शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कौन बनायेगा उत्तम प्रदेश...??

राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठेगा कुछ पता नहीं, अपने प्रदेश की जनता को लेकर उसकी क्या रणनीति है।उसके द्वारा किए गये वादों का क्या होगा, विकास के मापदंड़ क्या होंगें कुछ पता। हम बात कर रहे हैं उत्तरप्रदेश की जहां हमेशा से उसके राजनेता जनता के पैसे का दुरुपयोग करते रहे हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो यूपी की जनता को हमेशा ही भेदभाव की राजनीति से दो-चार होना पड़ता है,कभी जाति के नाम पर तो कभी क्षेत्रवाद के नाम पर। चाहे कितनी बार भी सत्ता परिवर्तन हो लेकिन राजनेताओं की मानसिकता जस की तस ही रही है। ज्यादा पीछे ना जाकर माया सरकार के कार्यकाल शुरुआत करते हैं। मायावती को जनता पूरे बहुमत के सत्ता में इस उम्मीद से लेकर आई थी कि शायद अब कुछ हालात बदलें।लेकिन मायावती जी ने उन्ही के लिए कुछ नहीं किया जिन्होने उन्हे चुनकर भेजा था। माया ने अपना फोकस मूर्तियों और पार्कों पर कायम रखा। ज्यादा अच्छा होता अगर कुछ जनकारी योजनाएं लागू करके उनका क्रियान्वयन किया जाता।लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो सका,लिहाजा जनता ने भी अपना काम किया और चुनाव में बसपा की नकार कर, सत्ता में सपा को इस उम्मीद से पूर्ण बहुमत में लाई कि शायद अखिलेश जी ही कुछ भला करेंगे। लेकिन सपा ने भी अभी तक ऐसा कोई ऐसा काम नहीं किया है जिससे कि उसकी पीठ थपथपाई जा सके। हां केवल इतना जरूर किया है उसने मायावती द्वारा किये गये कामों को बिगाड़ने में ही अपना सारा ध्यान केन्द्रित किया है।
रोजी,रोटी,कपड़ा,मकान,शिक्षा,चिकित्सा और सुरक्षा किसी भी राज्य के नागरिक की मूलभूत आवश्यकताएं हैं।हर नागरिक चाहता है उसके घर में हमेशा बिजली रहे,खेतों में सिंचाई की समस्या ना हो,गरमी से परेशानी ना हो, उसके बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी अंधेरे के कारण ना रुके। इसीलिए चौबीस घंटे बिजली की उपलब्धता को ही उच्च जीवन स्तर या विकास का मानक माना गया है। लेकिन प्रदेश के कुछ चुनिंदा शहरों में ही चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध रहती है। सत्ता परिवर्तन के बाद इटावा,मैनपुरी,कन्नौज,लखनऊ और रामपुर में पहले से ही बिजली ना काटने के निर्देश दिये गये थे। वहीं अब यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाधी को यूपी में केवल अमेठी और रायबरेली ही नजर आता है, सोनिया गांधी के कहने पर ही अब रायबरेली और अमेठी में भी 24 घटे बिजली रहेगी।फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कब तक मुलायम सोनिया के साथ रहते हैं जबकि ये भी सच है कि यूपी में वोटों के लिए कांग्रेस और सपा की ही सीधी टक्कर होगी।  वहीं माया राज में बादलपुर,अंबेड़करनगर, और उनके द्वारा बनवाये पार्क चौबीस घंटे बिजली से चमचमाते रहे। यहां यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या ये शहर ही पूरी तरह से विकसित हैं या विकास के मापदंड़ पर खरे उतरते हैं ऐसा नहीं है बल्कि इन राज्यों में बिजली देना इनके राजनीतिक स्वार्थ निहतार्थ हैं।जबकि प्रदेश की बहुतायत जनता ने पूरे बहुमत के साथ पार्टी को चुनाव में विजयी बनाया था,क्या यही सोचकर कि उसके साथ पक्षपात हो,चन्द चुनिंदा शहरों को छोड़कर बाकी शहरों का गुनाह क्या था।हालत यह है कि बिजली उत्पादन के मामले में उत्तरप्रदेश दूसरे राज्यों से काफी पीछे है वहीं बिजली चोरी मामले में इतिहास अव्वल रहा। अभी हाल ही में देश में आये बिजली संकट ने पूरे देश को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था। और इस मामले में भी राष्ट्रीय ग्रिड से अनुशासन तोड़कर बिजली लेने का आरोप लगा था।
अगर ताजा सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तरप्रदेश में अभी भी तिरसठ प्रतिशत लोग दीपक जलाकर ही पढ़ते हैं। वर्ष 2001 में राज्य के 31.9 फीसदी घरों में बिजली थी और दस साल बाद बिजली मात्र 36.8 फीसदी घरों मे ही पहुंच पाई।
प्रदेश के कर्ता-धर्ता कब तक जनता को ऐसे ही धोखे देते रहेंगे।कब उनकी भी दूसरे विशेष कृपापात्र शहरों की तरह किस्मत चमकेगी। और जिन गांव वालों ने अपने जीवन पर्यंन्त गांव मे लाईट नही देखी क्या कभी राज्य सरकार की नज़रे इनायत उनपर भी पड़ेगी।

