रविवार, 9 जनवरी 2011

My Moments









One day in sun light i went 4 snaping photo ,after came back we sat outside with biju sir and our clasmates....

HAPPY NEW YEAR 2011

जब नया साल आने को होता है हम सब बेसब्री से उसका इंतजार करते हैं ,जैसे ही दिसम्बर माह में कदम रखते हैं नए साल  के लिए योजनायें बनाना शुरू  कर देते हैं | ग्रीटिंग का बाज़ार सज जाता है बुके देने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं और हम अपने हर उस करीबी को बधाई देना चाहते हैं जो हमसे किसी प्रकार से जुड़ा हुआ है |कुछ युवक,युवतियों को इसी बहाने प्रपोज करने का मौका मिल जाता है |३१ दिसम्बर  की शाम से पार्टियाँ होने लगती हैं कोई अपने दोस्तों के साथ मनाना चाहता है कोई परिवार वालों के साथ तो  कोई भजन -कीर्तन  या कोई खुदा की इबादत करते हुए | बीते साल मैंने भी १ जनवरी को मेहंदीपुर वाले बाला जी के दर्शन किये थे पर इस बार मैंने सोचा कि दोस्तों के साथ मनाया जाये | हम सारे दोस्त एक साथ इकट्ठे हुए जबरदस्त तैयारियों के साथ |बीते साल की आखिरी शाम को ढेर सारी दारू पीने के बाद नए साल  से न पीने का संकल्प का रिवाज़ बहुत पुराना है ,३१ दिसंबर की शाम को हर कोई शराब में इतना डूब जाना चाहता है जैसे वह अगले साल का कोटा आज ही पूरा कर लेगा |कई तरह के संकल्प लिए जाते हैं कोई कहता है मैंने दारू छोड़ दी .कोई कहता है मैंने सिगरेट छोड़ दी और कोई कुछ कोई कुछ... आदि |पर शायद ही कोई इस संकल्प को पूरा कर पाता है ,कुछ ज्यादा ही हिम्मती इस संकल्प को ८-१० दिन खींच ले जाते हैं नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात |
पता ही नहीं चलता कि एक साल कैसे बीत गया ,जब हम बीते साल के  संकल्प और उपलब्धियों पर नजर डालते हैं परिणाम वही शून्य , मन में एक पश्चाताप सा होता है और फिर ऐसा न करने का संकल्प लेकर फिर एक नए साल के आने तक अँधा-धुंध उसी दिशा में भागते रहते हैं | जैसे - जैसे समय बीतता जाता है लगता है कि जिन्दगी मुट्ठी में पकड़ी रेत की तरह फिसलती जाती है |पता नहीं व्यक्ति साल के आखिरी दिन या नए साल के पहले दिन ही बैठकर ही इन क्षणों का हिसाब क्यूँ लगता है  ? काश,हर शाम और हर सुबह आने वाले दिन का हम लेखा जोखा लेकर बैठें तो शायद जिन्दगी की अहमियत बढ़ जाएगी , उस दिन की भूल हो अगले दिन ही ठीक किया जा सकेगा पर ऐसा हो नहीं पाता !
स्व-विश्लेषण से गलती का एहसास होता है जिससे किये गए कार्य के प्रति हीन भावना जन्म लेती है पर हम तो स्रेस्ठता में जीना पसंद करते हैं |काश, हर गुजरे हुए साल की आखिरी शाम हम अपने संकल्पों को लेते समय अपने बाकी बचे जीवन के बारे में सोचकर उसे किसी सकारात्मक प्रयोजन में लगाने की सोचें तो वह किसी पिछली भूल को सुधारने में सहायक होगा |
भूल करना हमारा विशेषाधिकार है ,भूल को दोहराना उतना ही बड़ा अपराध ,इसलिए भूल पर पछताने की बजाय हमें भूल न करने की कोशिश करनी चाहिए |
आज जब नये साल को शुरू हुए ९ दिन ही हुए हैं मैंने अपने सारे संकल्प तोड़ दिए हैं |अब मेरे लिए किसी भी गुजरे  साल की भूल कोई मायने नहीं रखती क्यूँकि मेरे लिए बचे हुए साल ज्यादा अहमियत रखते हैं | इन्ही चंद बातों के साथ आप सबको नए साल की हार्दिक शुभकामनायें !





awesome days..........












we had been suffering from brutal cold but after suffering brutal cold. we got chance to move around. i was anxious to snap pic but i was not getting .but after getting time . I could manage to snap pic........