा दुकानों में सजी रहती हूं। मैं ऊपर से नीचे तक रस से भरी  हूं। मेरा स्वाद दूसरी मिठाइयों से अलग है। मेरी डिश बनाने में ज्यादा खर्च भी नहीं आता। 

हिन्दू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई मैं सबकी चहेती स्वीट डिश हूं। मैं जात-पात,धर्म और संप्रदाय के बंधनों से हमेशा दूर रहती हूं। चाहे किसी भी जाति का हो किसी धर्म का हो मैंने कभी भी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। कभी गरीब-अमीर के बीच भेदभाव भी नहीं किया। गरीब हो या अमीर हर वर्ग के लोगों के लिए मैं सदैव तैयार रहती हूं। 

मैंने देश की बेरोजगारी दूर करने में भी अहम भूमिका निभाई है। कोई भी गरीब से गरीब व्यक्ति कहीं पर भी चंद रुपयों में जलेबी की दुकान खोल सकता है। मेरी दुकान कहीं पर भी हो मेरे चाहने वाले हमेशा ढूंढ़कर पहुंच ही जाते हैं। मेरी इन्हीं तमाम खूबियों के कारण भारत में मुझे राष्ट्रीय मिठाई का दर्जा प्राप्त है। कोई भी त्यौहार हो, कैसा भी मौका हो, हर सुख दुख में मैं अपने लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हूं। 

स्वतंत्रता दिवस हो, गणतंत्र दिवस हो या कोई अन्य पर्व हो हर मौके पर मुझे खूब आदर मिलता है। लोकप्रियता के मामले में मुझे कोई टक्कर नहीं दे सकता। स्कूल-कॉलेजों में झंडा फहराया जाए और मेरी बात न हो संभव नहीं। राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्रध्वज के बाद मैं ही सबकी पसंद होती हूं। 

इन सबके अलावा फिल्मी दुनिया में भी मेरा जबरदस्त बोलबाला  है। मेरे ही नाम का सहारा लेकर जलेबी बाई बनी मल्लिका शेरावत ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं।

इतनी उपलब्धियों के बाद भी अभी तक मुझे एक बात कचोटती रहती है। मैं इतनी सीधी-साधी और रसीली हूं लेकिन फिर भी लोग मुझे गलत तरीके से परिभाषित करते हैं। मुहावरे के तौर पर किसी दुष्ट व्यक्ति को संबोधित करने के लिए लोग कहते हैं "तुम तो ऐसे सीधे हो जैसे जलेबी"।

आज बढ़ती महंगाई के चलते मुझे महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। जिससे गरीब भाइयों का मेरे पास आना बंद होता जा रहा है। मैं चाहती हूं कि मेरे साथ हर तबके हर वर्ग के लोग हमेशा जुड़े रहें। मैं केवल अमीरों के पास नहीं रहना चाहती।