बुधवार, 29 अगस्त 2012

खेल दिवस

दुनिया भर में भारत के राष्ट्रीय खेल का परचम लहराने वाले मेजर ध्यानचंद की आज जयंती है। उनके शानदार खेल की वजह से उन्हे हाकी का जादूगर भी कहा जाता है।उनकी याद में आज के दिन यानि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। खेल के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करने वाले सभी खिलाड़ियों को खेल पुरस्कारों से नवाजा जाता है। हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रपति भवन में देश के महामहिम सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़यों का सम्मान करेंगे। पिछले एक साल में भारत में खेले जाने वाले सभी खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सम्मानित करेंगे। साथ ही लंदन ओलंपिक में भारत को पदक दिलाने वाले खिलाड़ियों को भी राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जाएगा। इस मौके पर खिलाड़ियों के साथ-साथ उनकी प्रतिभा निखारने वाले कोचों को भी सम्मानित किया जाएगा।

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

जलेबी की आत्मकथा

मैं जलेबी हूं। पौराणिक काल से लेकर आज तक मेरे चाहने वाले हमेशा से मेरा रसास्वादन करते रहे हैंं। मेरा साम्राज्य दुनिया के तमाम कोनों में फैला हुआ है। मेरे दीवाने भारत में ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान ईरान के साथ तमाम अरब देशों में फैले हुए हैंं। इतना ही नहीं भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पश्चिमी देश स्पेन तक मेरे चाहने वालों की कोई कमी नहीं है।

मेरा नाम लेने से ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। स्त्री, पुरुष, बूढ़े, बच्चे और जवान सभी के बीच मैं खूब आदर पाती हूं। प्लेटफार्म हो या बस अड्डा या फिर टैक्सी स्टैंड, हर जगह मैं आसानी से मिल जाती हूं।  सर्दी, गर्मी या बरसात हो, चाहे कैसा भी मौसम हो मैं हमेशा दुकानों में सजी रहती हूं। मैं ऊपर से नीचे तक रस से भरी  हूं। मेरा स्वाद दूसरी मिठाइयों से अलग है। मेरी डिश बनाने में ज्यादा खर्च भी नहीं आता। 

हिन्दू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई मैं सबकी चहेती स्वीट डिश हूं। मैं जात-पात,धर्म और संप्रदाय के बंधनों से हमेशा दूर रहती हूं। चाहे किसी भी जाति का हो किसी धर्म का हो मैंने कभी भी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। कभी गरीब-अमीर के बीच भेदभाव भी नहीं किया। गरीब हो या अमीर हर वर्ग के लोगों के लिए मैं सदैव तैयार रहती हूं। 

मैंने देश की बेरोजगारी दूर करने में भी अहम भूमिका निभाई है। कोई भी गरीब से गरीब व्यक्ति कहीं पर भी चंद रुपयों में जलेबी की दुकान खोल सकता है। मेरी दुकान कहीं पर भी हो मेरे चाहने वाले हमेशा ढूंढ़कर पहुंच ही जाते हैं। मेरी इन्हीं तमाम खूबियों के कारण भारत में मुझे राष्ट्रीय मिठाई का दर्जा प्राप्त है। कोई भी त्यौहार हो, कैसा भी मौका हो, हर सुख दुख में मैं अपने लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हूं। 

