शुक्रवार, 6 मई 2011

नौटंकी पर संकट

प्राचीन समय से ही नौटंकी एक पावरफुल विधा रही है,इसने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया है |सोचने वाली बात यह है की नौटंकी जब इतनी पावरफुल विधा है तो धीरे-धीरे यह गायब क्यूँ होती जा रही है | जो लोग इसको  आगे बढ़ने का नारा देते हैं और इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं ,वही चुप  होजाते हैं क्यूँ ?
जो सब बुद्धिजीवी मिलकर निष्कर्ष निकलते हैं उस पर वही लोग अमल क्यूँ नहीं करते |हम दूरदर्शन तथा अन्य माध्यमो को इसके लिए दोषी क्यूँ मानते हैं,जबकि अन्य राज्यों की विधाओं पर इतना संकट नहीं आया |नौटंकी में दोहा ,चौबोला ,रेख्ता,कड़ा ,झूलना ,भजन ,आल्हा ,छंद  आदि विभिन्न तत्वों का अद्भुत समिक्श्रण है ,इस महान विधा का किन्ही कारणों से अस्तित्व समाप्त होना बहुत ही दुखद होगा |
फिल्मो के साथ नौटंकी में जो समस्या है वह है इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना | जैसे फिल्म की एक कॉपी को बैग में डालकर आप कही भी ले जा सकते हैं और एक साथ सारे विश्व में देखा जा सकता है जबकि नौटंकी को सारी जगहों पर लोग एक साथ नहीं देख सकते | पर एक बात बताना नही भूलूंगा नौटंकी की अपनी शक्ति भी है, गाँव के बीच जहाँ नक्कारा बजा किलोमीटर दूर से लोग खिंचे चले आते हैं |
आज जो नौटंकी की दुर्दशा हो रही है उसका प्रमुख कारण अच्छी नौटंकी लेखन का अभाव भी है,नौटंकी लेखन का छंद रचना पर अधिकार होना चाहिए |प्राचीन समय से लेकर अभी तक नौटंकी लेखन का आधार पोराणिक,धार्मिक व ऐतिहासिक रहा है |आज निश्चित रूप  से स्थितियाँ बदली हैं हर कोई यथार्थ को देखना चाहता है जो बहुत ही मुश्किल काम है| बहुत सी यथार्थ बातें आप सीधे-सीधे नहीं कह सकते जैसे राजनीति आदि पर | विशेषकर नौटंकी  कलाकारों के लिए स्थिति और भी गंभीर है क्यूंकि ज्यादातर  वो अशिक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर हैं | इसलिए बात को सीधे-सीधे न कहकर समसामयिक प्रश्नों को पोराणिक  कथाओं के माध्यम से कहा जाता है तो जनमानस स्वीकार कर लेता है |
आजकल के लेखक को नौटंकी की आंतरिक स्थिति को समझते हुए एक नाटककार की भूमिका का पालन करते हुए नौटंकी लिखना पड़ेगा  | अब आवश्यकता इस बात की है लेखक आधुनिकता के हिसाब से नौटंकी का भी ज्ञान रखे  तो ही अच्छी नौटंकी लिखी जा सकेगी    |
नौटंकी एक जबरदस्त विधा है कोई अच्छे से इसे करके तो देखे  ! लेकिन लोग करना नहीं चाहते |
इस विधा को बचाने के लिए निश्चित तौर पर जमकर काम करना होगा वरना धीरे-धीरे नौटंकी  की लोप होता जायेगा ,अगर यह विधा उत्तरप्रदेश से किसी तरह समाप्त हो गयी तो हमारे पास अपना कुछ नहीं बचेगा |
अतः हम सबको नौटंकी जैसी प्राचीन और सशक्त विधा को बचाने के लिए हरसम्भव प्रयास करना होगा,हर उस निष्कर्ष पर जिसे सर्व-सम्मति से नौटंकी के विकास के लिए माना गया हो,को अमल में लाना होगा और सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे वरना नौटंकी जैसी हमारी प्राचीन संस्क्रति का लोप हो जायेगा और हम कुछ भी नही कर सकेंगे | 


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