मंगलवार, 16 नवंबर 2010

mera pata ?

आज फिर मेरे मन  में आया कि मुझे कुछ लिखना चाहिए ,क्यूँकि सर ने कहा था कि तुम्हे रोज कुछ न कुछ लिखना जरुर है | चाहे कुछ भी हो कितना गलत भले ही  हो मै लिखने कि कोशिश करूँगा | आजकल नवयुवकों को बहरी चमक- दमक बहुत प्रभावित करती है खासकर मीडिया कि दुनिया |
जब पहली बार मैंने अपने दोस्त के कहने पर मीडिया इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया तब मैंने जाना | मैं एस कोर्से के बारे में बिलकुल अनभिज्ञ था कि क्या होता है और क्या करना पड़ता है |
मै भी अपनी दुनिया में मस्त हर नवयुवक  कि तरह मन में आगे बढ़ने कि लालसा लिए कुछ हसीं सपने सजाये था | हर उत्तरप्रदेश के नवयुवक कि तरह डिग्री लेमिनेशन करवा के सेफे में रख दिया था क्यूँकि मैंने ऍम. ए किया जरुर था पर मेरे पास उस स्तर का ज्ञान नहीं था |
मैंने पिचले पांच सालों से एल.आइ. सी. में कार्य कर रहा था, मैंने वहां मिले अपने टार्गेट को प्राप्त करता रहा , और अपनी आमदनी से खुश था पर संतुष्ट नहीं था |
पता नहीं कब मेरे मन ने बरसाती मेढक कि तरह करवट बदली और मेरा  मन अशांत रहने लगा |
मेरे मन में भी वो ख्याल हिलोरे भरने लगे मेरा मन भी सोचने लगा जिसे मै भूल चूका था , मैं फिर पढ़ना चाहता था ,तभी बी . एड . के फॉर्म निकले मैंने आव देखा न ताव  भर दिया और पढने लगा | बी.एड . में मेरा सेलेक्शन   हो गया था और मेरे नंबर के आधार पर मेरी रंकिंग १४५ थी ,पर मैंने एडमिशन लेना चाहा लेकिन  नहीं लिया क्यूँकि मैं समाज के लिए कुछ करना चाहता था प्रत्यछ रूप से |      तभी मेरी मुलाकात मेरे एक दोस्त से हुयी जो मीडिया कोर्से करना चाहता था उसने मुझे प्रेरणा दी | मने घर वालों से बिना पूछे  ही एडमिशन करवा लिया क्यूँकि वो नहीं चाहते थे कि अपना जमा -जमाया धंधा छोड़ दूँ | मैंने अपने पापा और माता जी को समझाया ,वो मान गए और आशीर्वाद देकर विदा किया पर भाई नहीं चाहते थे कि मै ऐसा करूँ ,इसका मतलब यह नहीं कि वो मुझे आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते थे| वो सब मुझे बहुत प्यार करते हैं मेरी भावनाओं का सम्मान करते हैं , कारण केवल यह था  कि वो नहीं चाहते थे कि मैं उनसे दूर रहूँ | वो चाहते थे कि मैं जो कर रहा  हूँ वही काम करूँ |
मेरा परिवार एक बड़ा एवं संयुक्त परिवार है जैसा कि अब भारत में बहुत कम ही होता है, सरे लोग प्यार से रहकर जिंदगी का आनंद लेते हैं , मैं अपने भाइयों में सबसे छोटा एवं सबका दुलारा हूँ वो आज भी मेरा बहुत ख्याल करते हैं और मेरी आवश्यकताओं को बिना कहे ही पूरा करते हैं | मैं अपने सुन्दर परिवार से बहुत प्यार करता हूँ | मेरे बड़े भाई जो पी ए सी में हैं और (सारे भाई कार्यरत  हैं) पूरे परिवार का ख्याल अपने आप से ज्यादा रखते हैं, जो मेरे  आदर्श हैं , मैं भगवन से प्रार्थना करता हूँ कि हर जन्म में उन्हें मेरा भाई बनाये |
मैं भी आँखों में रंगीन सपने लिए अपने दोस्त के साथ अपना  सामान लेकर जहांगीराबाद मीडिया इंस्टिट्यूट पहुँच गया ,वो तारीख २ अक्तूबर २०१० थी जब मैंने अड्मिसन लिया मेरा इंटरव्यू  गौहर सर ने लिया और कहा बेटा बहुत कमजोर हो मेहनत  करो | मैं बीजू सर जो कि डिप्टी डायरेक्टर है से बहुत प्रभावित हुवा,शाम के ४ बजे थे बीजू सर ने कहा आज सबको कुछ पौधे लगाने है जमीं बहुत कसी थी , मैंने सोचा इतनी मेहनत करनी पड़ेगी ? पर जब मेरे सारे सहपाठी  और बीजू सर , गौहर सर सबने  मेहनत किया और महात्मा गाँधी क़ी याद में पौधे लगाये | सचमुच मजा आ गया, आज जब भी मै उस दिन को याद करता हूँ अपनी सोच पर हसीं सी आ जाती हैं |
मैंने सोचा था घर से दूर रहकर कैसा लगेगा कैसे लोग होंगे ? सच कहूँ तो मुझे कभी अहसास ही नहीं हुवा |मैंने सोचा भी न था क़ी ऐसे प्यारे दोस्त और बड़े भाई क़ी तरह अध्यापक होंगे |
अब मुझे कहने में कोई दिक्कत नहीं कि अब मुझे छुट्टी में घर जाना भी अच्छा नहीं लगता |
अब मैं बहुत खुश हूँ और अपनी मंजिल तक जाने के लिए प्रयासरत हूँ  |
      

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