स्वतंत्रता दिवस हो, गणतंत्र दिवस हो या कोई अन्य पर्व हो हर मौके पर मुझे खूब आदर मिलता है। लोकप्रियता के मामले में मुझे कोई टक्कर नहीं दे सकता। स्कूल-कॉलेजों में झंडा फहराया जाए और मेरी बात न हो संभव नहीं। राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्रध्वज के बाद मैं ही सबकी पसंद होती हूं। 

इन सबके अलावा फिल्मी दुनिया में भी मेरा जबरदस्त बोलबाला  है। मेरे ही नाम का सहारा लेकर जलेबी बाई बनी मल्लिका शेरावत ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं।

इतनी उपलब्धियों के बाद भी अभी तक मुझे एक बात कचोटती रहती है। मैं इतनी सीधी-साधी और रसीली हूं लेकिन फिर भी लोग मुझे गलत तरीके से परिभाषित करते हैं। मुहावरे के तौर पर किसी दुष्ट व्यक्ति को संबोधित करने के लिए लोग कहते हैं "तुम तो ऐसे सीधे हो जैसे जलेबी"।

आज बढ़ती महंगाई के चलते मुझे महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। जिससे गरीब भाइयों का मेरे पास आना बंद होता जा रहा है। मैं चाहती हूं कि मेरे साथ हर तबके हर वर्ग के लोग हमेशा जुड़े रहें। मैं केवल अमीरों के पास नहीं रहना चाहती।

सोमवार, 27 अगस्त 2012

त्रिवेदी पर हाय तौबा

दिनेश त्रिवेदी के रेल बजट पेश करते ही चारों तरफ हाय तौबा मच गई,, हर पार्टी दिनेश त्रिवेदी की आलोचना करने में अपनी शान समझने लगी,, यहां तक की उन्ही की पार्टी और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने पीएम को पत्र लिखकर उनके इस्तीफे तक की मांग कर डाली,, जबकि इससे पहले ममता की सिफारिश पर ही दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री बनाया गया था,, इन सब बातों पर चर्चा करते हुए कई सवाल जहन में उठते हैं ,,,क्या ममता की जानकारी के बगैर रेल बजट पेश किया गया या कोई राजनीतिक हथकंडा है,, क्या रेल मंत्रालय सरकार के राजनीतिक हितों को साधने के लिए है या समाज में बेहरत सेवा मुहैया कराने के लिए,, आज रेलवे में कई मूलभूत आवश्यकताएं मुंह बाये खड़ीं है,, उन्हे बिना किराया बढ़ाये कैसे पूरा किया जाये,, एक जो सबसे अहम सवाल है कि, क्या रेल का किराया बढ़ाना अनुचित है ,,पिछले कई सालों से किराये में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई,, जबकि हकीकत सभी जानते हैं,, एक और सवाल उठता है कि, बढ़ा हुआ किराया क्या इतना बोझ ड़ालेगा कि हमारा जेब खर्च चलाना मुश्किल हो जायेगा,,जबकि हम अभी भी रेल किराये की अपेक्षा कई गुना किराया उससे चौथाई से भी कम दूरी तक जाने में खपा देते हैं,, वहीं बुद्दिजीवी वर्ग का एक बड़ा खेमा किराये के बढ़ाये जाने को उचित ठहराता है,,साथ ही वो त्रिवेदी द्वारा उल्लेखित समस्याओं के हल पर भी जोर देने की बात करते हैं,, जब दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गई,,बहुत से लोग आश्रचर्य चकित रह गये थे, दिनेश त्रिवेदी का नाम सुनकर,, ज्यादातर लोग त्रिवेदी पर ममता की कृपा बता रहे थे ,,अभी तक जो लोग दिनेश त्रिवेदी को नौसिखया मान रहे थे, अचानक ही वे सभी त्रिवेदी के साथ खड़े नजर आते हैं,, त्रिवेदी की प्रशंसा का सबसे बड़ा कारण है कि अगर पूर्व रेलमंत्री ने स्वेच्छा से,बिना किसी दखल के रेल बजट पेश किया है तो निसंदेह ही प्रशंसा के पात्र हैं,, क्योंकि त्रिवेदी से पहले रेल मंत्री ममता समेत कई रेल मंत्री थे जो लगभग पिछले एक दशक से रेल किराया बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा सके ,,वो काम बिना अपनी परवाह किये हुए दिनेश त्रिवेदी ने किया,,उन्होने बजट पेश करने से पहले यह भी नहीं सोचा कि आलाकमान की मनमर्जी के खिलाफ रेल बजट पेश करने से उनके राजनीतिक कैरियर पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है या फिर खत्म भी हो सकता है,, दिनेश त्रिवेदी ने जिस निर्भीकता से अपने राजनीतिक कैरियर की परवाह किये बिना ही रेल बजट पेश किया है,, वो काबिले तारीफ है,, इससे उनका राजनीतिक कद और बढ़ा है कम नहीं हुआ,, दिनेश त्रिवेदी ने यह जानते हुए भी कि,ममता दीदी बढ़ा हुआ बिल देखकर भड़क उठेंगी,, ममता जिनकी आदत सी हो गई है,कि गठबंधन तोड़ने की धमकी देते हुए हर मामलें में कांग्रेस की टांग खींचती रहती हैं,, ममता की एक सबसे बड़ी कमजोरी है कि वो पक्ष-विपक्ष दोनों की भूमिका में रहना चाहती हैं,, वे सरकार की हर उपलब्धियों को अपनी उपलब्धि बताने में नहीं चूकतीं,, पर कोई भी ऐसा फैसला जो उनके वोट बैंक पर प्रभाव ड़ालता हो, के मसले पर यूपीए गठबंधन के मुखिया पर आंखे दिखाती नजर आती हैं,,पर इन सबकी परवाह किये बिना ही पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने जिस तरह से हिम्मत दिखाई है,,इसका खामियाजा उन्हे रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देकर भुगतना पड़ा,,
चाहे कुछ भी हो दिनेश त्रिवेदी भले ममता दीदी के दिल में जगह न बना पाये हों भले ही उन्हे अपना पद गंवाना पड़ा है ,,फिर भी दिनेश त्रिवेदी ने जो चाटुकारिता की राजनीति को पीछे छोड़ते हुए पार्टी वाद के खिलाफ अहम और रेल विभाग के लिए जरूरी फैसला लिया है ,,इससे एक वर्ग विशेष के दिल में अपनी जगह बनाने में जरूर सफल हुए हैं,,पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने एक ऐसा कदम उठाया है जो रेलवे के बहुत ही जरूरी ही है,,और भारतीय राजनीति के लिए एक खास सबक भी है,,
एक बार फिर साबित हो गया है कि राजनैतिक बिसात पर जीतने के लिए हर दांव-पेंच आजमाया जाता है,,,साथ ही सियासत बचाने के लिए सबसे कमजोर प्यादे की कुर्बानी देना ही सबसे बड़ी चाल है,,,यहां एक सवाल और भी उठता है कि क्या दिनेश त्रिवेदी को राजनैतिक स्वार्थ के लिए केवल इस्तेमाल भर किया गया,,, और क्या उन्हे जानबूझकर बलि का बकरा बनाया गया,,,
आखिरकार ममता बनर्जी के दबाव के चलते दिनेश त्रिवेदी को इस्तीफा देना ही पड़ा,, हालांकि यह बात दूसरी है कि दिनेश त्रिवेदी ने शालीनता से मुस्कराते हुए अपना इस्तीफा सौंपकर, अनुशासन की शानदार मिशाल पेश की,, दिनेश त्रिवेदी जो वेल एज्यूकेटेड़ पर्सनाल्टी है,, जिन्होने एमबीए करने के बाद शिकागो में दो साल तक काम भी किया है,,उनकी जगह पर ममता बनर्जी ने अपने चहेते मकुल रॉय को नया रेल मंत्री बनाया गया है,, जो केवल बारहवीं पास हैं,, सवाल यह उठता है कि क्या रेल मंत्री बदलने से आप सारी समस्या का हल निकाल पायेंगे,,
नतीजा चाहे कुछ भी हो इस सारे प्रकरण से दिनेश त्रिवेदी के राजनैतिक कद में इजाफा ही हुआ है,,इस सारे प्रकरण में उनके समर्पण की भावना,उनकी सोच और उनकी राजनीतिक परिपक्वता सबके सामने आ गयी है,,,

बड़े मियां बड़े मियां छोटे मियां शुभानअल्लाह...

अंडर-19 वि·ाकप में जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर मात दी है,काबिले तारीफ है। संड़े का दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए बहुत ही खास रहा।एक ओर जहां जूनियर भारतीय शेरों ने तीन बार की विश्वविजयी ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में परखनी देकर विश्वविजेता बने वहीं सीनियर भारतीय क्रिकेट टीम ने न्युजीलैण्ड को पूरी तरह से पीटकर दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली। 57 साल बाद यह पहला मौका है जब टीम इंडिया ने न्युजीलैण्ड को पारी और इतने बड़े अंतर से हराया है। जिस तरह से जूनियरों ने पिछले सत्र की वि·ाविजेता ऑस्ट्रेलिया को उसके ही घर में हराया है प्रशंसनीय है।अंडर-19 विश्वकप के फाइनल में जिस तरह से भारतीय टीम ने खेल दिखाया है निश्चय ही भारत में क्रिकेट का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। इस टूर्नामेंट ने सेलेक्टरों के सामने और विकल्प बढ़ा दिये हैं। अभी कुछ ही दिन पहले चर्चाएं जोरों पर थीं कि राहुल द्रविड़,वीवीएस लक्ष्मण और सचिन तेन्दुलकर की कमी कौन पूरा करेगा,अपने प्रदर्शन से सीनियर और जूनियर टीम के खिलाड़ियों ने बता दिया कि वे कोई भी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं।जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बहुत ही शुभ संकेत हैं। जिस तरह से चर्चाएं थी टेस्ट में कौन राहुल द्रविड़ की भरपाई करेगा तो युवा चेते·ार पुजारा शानदार प्रदर्शन कर मौके को पूरी तरह से भुनाते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।ये भी कहा जा रहा था कि हरभजन,अनिल कुंबले के बाद स्पिन विभाग कौन संभालेगा तो आर.अश्वनी ,प्रज्ञान ओझा और पीयूष चावला ने फिरकी विभाग में शानदार प्रदर्शन कर हरभजन की बादशाहत को ही खत्म कर दिया। आज सीनियर टीम मे विराट कोहली,सुरेश रैना,महेन्द्र सिंह धोनी,और आर.अश्वनी के अलावा कितने ही खिलाड़ी दस्तक दे रहे हैं।खैर सचिन और द्रविड़ जैसे महान खिलाडियों की कमी तो पूरी नहीं की जा सकती लेकिन जिस तरह से यंगिस्तान ने प्रदर्शन किया है और कर रहे हैं इन खिलाड़ियों ने कमी को लगभग पाट सा दिया है।
भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा जारी है जो किसी भी देश की टीम के लिए जरूरी है। टीम में टिके रहने के लिए आपको हर हाल में प्रदर्शन करना ही होगा।
हालांकि ये कहना थोड़ा जल्दबाजी होगा कि सचिन,सौरव,राहुल और लक्ष्मण की जगह लेने के लिए ये खिलाड़ी पूर्णतया परिपक्व हैं। लेकिन इन युवा बल्लेबाजों ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया है कि वे अब कोई भी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं।पहले कहा जाता था कि सुनीव गावस्कर के बाद उनकी जगह कौन लेगा, कोई नहीं जानता था कि ये सचिन एक दिन ना केवल गावस्कर को बल्कि दुनिया के तमाम दिग्गजों को पीछे छोड़ इतना आगे निकल जाएगा जहां तक पहुंचना किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल होगा। वहीं अभी से लोग विराट कोहली को सचिन के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। निसंदेह सचिन सिर्फ एक है और एक ही रहेगा और उनकी कमी की भरपाई शायद नहीं हो सके। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सचिन के बाद भारतीय टीम में प्रतिभाशाली बल्लेबाजों की कमी रहेगी। आज जिस तरह से सीनियर और जूनियर  क्रिकेट टीम के खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं लगता नहीं कि भारतीय टीम किसी एक या दो खिलाड़ियों पर निर्भर कर रही है।
अंडर-19विश्वकप में भारत को जो सितारे नज़र आये हैं उनमें बाबा अपराजित,उन्मुक्त चंद और संदीप शर्मा प्रमुख हैं। इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन अगर ऐसा ही जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब ये राष्ट्रीय टीम का हिस्सा होंगे।
ऑस्ट्रेलिया को हराकर तीसरी बार भारत आईसीसी अंडर-19 विश्वकप का विजेता बनकक अपनी बादशाहत कायम की है।






रविवार, 19 अगस्त 2012

अलविदा लक्ष्मण...

भारत के  वेरी-वेरी स्पेशल बल्लेबाज के वेरी-वेरी स्टाइलिश शॉट अब आपको सिर्फ रिकार्डिंग में ही देखने को मिलेंगे।इस धुरंधर बल्लेबाज को अब हम स्टेडियम में ग्राउंड के चारों तरफ कलात्मक शॉट लगाते नहीं देख पायेंगे। अपनी कलात्मक बल्लेबाजी से दुनिया की धुरंधर टीमों के लिए परेशानी का सबब बने वीवीएस लक्ष्मण ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। 1996में लक्ष्मण ने टेस्ट क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने कैरियर की शुरुआत की थी। अपने 16 साल के लंबे क्रिकेट कैरियर में लक्ष्मण ने भारत की तरफ से खेलने वाले इस धुरंधर बल्लेबाज ने 134 टेस्ट मैच खेले इनमें 8781 रन बनाये।आस्ट्रेलिया के खिलाफ इनकी 281 रनों की पारी आज भी यादगार है।वहीं,वेरी वेरी स्पेशल ने 86 एक दिवसीय मैचों में दो हजार से ज्यादा रन बनाये। फिर भी अपने पूरे क्रिकेट कैरियर में लक्ष्मण को कई बार उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा। लेकिन लक्ष्मण ने हर बार अपने आलोचकों को अपने बल्ले से मुंहतोड़ जवाब दिया।लक्षमण ने हमेशा शांत रहकर मैदान पर अपने बल्ले से विपक्षी गेंदबाजों को धूल चटाकर भारत की जीत सुनिश्चित की है। लेकिन लक्ष्मण ने जिस तरह से अपना सबकुछ क्रिकेट में झोका हुआ है मुझे लगता है कभी उनके साथ न्याय नहीं हो सका है।एक ऐसा बल्लेबाज जो आमतौर पर प्रेशर में पांचवे या छठे नंबर पर बैटिंग के लिए आता है आप उससे कितनी उम्मीद रखते हैं। फिर भी लक्ष्मण ने अपने को हमेशा उम्मीद से बेहतर साबित किया। एक बार गांगुली ने कहा था कि लक्ष्मण बहुत ही शानदार बल्लेबाज हैं लेकिन अगर उन्हे भी ऊपर आकर खेलने का मौका तो उनके भी खाते में सचिन या राहुल द्रविड़ से कम रन नहीं होते। गांगुली और द्रविड के संयास लेने के बाद अभी तक उनके उत्तराधिकारी की खोज नहीं की जा सकी है वैसे में लक्ष्मण का उत्तराधिकारी कौन होगा कह पाना मुश्किल है।
न्युजीलैण्ड टीम के खिलाफ लक्ष्मण का टेस्ट टीम में सेलेक्शन हुआ था। उम्मीद जताई जा रही थी कि इस सीरीज के बाद लक्ष्मण सन्यास लेंगे। लेकिन जिस स्टाइल में इस स्टाइलिस बल्लेबाज ने सन्यास लिया है उससे उसकी भावनाओं का साफ पता चलता है, टीम में सेलेक्शन के बाद भी लक्ष्मण का सन्यास लेना अपने आप में पूरी कहानी बयां करता है।
चाहे भारत के सफलतम कप्तान गांगुली हों,टीम इंडिया की भरोसेमंद दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ हों या फिर कलाई के जादूगर वीवीएस लक्ष्मण हों इन सबकी जिस तरह से टीम की विदाई हुई निश्चित ही पीडादायक और दिल को ठेंस पहुंचाने वाली है।
जिन्होने पूरी दुनिया में अपनी बल्लेबाजी से भारतीय टीम का डंका बजाया उनकी इस तरह से विदाई किसी भी तरह से सही नहीं मानी जा सकती ।

शनिवार, 18 अगस्त 2012

वेरी-वेरी स्पेशल...

दुनिया में वेरी-वेरी स्पेशल के नाम से मशहूर भारत का ये बल्लेबाज अब आपको ग्राउंड पर शायद कलात्मक शाट लगाते नहीं दिखेगा,वीवीएस लक्ष्मण को दुनिया के कलात्मक बल्लेबाजों की श्रेणी में गिना जाता है,,जब ये बल्लेबाज मैदान में उतरता है तो उनकी कलात्मक बल्लेबाजी से भारतीय ही नहीं विपक्षी टीम के खिलाडी भी तारीफ किए बिना नहीं रह सकते हैं,वीवीएस लक्ष्मण को भारतीय टीम का संकटमोचक भी कहा जाता रहा है,,लक्ष्मण ने हमेशा ही दुनिया की दिग्गज टीमों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया है,जब भी कोई टीम भारत को बैकफुट धकेलती तो गेंदबाजों की राह में सबसे बड़ा रोडा बनकर लक्ष्मण ही खड़े नज़र आते रहे हैं। लक्ष्मण के करियर में ऐसे एक नहीं कई मौके आये हैं,जब उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर मैच में भारत की वापसी कराकर विरोधियों के हौसले पस्त किये हैं,,आज भी ईडन गार्डेन में आस्ट्रेलिया के खिलाफ लक्ष्मण की खेली गई वो पारी कोई कैसे भुल सकता है,,उस मैच में भारत फालोआन की शर्मिंदगी झेल रहा था,,और हार लगभग तय मानी जा रही थी,,तभी वेरी वेरी स्पेशल के नाम से मशहूर भारत का ये संकटमोचक ऑॅस्ट्रेलियाई टीम के सामने चट्टान की तरह खड़ा हो गया,, इस मैच में भारत ने ना केवल वापसी की बल्कि शानदार जीत दर्ज कर सीरीज पर अपनी पकड़ भी बनाई,,जानी मानी पत्रिका विज्डन ने लक्ष्मण की इस स्पेशल पारी को दुनिया की बेस्ट पारियों में शामिल किया है, ऐसे एक नहीं कई मौके आये हैं जब लक्ष्मण भारतीय टीम की नैया के खेवनहार साबित हुए हैं,,लक्ष्मण के सन्यास लेने से वैसे तो हर विपक्षी टीम को खुशी मिली होगी, लेकिन सबसे ज्यादा खुशी आस्ट्रेलियाई टीम को मिली होगी, इस टीम के खिलाफ वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण का बल्ला जरूर बोला है, इस बात का एहसास ऑॅस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को भी है, लक्ष्मण ने टीम इंडिया के लिये 134 टेस्ट मैच खेलें हैं जिसमें उन्होने 17 शतकों की मदद से 8781 रन बनाये हैं, वहीं  86 वनडे मैचों में  6 शतकों के साथ 2338 रन बनाये हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से इस हैदराबादी बल्लेबाज का बल्ला खामोश रहा है,,जिससे लक्ष्मण के टीम में चयन पर संशय के बादल मंडराते रहे हैं। न्युजीलैण्ड के खिलाफ आगामी सीरीज में ये भारतीय सितारा शायद आखिरी बार मैदान पर दिखेगा। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक हैदराबाद में होने वाले टेस्ट मैच के बाद वीवीएस लक्ष्मण क्रिकेट से सन्यास ले सकते हैं,,जिसकी वे आज घोषणा कर सकते हैं।लक्ष्मण के सन्यास लेने के बाद कुछ प्रश्न भारतीय टीम और सेलेक्टरों के पेशानी पर बल जरूर डालेंगे कि लक्ष्मण के जाने के बाद टीम उनकी जगह कौन लेगा।इतना तो तय है कि इस कलात्मक बल्लेबाज के स्थान की पूर्ति कर पाना इतना आसान नहीं होगा। वीवीएस लक्ष्मण जैसा महान कलात्मक बल्लेबाज शायद ही कभी टीम इंडिया को मिल पाये